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Sunday 6 November 2011

बस तीने दिन

लागि रहल पटना दरभंगा
 तीन दिन लसेर अओ
जुटि रहला बड़ बड़ महन्‍थ
सेर केओ सवा सेर अओ
सुनु सुनु रंगबिरही बाजा
वौआ पटना कक्‍का झाझा
पाउडर काजर खूब लगेने
कविक राग बहेर अओ
 लस्‍सी पेप्‍सी मुरगा माछक
 पन्‍नी शीशी  हड्डी कांटा
 लागि रहल अछि ढ़ेर अओ
 बस तीने दिन जय विद्यापति
 जय मिथिला के फेर अओ
फेर वौआ तहिना दिन रहतइ
कानिपीट के भाग पड़ेतइ
जगत जानकी सासुर बसतइ
बस तीने दिन दिनक फेरा

बिसरत सब नरहेर अओ

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर रचना अछी.
    लिखनाई जारी राखू...

    सत्यमवदा मिश्रा
    http://satyamvadamishra.blogspot.com/

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