Followers

Tuesday 15 May 2012

बामे गाम दहिने गाम


बामे गाम दहिने गाम




1 बागमती आ करेहक बीच ठाढ़
ई कोन चीजक पहाड़
हयौ कविकुलगुरू
ई अहांक धर्मदण्‍ड नइ
जे धरती के क्षणेक्षण नापैत हो
ई थिक हम्‍मर गाम
ताकैत चारूदिस
इतिहासक अखण्‍ड आवागमनक साक्षी बनि
तौलैत ब्रह्माण्‍डक पानि
कखनो झुकि जाइत बागमती दिस
कखनो करेह दिस
ले ...ले...तू ले
जेकरा काज हो जलक
ई पानि केवल हाईड्रोजन आ ऑक्‍सीजनक यौगिके नइ
मोनक पानि
आत्‍माक पानि सेहो
केवल मुंहक पानि नइ कालिदास
 आत्‍माक पानि मरै नइ
बस एतबे लेल ठाढ़ ई करियन गाम
ई गाम जानै छैक
पानिक मोल
तीन-चारि सौ फीट नीचा
कअल ईनार
गाम जेकर कुरसी बनल
बाभन,कुरमी,धानुक
गुआर दुसाधक हड्डी सँ
सूरखी चूना बनि
माटि मे मिलैत गेलै
आ पहाड़ बरहैत गेलै
एत्‍ते ऊंच....
एत्‍ते ऊंच....
कि नेपाल ,तिब्‍बत ,चीन मिलिओ के
नइ डूबा पाबैछ करियन गाम


2 धनि जिरात धनि जिरात
के नापै तोहर ऊर्वरता
के जांचै तोहर जोस
बस एक बेर सम्‍हरि के उपजि जो
खुआ देबै पूरा दुनिया के
एक सांझ सोहारी
तीमन तरकारी
आ बता देबै
झिकुटी क मोल
आ बस एके बेर
सम्‍‍हरि के फरि जाइ
खुटेरी बाबूक गाछी
कलकतिया मालदह फौजली
आ बीज्‍जू क असंख्‍य वर्णरस
आ ई गंध फैलैत चलि जाइ
दूर खूब दूर
पूब दिस ...पूब दिस
सहरसा ,पूर्णिया ,कटिहार
आ ओहियो सँ आगू
जत सँ बाबा आनै छथिन
लाल-लाल झूमका
.........
ओ गीत
ओ सपना ...आ ओ जिनगी
जुड़ाइत रहै ...जुड़ाइत रहै



3
उदयनाचार्य तऽ नहिये छथिन
मुदा आचार्य लोकनि सँ जक-थक गाम
इसकूल मे परहैत परहाबैत आचार्य
हअर नेने कनहा पर
आडि़ तोड़ैत बालि नोचैत आचार्य
जजाति काटैत गारियो दैत
बँटैया वला अधहा सँ चौथाई बनबैत आचार्य
श्राद्ध मे वियाहक ,वियाह मे श्राद्धक
उल्‍टा-पुल्‍टा मंत्र परहैत
भोर पुतौह सांझ भाबौह के
चुट्टी काटैत सोहराबैत आचार्य
कष्‍ट काटैत जोगबैत बनबैत
बेटा कें परहाबैत पटना दिल्‍ली
नोकरी करत वियाह करब
तिजौरी के साफ करैत आचार्य
हम हमही बस हमरे टा अछि
देखबैत सुनबैत आजुक आचार्य
केओ एक-दू श्‍लोक
किताबक नाम एक-दू
प्रसंग सही गलत
दोहराबैत तेहराबैत आचार्य ।


4 चन्‍दा चूटकी क बाउल सीमेंट
चूना सूरखी लेपैत
एकटा गोर दक्‍क संगमरमरिया मूर्ति आनि
जग जीत लेलकै हम्‍मर गौंआ
मूरती क
मुंह,आंखि बंद करैत
बैसल मुद्रा मे
मूरती के शुभ क्षण मे स्‍थापित करैत
एकदम सक्‍कत सीमेंट सँ
हे आचार्य उठब बैसब नइ
आ दू कुइंटल लोहा क ग्रिल बान्हि
हे आचार्य निकलब नइ
आ मूरती क हाथ मे एकटा किताब राखि
हे आचार्य दोसर पोथी नइ मांगब
आ मूर्तिस्‍थापना क बरखी मनबैत
हे आचार्य आन दिन यादि नइ करब
एक लाख ईंटा सँ बाउंडरी बान्हि
हे आचार्य एमहर ओमहर बौएनए बंद करू


5
हे महाकवि यात्री
एक दिन हमरो गाम आबू
बैसू एक पहिर
रूकू कनेक काल
बतियाउ राति भरि
वैह बेनीपुर ,बहेड़ी टपैत
बरियाही घाट पार करैत
दू कोसक चौरस हरियरी मे डूबल
 मिथिलाक ऐ भूखंड के थाहैत
पहुंचू हमर गाम
जत सूतल हजार बरिख सँ एकटा महावृद्ध ।
आबिते बात सुनिते अहांके
बूढ़बाक हजार बरिस पुरान हड्डी मे
फूटि उठतै नवपल्‍लव
मिथिलाक भूगोल मे फैलल
ओकर छाउर
सांद्रित भ धनधान्‍य सँ भरि जेतै
गामक आम मौह गाब लागतै मधुर संगीत
मज्‍जर टिकुला ऐंठतै कोयली क कान
ओहुना विद्यापतिनगर ,चौमथा ,झमोटिया क यात्री
एक कोस पश्चिमे सँ बदलैत बाट
बचैत करियनक झिकुटी सँ
बनाबैत सुगम सुविधासंपन्‍न यात्रा
मुदा देखिते अहांके बूढ़बा
यादि कर
लागतै ओ महायात्रा
आ समाज ,इतिहासक ओ क्षण
धर्मदर्शन मे लपटल ओ कालखंड
यद्यपि अहांक विचार अलग
आ बूढ़बो एकदम अलग
तैयो ई भेंट
सधारण नइ हेतै
सधारण नइ......

6
भगवान जगन्‍नाथक ऐश्‍वर्य के ललकारैत ई गाम
डूबि रहल अपन छोटपन मे
संस्‍कृत बूझबा सूझबा
बाजबा बतियेबाक अहंकार
आ अहंकार क
कतेको वृत्‍त
ठोप चंदने तक रूकल ठमकल


किछु वृत्‍त एक-दोसर मे घुसियाइत


नोकरी ,कुल ,जमीन ,पैसा आ बुद्धिक वृत्‍त

आ सब घर मे एकटा मास्‍टर हेबाक
दस सँ पांच तक पढ़ेबा


आ नइ पढ़ेबाक ओतबे पुरस्‍कार

महीने महीने दरमाहा उठेबा

आ एकटा लिमिटेड दुनिया मे रहबाक खतरनाक संस्‍कार

तहिना पूजापाठ ,गपशप ,दैनंदिनी

नव-नव अहंकार गाम के घेरि रहल

के कत्‍त कमाए छैक

सरकारी आ बिन सरकारी

एक नम्‍मर आ दू नम्‍मर


बाउग कम काटए क
बेशी हूनर

बैंक मे अस्‍पताल मे

ठीकेदारी सँ

चोरि छिनरपन सँ......

गामक अहंकार त वैह छैक

बस ओकर हुलिये बदललै
आ वौआ जत
रहै छें

जे करै छें

बस कमाइत रह

आ अहंकारे संग बढ़बैत रह

खोपड़ी सँ खपड़ा एकचरिया

पक्‍का दूमहला

तीनमहला ,चरिमहला.......

Sunday 13 May 2012

विधा ,विद्या आ विषय

विधा ,ज्ञान आ विद्या क' एक-दोसर सँ ऊंच हेबाक चर्चा आ विवाद नवीन नइ ।सब के आनंदित करबैत ,तुष्टिकरण के अपनाबैत ई कहल जाए जे सब विधा एके रंग ,सब बड्ड नीक ,ईहो बात कोना ठीक भेल ।ओना कोनो कोनो विधा अपना समै क' प्रतिनिधि विधा होइत छैक ,ई एहन विधा होइत छैक जे अपन समय आ परंपरा क'सर्वोत्‍कृष्‍ट प्रतिनिधि होइत छैक ,केवल तथ्‍य आ विवरणक दृष्टिए नइ रचनाशीलता क' दृष्टि सँ ।मैथिली मे ई विवाद सेहो जहिं तहिं फैलल अछि ,सविस्‍तार सब प्रसंगक विवेचन ,विश्‍लेषण सँ रहित ,प्राय: एक दोसर पर कादो छाउर फेकैत ।किछु विधा एहन होइत छैक ,जइ मे विशेष नम्‍यता ,लोचगर ,नमरै वला ,ओइ मे जे राखि देबै ,ठूसि देबै ,सजा देबै सब नीक जँका रहत ।प्राचीन आ मध्‍यकालीन साहित्‍य मे महाकाव्‍य एहने छलै ,मुदा युग ,समै क' जटिलता ,बदलैत मनोवृत्ति आ विधा विषयक अंर्तप्रवेश्‍यता क' संगे संगे उपन्‍यास ओकर स्‍थान ल' लेलकै ।वर्तमान समै मे उपन्‍यास युगक प्रतिनिधि विधा अछि ,जे नाटक ,कथा ,कविता ,संस्‍मरण ,पत्र ,यात्रावृतांत सब के अपना मे समेटैत अछि ।कोनो विधा एकरा सँ बाहर नइ आ जे एकरा सँ बाहर ओ विधे नइ ।अपन विवरणात्‍मकता आ तथ्‍यात्‍मकता सँ उपन्‍यास आनोआन विधा कें सेहो अपन रसगंध सँ लसरिया रहल अछि ।सभ्‍यता क' सबसँ आह्लादकारी क्षण ,सबसँ मनोरंजक बात ,सबसँ बेशी चिंतन-मनन आ सबसँ बेशी रचनात्‍मकता क' एक साथ समेटने उपन्‍यास वा कथा साहित्‍य सबसँ आगू चलि रहल अछि ।आजुक बितैत क्षण के जे विधा सबसँ बेशी कसि के ,सबसँ नीक एंगिल सँ आ रत्‍ती रत्‍ती के पकड़ैत अछि ,वैह विधा उपन्‍यास थिक ।
एक बात आर स्‍पष्‍ट अछि जइ जातिक सबसँ प्रतिभाशाली लोक जइ विधा के सम्‍हारैत छथिन वैह विधा प्रतिनिधि विधा होइत छैक ।ओहुना साहित्‍य प्रतिभा सँ बेशी ,व्‍युत्‍पत्ति आ अभ्‍यास सँ कम चलैत छैक ।पहिले प्रतिभा ,व्‍युत्‍पत्ति बाद मे ,विधाक प्रश्‍न त' आर बाद मे ।आ प्रतिभा की अछि नव वस्‍त के स्‍पर्श करबाक योग्‍यता ,ई जेकरा मे छैक वैह छैक ,ओ गीत लिखतै ,गजल लिखतै ,कविता लिखतै ,कथा लिखतै ,सरस्‍वती ओकरे छथिन ।र्अ विवाद शीघ्र समाप्‍त होमै वला नइ मुदा हम अपन बातक समाप्ति लोंजाइनसक चर्चा सँ करैत छी ।प्‍लेटो आ अरस्‍तू क' हल्‍ला क' बीच पाश्‍चात्‍य साहित्‍य हिनका पर ध्‍यान नइ देलक ,तें ई लगभग दू हजार साल तक साहित्यिक परिदृश्‍य सँ लुप्‍त रहला ,मुदा हिनकर हेराएल पुस्‍तक प्रकाश मे आएल अछि ।आ हिनकर आलोचनात्‍मक चिंतन कें पूरा आदरक साथ स्‍वीकार कएल जाइत छैक ।लोंजाइनस महोदय कुशाग्रता सँ रचनाशीलता क' वाम-दक्षिण पक्ष कें स्‍पष्‍ट केलखिन आ विधा ,ज्ञान आ विषयक सीमा कें तोडि़ एक-दोसर विद्या के छूबा ,सटबा आ समेटबा पर बल देलखिन ।

Friday 11 May 2012

जखन पूरा राज्‍य मिलि के पचास लाख रूपया जुटेलकए ,तखन मंत्री जी बड्ड नीक जँका हमरा सब के केबिन मे बैसबैत छलखिन ,आ केवल नौकरिए नइ आन आन चर्चा सब सेहो करैत छलखिन ।कखनो साहित्‍य ,कखनो दर्शन कखनो फिल्‍म .....आ राजनीति क' चर्चा त' एकदम नदारद रहै ।मुदा जखन अपन हिस्‍सा भेंट गेलेन ,तखन हमरा सभक काज मे रूचिक बाते छोड़ू फोनो उठेनए छोडि़ देला। एक दू महीना प्रतीक्षे मे बीतल ,फेर विधानमंडलक कतेको दिन ,सत्र बितैत चलि गेल .......बड हिम्‍मत केने एक दिन हम दू-चारि आदमी ओहि ठाम पहुंचलउ आ गार्ड के पैर-हाथ पकरैत अंदर गेलौं ।मंत्री जी बहुत गंभीर छला ,ओना पानि-चाय एलै आ चाय पी लेला क' बाद मंत्री जी कहलखिन
'एगो चीज बताबू ,डॉक्‍टर ओइ ठाम जाइ छियै ,अपन बेमारी बतबै छियै ,डॉक्‍टरो अपना भरि जांच करैत अछि आ दवाइ लिखैत अछि ,आब ई कहू जे यदि अराम नइ होइत अछि ,दर्द होइते रहत तखन की डॉक्‍टर सँ फीस वापस मांगबै ? '

Sunday 6 May 2012

गजल

अहाँ के देखब जे नै आब कोना क’ रहब
दूर अहाँ छी चलल आब कोना क’ रहब

मेह झहरैत छलै नेह बरसैत छलै
यादि ओ शूल बनल आब कोना क’ सहब

दिन महिना छोडू बरख बितल कतेक
चोट देलिएै एहन आब कोना क’ सहब

बुझि सकलौ ने हम प्रीत जे तोडलौं अहाँ
आगि बिरह'क कहू आब कोना क’ सहब

सूगा मैना जकाँ छल खीसा प्रीत'क अपन
खाली पिजरा देखैत आब कोना क’ रहब

रँग कतेक छलै उमँग ओ कतेक छलै
मोन जे बेरँग भेलै आब कोना क’ भरव

धधकैत जरितौं जे हम त नीके होइतै
घूर'क आगि जेहन आब कोना क’ जरब

बाढि नोर'क नै रुकल छवि बचाउ कोना
हमर आँखि मे अहाँ आब कोना क’ रहब

डी0एम0 एलै ,ज्‍वाइन केलकइ ,दू -तीन दिन बितेबो केलकइ ,मुदा चपलूस सब के क्‍लू नइ मिललै ,कोनो क्‍लू नइ......नाम केहन त' उमेश कुमार .....बूझियौ ने ई कोन नाम भेलै ,नामक अंत मे न झा ,मिश्र ने सिंह ने यादव ने राम .......आब बात कोना बरहाएल जाए .....कनेक टेस्‍ट त' पता चलै ।शाकाहारी रहतै छल तखन दूध ,दही ,फल,मिष्‍टान्‍न सब भेजिबेतियै आ मांसाहारी क' सॉलिड पता चलै तखन मुर्गा ,बकरा ,मांस ...भेड़ ,सुगर जे पसिन्‍न पड़ै ,मुदा ई सरबा त' कोनो लिंके नइ मिलैत अछि ।विनय बाबू कहैत छथिन जे एकटा बकरा के गरदनि मे बोतल बान्हि के कलेक्‍ट्रेट मे छोडि़ देल जाए ,आ देखल जाए जे ओकरा संग की व्‍यवहार होइत छैक ,किछु आदमी अपन पुरनका किताब ,डायरी सब झाडि़ पोछि रहल छथिन ,पता नइ डी0एम0 कहौं साहित्‍यक प्रेमी होए ,मुदा सब के भरोसा संजय पर छैक ,आ निश्चितरूपेण दू-चारि दिन मे संजय किछ ने किछ पता लगाए के रहतै ,वाह रे संजय.......।आ डी0एम0 एहने खरकट्टल बदमाश कि पता नइ चल' द' रहल छइ कि ओकरा मोन मिजाजि कत' सँ कोन चीज सँ मिलैत छैक ,से वौआ युद्ध जारी छैक......

जें की सरकार बदलत ,पूराक पूरा कर्मचारी ,अधिकारी सभ बदल' लागत ,छिपली आ मटकूरी मे नइ ढ़ाकी क' ढ़ाकी । आ ई कोनो आश्‍चर्यक विषय नइ , तें जत्‍ते जल्‍दी संभव होए अपना मून सँ आश्‍चर्य कें विदा करू ।...परेशान जुनि हो ,बात बूझबा क' प्रयास करियौ , केवल भ्रष्‍टाचारक बात रहितै ,तखन एकर निंदा ,आलोचना आ अन्‍य काज कएल जा सकै छलै ,मतलब ? मतलब ई जे सरकार जे आश्‍वासन देलकै ,सच वा झूठ तकरा पूरा करबाक लेल आदमियो चाही ने ,आ फेर अहॉ ई नइ कहियौ जे आदमी क' मतलब ई नइ भेलै जे जातिक बहुलता देखि के डी0एम0 आ एस0पी0 नियुक्‍त कएल जाए ,मतलब दरभंगा मे कोनो ब्राह्मण ,मधेपुरा मे यादव आ बेगुसराय मे भूमिहारे पात्र छैक ,से बला बात उचित नइ ....... आ देखियौ केवल जाति ,घोषणा ,नियुक्ति पर विचार केनाए छोडि़ एगो आर चीज पर ध्‍यान दियौ कोनो चुनाव मे जे करोड़ो अरबों रूपया खर्च होइत छैक ओ कोना ऊपर हेतै ,ताहि लेल ट्रांसफर ,पोस्टिंग सबसँ फिक्‍स्ड इनकम बला काम बूझू ।कोनो कलक्‍टर पांच साल लेल चारि-पांच करोड़ द' सकै छैक आ नजदीके कोनो चुनाव होए तखन त' दस करोड़ ,तखन ई काज किएक ने कएल जाए ? हल्‍ला गुल्‍ला कम आ काज मालदार ।जें की नबका सरकार बनत चपरासी सँ ल' के कलक्‍टर तक पूछरी हिलेनइ शुरू क' देत ,तखन कोन दिक....बजाबियौ ,कने गरदनि ,पीठ सहला दियओ ,तुरत्‍ते पनहाएल गाए जँका दूध दूहबए लेल आफनि तोर' लागत ।

Friday 4 May 2012

गजल- भास्कर झा


लाज करैत जं बात जे करबै , निरलज हम करबे करब
आंखि नुका कए जौं अहां देखब, नैनक ताप सहबे करब ।

सखी बहिनपा संग चोरबा नुक्की, खेलैत काया कितकित
एना करब जं सदिखन खेला, प्रेमक खिस्सा कहबे करब ।

कोमल अंगसं फ़ुटैत तरेगन, करेज इजोरिया भेल दपदप
नैसर्गिक सौन्द्रर्य देखि कए, गजलक पाति लिखबे करब ।

मधुर भाव के गाम बनल जौं, रचनाक मन मचान बनत
आसीन भए शान्त -प्रान्त में, सुन्नर दृश्य देखबे करब ।

----------------------------भास्कर झा 04/05/2012