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Wednesday 7 March 2018

फलां बाबू

फलां जी कवि बनै लेल चलि गेला एकदम उत्‍तरांत मे
ओ सागरमाथाक एकटा चेंपा ल'ए के घुरता
चिल्‍लांजी आलोचक बनबा लेल चलि गेला जत' सँ दच्छिन प्रारंभ होए छैक

आब ओ दछिनबरिया ध्रुव पर फहराबैत झंडाक फोटो ल'ए के घुरता
आ चिरंजीवी बौआ बनि गेला सबसँ गहीर संपादक
धरतीक केंद्र ढ़ुरहैत ढ़ुरहैत
आब धरतीक गुरूत्‍व पचेलाक बादे लौटता

तहिना ओ चलिते गेलखिन चलिते गेलखिन पछबारी दिशा मे
आ ओ सब किछु बेचिए क' दम लेता
आ दोस हम्‍मर रसायनक बोरा संग कूदि गेलखिन समुद्र मे
समुद्रक प्रकृति बदलिए के ओकर ओकाति बतेथिन
हुनकरो एकटा दोस राखने डिटर्जेंटक बोरा मुंह मे
ओ सोखने जाइ छथिन शब्‍द ,सपना आ बुलबुल्‍ला
तें ई पूरा दलान खाली छैक
आबू 
सबसँ सधारन वाक्‍य  आ सोलह आना आत्‍मविश्‍वासक संग