Followers

Tuesday 23 May 2017

02 05 2017

औझका डायरी
काल्हि ऊ लता मंगेशकर बन’ चाहैत छलखिन ,परसू किशोरी अमोनकर ,आइ ऊ एकटा आई0ए0एस0 अधिकारी बन’ चाहैत छथिन ।सामंती मानसिकता सँ भरल एकटा मैथिल परिवारक ई प्रवृत्ति प्रगतिशील त’ कदापि नइ ,हँ पतनशील कहबा सँ बचि रहल छी ।बच्‍चाक शैक्षिक आ कैरियर चुनबा संबंधी स्‍वतंत्रताक सम्‍मान करैतो ,गार्जियनक आ समाजक प्रेरणा कें की कहल जाए ? कत लता जी आ कत’ एकटा सामान्‍य अधिकारी ,मुदा एकटा अर्धआधुनिक समाजक ई खास निशानी अछि ।ललबत्‍ती आ हूटर दिस निहारैत समाज....

11 05 2017

औझका डायरी
वंशीधर जी नइ रहला ,हुनका यादि करैत कलम रूकैत अछि आ कलम रोकला सँ घोर कृतघ्‍नताक बोध होइत अछि । गंभीर मुसकियान आ आद्यांत विनम्रताक संग एकटा दुर्लभ प्रजातिक लोक ।सहजताक सर्वसुलभ उदाहरण आ सुशीलक मानदंड.......विनम्र श्रद्धांजलि ।

22 05 17

औझका डायरी
उमेर लगभग सत्‍तर साल । भोरे भोर पांच बजे उठनए ।नित्‍यक्रिया उपरांत एकटा चाय ।टहलैत-टहलैत दूध आननै ,फेर एकटा चाय ।कनेक योग , मोन कें संतुष्‍ट करै वला एक्‍सरसाईज (देह कें नइ) ,दू-चारि टा भक्ति गीतक आनंद पुरनका फिलिप्‍स रेडियो सँ ।सतुआ पीनए ।चौक दिस घूमि के दस खिल्‍ली पान खरीदनए , दिन भरि चबेनए ।दस-ग्‍यारह बजे स्‍नान फेर भोजन ।लगभग दू घंटा अराम एही बीच किछु फिल्‍मी गीत आ किछु मैथिली लोकगीतक आनंद,फेर उठनए ,दरभंगा रेडियो स्‍टेशन खूजबाक प्रतीक्षा ,एकटा चाय ,तीन-चारि टा गीत ,कम सँ कम चालीस साल पुरान होए ,रौद कम हेबाक प्रतीक्षा ,छाहरि बरहैत देखि आंगन सँ बाहर भेनए ,मंदिर दिस ,चौक दिस ,तरकारी दुकान दिस एक घंटा बीतेनए ,फेर सौंझका सात बजे वला समाचार सँ पहिले गाम पर एनए ,समाचार सुनैत या मैथिली गीत सुनैत फेर एकटा चाय ,एकरा बाद प्रादेशिक समाचारक तैयारी आ एकटा चाय ,बीच मे कुनो बच्‍चा (बेटा या पोता) क’ फोन आबि गेलै त’ बतियेनए ,मां संग कुनो पुरनका बातक चरचा ।आब साढ़े आठ बाजि रहल अछि ,भोजनक तैयारी चलि रहल छैक ,तीन टा पुरनका गीत दरिभंगा या पटना स्‍टेशन सँ.....,आब सुतबा क’ तैयारी ,तमाकू ,मच्‍छरदानी आ पानिक गिलास......।यदि ई रूटीन चलि रहल छैक त’ बूझियौ सब ठीक-ठाक चलि रहल छैक ।
दिनांक
22 05 17

Tuesday 9 May 2017

औझका डायरी

औझका डायरी
ऊ कुटुम बनै वला छथिन ,मुदा दूर सँ टेलीस्‍कोप सँ आ लगीच मे माइक्रोस्‍कोप सँ निहारै छथिन ,निहारै नइ निरीक्षण करै छथिन ।निरीक्षणक आधार-विन्‍दु प्रेम नइ ,स्‍नेह नइ ,बस एक-दोसर कें नीच्‍चा देखेनए ।हरेक हाव-भाव ,गतिविधि ,बात-चित अहंकार सँ भरल ,हम छी नमहर त’ हम छी नमहर ।विद्वता ,योग्‍यता ऐ ठाम ब्रेकर बनि के ठार छैक ।जे हाथ नमस्‍कार मे उठै लेल रहै ,से हाथ उठै छैक दाग देखाबै लेल ।ओ सब किछु जानै छथिन(अ सँ ज्ञ तक).....ओ सब किछु बूझहै छथिन ,ओ पूरा दुनिया देखने छथिन ,हुनका रंग-रंगक आदमी सँ परिचय छैन ,ऊ आदमी कें देखे क’ चीन्‍ह जाइ छथिन.....।यैह गर्वोक्ति ,यैह अंडरस्‍टेंडिंग हुनका सहज बनेबा सँ रोकै छैक ।ऊ बुझथिन ,जरूर बुझथिन ,ताबत बह’ दियौ ,एखन बागमती मे बहुत पानि छैक ......
10/05/2017