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Thursday 25 July 2013

आम 4

गाछी दू टा रहै
एक टा अप्‍पन आ एकटा दोसर कें
अप्‍पन गाछक सब आम जेहने-तेहने
आ दोसरक टेढ़ो बाकुल मीठे-मीठ
गाछ मे लटकल कतेको डिजायनक ठांढि़
कुनो एकमहला झूल्‍ला कुनो दुमहला
मुदा अपन गाछक झुल्‍लो बाईस लागै
दू टा गाछीक बीच मे आरा कटल रहै
अप्‍पन आरा गूं-मूत आ सुक्‍खल पात सँ भरल रहै
दोसरक आरा सँ बहराए एक सँ एक प्रेम कविता
अपनो गाछी मे भूत-प्रेत रहै
मुदा निसरठ सब
केवल पकलबा आम पर नजर लगेने रहै
लूटि के खाए आ सूति रहै
मुदा दोसरक गाछी मे एक सँ एक भूत ,चुड़ैल आ राकस सब
जेकर शक्ति बढि़ जाए दुपहरिया मे
आ ओ ताम' लागै खेत
आ निकाल' लागै बड़का बड़का रद्दा सब
रद्दा उठबैत उठबैत लालटून बाबू परेशान
आ बच्‍चा सब खिस्‍सा सुनै ले व्‍याकुल
आ दोसरक गाछी सँ निकलै
एक सँ एक खिस्‍सा-विहनि
प्रेमक आ बँटवाराक
आ अप्‍पन गाछी पर सब दिन सँ रहलै कुनो हवाक असर
ऐ बेजान गाछ आ बेजान स्‍वाद के की करी

Tuesday 23 July 2013

आम 3

ओइ साल एत्‍ते आम भेलै
कि बच्‍चा सब टिकला बिछैत-बिछैत तबाह
आ छोटकी कनियां के हाथ कसौंझी बनबैत बनबैत भकभकाईत रहै
तहिना काकी आ भौजी अंचारक मसल्‍ला कूटैत कूटैत परेशान
आ जखन पाकलै तखन बूझू जे
सोहारी संग ,भात संग आ चूड़ा संग
जतबे कतरा ,गारा ,ओतबे चोभा
आ आम विद्यमान रहै ब्रह्म जँका
सभ ठाम भनसा घर ,कोठी पर
आ बौआक झोरा मे गोसाउनिक घर
चिनुआर आ कोनियां घर
कखनो गमकै कखनो भभकै
आ टोल -पड़ोस आ गाम घर
सौंसे छिलका ,आंठी आ सरलका सब
आ चंगेरा-पथिया भरि बेन आ भार
भरिया सब अलगे अकछल
भारक बोइन सेहो आमे छलै
आ तहिना धनिक आ मातवर सब
चौक-चौबटिया आ गाछी मे
लाठी संग तैयार
',खाए पड़त ,नइ कोना खेबए'
सिवाय मनरू झा के
जे त्‍यागि सकै छला अपन कंजूसीक चोला
मुदा ओ खाइते रहला उतरल स्‍वादक संग
आ एमहर बा बितबैत रहली जुलाई-अगस्‍त
आंगन आ कोठा पर रौद मे
अम्‍मट पाड़ैत बा
देखलखिन सपना साल भरिक भरल-पूरल चिनुआरक

Monday 22 July 2013

आम 2

आम आ इंद्रधनुष्
गाछ पात फल सब हरियर
जेना हरियरे होए प्रकृतिक मूल रंग
मुदा सिनुरिया आ पीरबाक हस्‍तक्षेप
की लाल नइ प्रकृतिक रंग
की पीयर नइ प्रकृतिक रंग
सुक्‍कुल-सिपिया सेहो अपन पियरपन पर हुलसैत
तावते खसल दूधिया आ सफेदा मालदह
'हौ वौआ सब रंग हमरे सँ निकलैत '
ओमहर कलकतिया कलपैत
यद्यपि हम श्‍वेतक विलोम
मुदा हमरा बिना कोन कृष्‍ण ,कोन काली आ कोन अफ्रीका
बात पोलिटिकल भ' गेलै
आ आनो आम सब आबि गेलै अप्‍पन रंगक साथ
सभक अपन-अपन तर्क ,गोल आ ग्रूप रहै
केकरा मूल केकरा व्‍युत्‍पन्‍न कही
एतबे काल मे कतेको श्‍वेत वर्ण खंड-खंड भेलै
किछु इंद्रधनुष देखेलै
किछु बादले मे बिलाइत गेलै

आम 1

फागुने चैत सँ महकैत रहै
कखनो पल्‍लव सँ आ
कखनो मज्‍जर सँ
आ धैन भेल बैसाख
कि गाछी भरि गेल
छोट-बड़ रंगबिरही
गिरल तोड़ल टिकुला सँ
आबिते जेठ
सिनुरिया ,पीरबा
कनखी मार' लागल
आ कखनो सद्य: समक्षे गिर' लागल
कखनो जेठक गुम्‍मा,चुप्‍पा गरमी सँ
आ कखनो कठफोड़बाक बदमाशी सँ
कखनो इन्‍द्र-वरूण सेहो आबि के डोला देथिन
आ बूझू जे गाछी मे सूतनए कबाहैट भ' गेल
सांझ होइते गाछी झूम' लागै
अदृश्‍य प्रभाव सँ
आ नाचै भूत ,प्रेत ,चुड़ैल आ राकस सभ
कखनो नकूबा आ कखनो खटहबाक चालि
कखनो सम कखनो विषम ताल
कखनो एमहर धम्‍म कखनो ओमहर धम्‍म

Thursday 18 July 2013

घर

अजीबे घर रहै ,खाए त' सब खाइते रहै ,आ हकडक्‍कल जँका करै त' लाईन लगा के सब हकडक्‍कले जँका करै ।बेरा-बेरी नइ एके संग ।
प्रसन्‍न रहै त' सब प्रसन्‍ने रहै ,नइ कुनो बात तैयो प्रसन्‍न ।बिना मतलबे के बरसा-बुन्‍नी ,रौद-अकाश ,पानि-बिहाडि़ किछो ल' के प्रसन्‍न ।अहां घरक बतीसी अलगे सँ देखि सकैत छियै ।प्रसन्‍न रहैक मून होए त' पड़ोसीक घरक चोरी ,बगल वलाक बेटी भागनै ,पंडीजीक बेटा के कैंसर भेनए ,राम अवतारक मैट्रिक परीक्षा मे फेल भेनए ,ई सब खुशिएक कारण रहै ।
लड़ाई करबाक मून होए त' टी0वी0 क' रिमोटे लेल झगड़ा भ' जाए ।बापक अलग चैनल ,माएक अलग रहै आ तीनू बच्‍चो के अलग रहै ।कुनो समझौता त' भेल नइ रहै ,तें जेकरा जखन मून होए ,टी0वी0 खोलि दए ,जेकरा जखन मून होए ,चैनल बदल' लागए ।
आ आमदनी त' सीमिते रहै ,कमाए वला मात्र बापे ।मुदा खरचाक मद केओ निर्धारित क' सकै छलै ।आ वरीयता क्रमक लेल डेली झगड़ा-फसाद ।बाप कहए ई जरूरी ,बेटा कहै ई आ माए कहै पहिले ई किएक नइ ।
आ घर मे सबके दुख रहै ।फलनमा के चिलनमा से आ चिलनमा के फलनमा से ।सब केर उपेक्षा छलै आ सबक प्‍लान रहै घर छोड़़बा लेल ।सब ताकैत रहै एकटा नीक दिन ।साईतक खोज डेली चलैत रहै ,मुदा केकरो लेल एखन बेहतरक खोज संपन्‍न नइ भेल छलै ।
घर मे कपड़ा-लत्‍ता रहै ,रमायन-महाभारत रहै ,देवी-देवताक फोटो रहै ,संगहि-संग बहुत रास उपदेश आ कर्तव्‍यक शिक्षा रहै ।गृहवासी एक-दोसर कें बेरा-बेरी सँ दैत छलखिन आ सब गोटे समै साल पर सुनै के आ नइ सुनबाक बहन्‍ना ताकैत छला ।
ईहो घरे छलै आ एकर एकटा नंबर छलै जे सरकारक कार्ड आ वोटक रजिस्‍टर मे दर्ज छलै ।पता नइ घर मे कुन प्रकारक एकता छलै जे घर घर रहै ,आ सिमेंटक ,कर्तव्‍यक आ बाढि़ मे रक्षाक सरकारी विज्ञापन फराक-फराक बैनर मे फराक-फराक जग्‍गह पर विराजमान रहै ।

Friday 12 July 2013

बाबूक चप्‍पल

ऐ बेर गाम मे एकटा आयोजन छल ,आ आयोजने बीच केओ चप्‍पल चोरा लेलक ।संभव छैक केकरो सँ बदला गेल होए ,मुदा एकाध घंटाक प्रयासोक बीच भेटल नइ ।गाम पर आबिते झोरा तैयार छल आ शहर जेबाक जल्‍दी ,तें बिना कुनो ना-नुकुरि केने माए द्वारा देल बाबूक पुरनका चप्‍पल पहिर बाहर आबि गेलौं ।चप्‍पल मे कतेको जगह सीयल जेबाक निशान रहै ,तैयो चप्‍पल मजगूत रहै ,आ गाम सँ चारि सौ किलोमीटर तक कुनो प्रकारक दिक्‍कत नइ भेल ।
ऐठाम एलाक बाद कनियां कनि जे मुंह -नाक बनेलथि ,चप्‍पल ऐठामक चप्‍पल सब मे मिलि गेलै ।ने चप्‍पल देखै सुनै मे खराप रहै ने तुरत्‍ते कुनो टुटबाक डर ,तें हम मौका-बेमौका पहिरैत रहलौं ,हां कहियो-काल कनियां के कहला पर जरूर बदलि दैत रहियै ।आ चप्‍पलो बिना कोना दाना पानि के हमरा दुआरि पर रह' लागल ।बस कनियां ओकरा स्‍थान बदलैत काल ,या बाढ़नि लगबै काल कने जोर सँ धक्‍का दैत छलखिन आ फेर ई बात कि 'बाप रे बाप ई चप्‍पल पहिरै वला छैक ' ।
एकदिन भोर मे घूमैत काल चप्‍पल टूटि गेल ।कुनो पुराने जोड़ पर टूटल रहै ,आ हम नंगराबैत-नंगराबैत कहुना गामपर पहुंचलौ ।हमरा नंगराबैत देखि कनियां कुनो अज्ञात संभावना सँ चिकडि़ उठली ।हम आश्‍वस्‍त केलिएन ,जे एहन कुनो बात नइ ,हम स्‍वस्‍थ छी ,बस चप्‍पल कनि डिस्‍टर्ब क' देलक ।आ हमरा बिनु पूछने ओ चप्‍पल उठा सामने वला मैदान मे फेकि देलखिन ।हम रोकबाक प्रयास केलियइ ,मुदा ओ किछु नइ सुनलखिन ।चप्‍पल फेका गेल छलै ,मुदा बेसी दूर नइ रहै ।ऐ ठाम सँ ओकर फीता ,डंटी आ पूरा देह देखाइत रहै ।अगिला दिन आर लोक सब मैदान मे कूड़ा फेक' लागलखिन आ चप्‍पल कनेक एकात मे भ' गेलै ,मुदा एखनो तक ओ ओहिना देखाइत रहै ।एक बेर मून भेल जे कनियां सँ चोरा के ओकरा घर ल' आनी ।कनियां सूतल रहथिन ,मुदा जें कि उठलौं ओ फेर उठि गेली आ पूछ' लागलखिन 'चाय त' नइ पीयब '।
भोरका समै छलै आ कनियां नहेलाक बाद पूजाक तैयारी मे रहथिन ,हम एकाएक उ‍ठलियै आ मैदान दिसि विदा भ' गेलियै ।औखन केओ जागल नइ रहै ,बस एगो-दूगो कुकुर सब एमहर-ओमहर ताकैत रहै ।हमरा मैदान मे घूसिते बगल वला गोला कुकुर हमरा दिसि ताक' लागल ।एकबेर त' डर भेल ,फेर साहस क' के दूनू चप्‍पल उठा लेलौं ।चप्‍पल पर बहुत रास पन्‍नी आ पाकल आमक सड़लका छिल्‍का रहै ।जल्‍दी सँ ओकरा झटकैत सांस के बारने रोड पर वापस एलौं ।आब आबि के फेर एकबेर जोर सँ सांस लेलौं आ कूड़ाक ढ़ेर दिसि फेर सँ धियान गेल ।ऐ चप्‍पल के की कएल जाए ।
ऐ चप्‍पल के घर मे राखनै ठीक नइ ।कनियां त' जे बखेरा करती ओ करबे करती ।ई चप्‍पल एकटा बीतल युगक कैलिडोस्‍कोप नेने घर मे घूसि गेल रहै ,मुदा एकर ऑरिजनल जग्‍घ' त' कतै आर छलै ।ई चप्‍पल हमर पिताक प्रमुख अस्‍त्र छल ।जखन जखन ओ क्रोध मे आबै छलखिन ,थापड़ आ मुक्‍काक प्रहार नइ करै छलखिन ,बस निकालि के चप्‍पल हमरा आ हमरा सब भाई-बहिन के्............. ।तें ई बीतल युगक एकटा अस्‍त्र छलै ,जेकरा लेल जगहक गुंजाइश ऐ घर मे नइ रहै ।ई चप्‍पल आब बस सम्‍हारि के देखै-देखबै लेल जोगा के राखै क चीज रहै ।अफसोस हमरा पास एत्‍ते जगह नइ कि हम संग्रहालय बनाबी .........

Thursday 4 July 2013

अल्‍हुआ

अल्‍हुओ खेने रहै सप्‍पत
जा तक बरहब नइ
बाहर नइ निकलब
जमीनक बाहर पसारने लाल-‍हरियर लत्‍ती
लोक कें भरमाबैत रहै
आ नीच्‍चा मे जमा करैत
खूब रास कार्बोहाइड्रेट
एत्‍ते मिठास कि
कुसियारो के ईर्ष्‍या होए
कखनो-कखनो कीड़ा मकोड़ा सेहो
सटि के चाटनै शुरू करए
आ धरती पर आबिते
रूपया मे पसेरी
भूक्‍खल ,अधभूक्‍खल,जोगाड़ी
व्रती साधु, सन्‍यासी
कांच ,उसनल ,पकाएल
दूध ,दही ,तीमन संग
अल्‍हुआ तिरपित कर' लागै
बिना पूछने गाम टोल जाति
आ फलां गांव वाली फेर घूमि रहल छथिन
नेने दौरी-चंगेरा
नेने उधारक आस
रूपया मे पसेरी अल्‍हुआ निराश नइ करतै