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Saturday 26 March 2016

कखनो गंधक रहै कखनो जस्‍ता रहै

एत्‍ते नाजुक आ खस्‍ता रहै
अलावे टूटै के कोन रस्‍ता रहै
आशा लगेने छलै दुनिया जहान
ऊ आदमी नइ बुकनीक बस्‍ता रहै
ओकरो मून मे लोहा कखनो
कखनो गंधक रहै कखनो जस्‍ता रहै
देह के पोसने रहियौ खिरहैर
जनीजातिक पसेना बस सस्‍ता रहै

Wednesday 16 March 2016

कवि छियौ हंसेड़ी नइ

कवि छियौ हंसेड़ी नइ
टका मे दू पसेरी नइ
बूझबौ गुणबौ कहबौ
दू चुरू क' नशेरी नइ
लिखबौ सारिल-सक्‍कत
मुनिगाक' चेरा-चेरी नइ
रहबौ सीमाने मे
आइरक फेरा-फेरी नइ

Tuesday 15 March 2016

वाह रे झा जी(आफिस5)

आ जे काज मिश्रा जी नइ केलखिन से झा जी क' देलखिन ।वाह रे झाजी ,एकदम नगाड़ा बजा देलियइ आ सिंह कैम्‍प मे एकदम नैराश्‍यक स्थिति ।मिश्राजी जे बाजियो के नइ केलखिन ,से झाजी बिन बाजने सुतारि देलखिन ।एकरा कहै छै आदमी क' मतलब आदमी ,मुंहक मतलब मुंह ,हाथक मतलब हाथ आ जे कैह देलियौ से क' देलियौ ।ई भेलै ने ....आ ईहो देखियौ जे आदमी लोकल नइ ,पचास किलोमीटर दूर दरभंगा के आ मधुबनीक किला पर फहिरा देलकै धूजा ।आ पूरा दरभंगामंडली पुलकित ,पुलकित ब्राह्मण वर्ग आ आशान्वित कलक्‍टरी क' खबरी-छिनरी सब ।आ रंग-रंगक खिस्‍सा कि झाजी कैह देलखिन 'केवल अाहीं टा कमायब' कि 'केवल आहींटा क' घर-परिवार' कि 'केवल आहीं के गानै मे मून लागैत अछि ' आ पता नइ की झाजी कहलखिन आ की सिंहजी सुनलखिन ।पता नइ दूनू मे की बात भेलै ,ओना दूनू आदमी अपन-अपन कैम्‍प बनेबाक प्रयास जरूर केलखिन ,मुदा बहुत सफलता नइ भेलेन ।जे सीरियस आदमी सब रहथिन ,ऊ परिणामक साफ-साफ अनुमान केलखिन आ बहुत दूर नजरि फेकैत साफ-साफ देखलकिखन कि दूनू मे संघर्षक कुनो संभावना नइ आ स्‍पष्‍ट बूझल गेलै कि किमहरो गेनै मतलब अपन पहचान डूबेनए आ एहन स्थिति मे गुटनिरपेक्षता सदैव काम्‍य होइत छैक आ वाह रे कलक्‍टरीक बुधियार इंस्‍पेक्‍टर आ कर्मचारी वर्ग ओ किमहरो नइ गेलै ,ओ किछुओ नइ सुनलकै ,ओ किछु नइ निर्णय लेलकै ।ओ सुनितो आगू निकलि गेलै...........


                                                          आ बहुत जल्‍दी सिंह-झा संधिक अघोषित परिणामक लिस्‍ट बजार मे बिकाइत भेटलै ।तू ले कलुआही आ हम लइ छी जयनगर ,दूनू आदमी भरि मून चर ।अपन-अपन पेट आ अपन-अपन जीभक' रक्षा कर ।तू बाभन सब के पोट हम राजपूत के पोटैत छी ।बहुत जल्‍दी खुलबाक आवश्‍यकता नइ ,बहुत दोस्‍ती देखेबाक जरूरी नइ ,बहुत भेंट करबाक कोन प्रयोजन ।से अपना-अपना खुट्टा पर टीकल रह , अपना खुट्टा पर सँ खूब लथाडि़ मार ,खूब सिंह भांज ।एना के  सिंह भांज कि मालिको (हाकिम)तक डराइ ।आ यैह भेलै कि हाकिम तक डराइत रहलखिन कि यदि एकर सबक अधिकारक्षेत्र मे किछु परिवर्तन करबै त' कत्‍तओ सँ फोन आबि जायत ।

                                 आ अहां झाजी सँ भेंट करियौ ,त' ओ आनी-मूनी स्‍टायल मे भांजता 'सिंह जी देखेबो केला' ।
अहां कहबै 'नइ' तखन फेर हफियाइत पूछता 'ओमहर गेल नइ रहियइ' ।
अहां यदि फेर कैह देलियइ 'नइ' तखन ओ आश्‍वस्‍त होइत कहता 'हां ठीके अछि अप्‍पन काज सँ मतलब रखबाक चाही ।'
मतलब झाजीक साफ छैक 'अहां सब सिंहजी सँ नइ भेंट करियौ ,एकांत मे त' कखनो नइ ।आ नइ भेंट करबै त' बातचित नइ हैत ,बातचित नइ करबै तखन सेटिंग-गेटिंग नइ हैत आ ई सब झाजीक लेल खुशखबरी आ भेंट करबै त' झाजी क' एकटा स्‍टार कमि जेतै । भेंट करबै त' सिंह-झा -पालिटिक्‍स केर गोपनीयता संकट मे पड़तै ,ऐ राजनीति क' बौद्धिक पेटेंट खतम भ' जेतै ।' जेना सिंह जी तेहने झाजी जाति-जिला फैक्‍टरक प्रयोग करैत छथिन ,तें दूनू गोटेक बासन आ औजार अलग-अलग ।झाजी सेहो सिंहजी क' विरोध ऐ अंदाज मे करता कि समस्‍त ब्राह्मणक लेल सिंहजीक रहनै खतरनाक आ झाजी अपन किछु चलाकी ,किछु क्षुद्रता ,किछु बाताबाती कें एना प्रस्‍तुत करैत छथिन जेना ब्राह्मण जाति ,दरभंगा जिला ,बहेड़ी प्रखंड आ करेह नदीक उद्धार आब जल्दिए भ' जेतै ।बस अहां सब झाजी जिंदाबाद करैत रहियौ ।

                                                              झाजी अपना आप के बड़का विद्वान मानैत छथिन ।आ अपना सँ नमहर अपना भाय कें आ भाय सँ किछु बेशी अपना बाबा कें ।भाय एकटा विश्‍वविद्यालय मे प्रोफेसर छ‍थिन आ बाबा स्‍वतंत्रता सेनानी रहथिन ।बात कत्‍तौ सॅं उठलै ,आबि के गिरतै भैया पर ।वेद आ कुरानक लाईन सँ बात शुरू भेल होय ,मुदा खतम हेतै भैया झा पर ।आ ई खतम होय के पावर भैया झा के लिखल समान मे होय भाय नइ होय छोटका झा के ठोरठोरई मे जरूर छैक ।आ सिंह जी के कलुआही लूटबाक छेन ,से ओ बिना शर्त झाजीक बौद्धिकताक समर्थन करैत छथिन ।यदि केओ झाजीक बौद्धिकता पर निशान लगाओत त' सिंह जी ओकर भक्‍शी झोंकि देथिन ।सिंह जी चाहैत छथिन कि झाजी बौद्धिक बनबाक निशां मे मधुबनी छोडि़ के दरभंगा चलि जाए ,मुदा हाय रे सिंह जी झाजी एकदमे उनैस नइ छथिन ,हुनका कवि नइ बनबा के ,हुनका विद्वान नइ बनबा के ,हुनका अजर-अमर नइ बनबा के ,हुनका कालजयी नइ बनबा के ,आ यदि कालजयी के मतलब किछु होयत होए त' ऊ दू-चारि बिगहा अरजि के ,पटना-दरभंगा मे एक-दूटा घर बनाके हुुअ' चाहैत छ‍थिन ।कालजयी मतलब ई नइ कि अहां के एक-दूटा किताब छपि गेल आ दू-चारि टा लोक अहां पर लिख देलक ।कालजयी मतलब ई जे तीनमहला क' ऊपरका महल पर संगमरमर सँ लिखल फलां झा तीन-चारि पीरही तक जगजगार होयत रहै ।

                                                    आ ऐ ठाम सब अपना-अपना हिसाबें कालजयी भ' रहल अछि । सिंहजी क' दू टा प्‍लॉट पटना मे एकटा दरभंगा मे आ एकटा समस्‍तीपुर मे ।मधुबनी मे जइ मकान मे रहि रहल छथि से सारि क'नाम सँ ।दुनिया सारि आ सारिक प्‍लॉट ...दूनू के सिंहजीक मानैत अछि ,मुदा सिंहजी सन ईज्‍जतदार आदमी ....च्‍चचच..झाजी एकटा प्‍लॉट दरभंगा मे आ एकटा पटना मे आ जल्दिए सिंहजी कें पाछू क' देथिन ।नेबोलाल पटने मे नइ दिल्‍लीयो मे एकटा मकान खरीदने अछि ,आ ओकरा सन भाग्‍य आ बहीन त' भगवान सबके देथिन ।बहिनोय एक्‍साईज विभाग क' बड़का अधिकारी रहथिन आ जीता-जी पचास-साठि करोड़ कमा गेलखिन ।घर-परिवार,स'र-संबंधी ,सबहक नाम सँ बेेनामी संपत्ति ,आ भगवानक लीला ई कि एकदिन दूनू प्राणी मे झगड़ा भेलै आ दूनू प्राणी गोली सँ आत्‍महत्‍या क' लेलखिन ।आ सब स'र संबंधी चुप्‍पी मारि गेलै ,केओ नइ कहलकै कि फलां जी हमरा नामे ई खरीदने रहला ।आ रंजन जी जइ दूमहला कें अपन बाबूजी क' नाम सँ बताबै छथिन ,तइ पर रंजन जी कें होमलोन मिलल छैक ।आ ई सब खिस्‍सा गोपनीय छैक ,तावते तक जावत तक कि दोसर के पता नइ चलैत छैक ,आ फेर दोसर सँ तेसर आ तेसर सँ चारिम ।आ ई सब खिस्‍सा तावत तक गोपनीय रहतै ,जावत तक सिंह डरेतै झा से आ झा डरेतै नेबोलाल से ।आ यदि एक्‍को टा मटकूरी फूटलै ,तखन सब फूटतै ....

                                    आब त' नबका-नबका अधिकारी सब सेहो आबि रहल अछि जिला मे ।अइ मे एकटा सिंहजी क' परिचित छथिन ,ईहो सिंह ,हिनका जूनियर सिंहजी कहल जाए ।जेना सिंह जे बाजै मे भटभटिया ,तहिना जूनियर एकदम चुप्‍पा ।पहिले सब के बूझेलै जे जूनियर मितभाषी ,संकोची छैक ,बाद मे पता चललै कि जूनियर मुंह मे पान,तमाकू आ सुपारी ठूसने रहै छैक ,मुह मे ,गाल मे ,ठोर मे  ।बेशीकाल ईशारे से काज चलेला ,बेशी जरूरी होए वा नमहर एमाउंट होए । बेशी काल मुंह खोलै छथिन -तीस ,चालीस या थर्टी , फोर्टी कहबा क' लेल ।आ कखनो कखनो खोलै छथिन नमहरका मुंह -पचास ,प चा स ।जल्दिए जिला बूझि गेलै कि जूनियर किछु मायने मे सीनियरो क' कक्‍का ।जूनियर रहै सिंहजी क' परिचित ,तें भैया...भैया....कहिते रहै हरदम आ टेक्‍नीक मे सेहो भैया के नकल करैत ,मुदा ऐ अधपक्‍कू नकल पर हँसबा के नइ शांति सँ बूझबाक जरूरी छैक ।


                                                                 जूनियर क' साथे एकटा आर चुप्‍पा आयल छैक ,एकर चुप्‍पी कनेक अभौतिक कनेक भौतिक छैक ।लेबा के, खूब लेबा के ,अहगर लेबाके ,बेर-बेर लेबाके ईच्‍छा एकरा मोन मे जागै छैक ,मुदा हाय रे ध्‍वनि तंत्र ,हाय रे बाजै वला सिस्‍टम सब ।मोन मे रहै छैक किछुआर ,निकलै छैक किछु आर ।मोन मे आबै छैक जल्‍दी लाऊ आ मुंह से निकलै छैक राखू ने बादे मे देब ।आ कखनो काल त' ईहो नइ निकलै छैक ।एकर ऊलझन सबसँ क्‍लासिक ।पइसा के सबसे बेशी जरूरी ,मुदा भ्रष्‍टाचारविरोधी आंदोलन दिस उन्‍मुखता ।अपनो हाल-चाल उजरल-उपटल ,मुदा दोशर कें फैदा पहुंचेबाक नीयत ,गरीब कें कष्‍ट नइ देबाक आदर्श ।वौआ दूनू चीज कोना साथ-साथ ल' के चलबहीं ।धनी-मनी सब देतौ नइ किछु आ गरीबहा के संग मे छइ नइ किछु ,त' बाज ने कोना काज चलतै ।जे देनिहार छैक ऊ नेता-मंत्री सब सँ फोन करा के काज करा लेतौ आ जे नइ देनिहार छैक से भुक्‍खल जिन्‍न जँका आफिसक बाउंडरी मे हँफिया रहल छैक ।ऊ बस हाथ-पैर जोड़तौ ,ऊ बस आर्शीवाद देतौ ,आ ऊ आर्शीवादो नइ देतौ ।आर्शीवाद देबाक प्रक्रिया मे एकटा हूनर छैक आ ई एत्‍ते गरीब ,एत्‍ते हियाक हारल छैक जे आर्शीवादो देबाक हूब एकरा देह मे नइ छैक ।आब बाज ने की करबीहीं ।
नया किछु नइ होय वला ,या त' बनही सिंहजी ,झाजी ,मिश्रा जी या फेर नेबोलाल ।सफलताक यैह सब किछु मॉडल छैक ।

Thursday 10 March 2016

नेबोलाल(आफिस3)

आ सिंहजी क' दहिना हाथ नेबो लाल ।दहिना नइ बामा ,किएक त' सिंहजीक सब घटिया काज नेबोलालक सलाह सँ ।दूनू गोटे एके पद पर आ नेबोलालक ऐ स्‍थान पर बहाली मे सिंहजीक विशेष योगदान ।कर्णजी क' बेज्‍जत क' के नेबोलाल कें आनबा मे सिंहजी क' पलानिंग सफल रहलै ।ओना कर्णजी के रहलो सँ सिंहजी क' अासन पर विशेष फर्क नइ रहै ,मुदा कर्ण जी कें बाजबाक बेमारी रहै ,कखनो -कखनो ड‍रितो -डरितो मुंह सँ किछु निकलिए जाए आ तहिए समै मे जिला मे आगमन भेल रहै श्री श्री 108 नेबोलाल जी कें आ बहुत कम्‍मे दिन मे नबका विभाग आ स्‍थानक जानकारी ,जानकारी नइ रेकिंग करबा मे सफल रहला श्री नेबोलाल जी ।नेबोलाल जी क' जाति क' विषय मे विशष जिज्ञासा नइ करू ।नेबोलाल जी जातिक मध्‍य मे छथिन ,ने बेसी ऊपर ने बेसी नीचे ।एकदम मध्‍यविन्‍दुु कहनै उचित नइ ,मुदा जातिव्‍यव्‍स्‍था क' एकदम संवेदनशाील स्‍थान पर जरूर छथिन ।तें एकदम ऊपरक आ एकदम निचलका क' लेल अद्भुत पंचाक्षरी गारि क' बेशी काल प्रयोग करैत छथिन ।एहन राष्‍ट्रीय गारि जे कश्‍मीर सँ ल' के तमिलनाडु तक एहिना हनहनाइत छैक आ जेकर अर्थ बूझबा मे कतौ भाषाक कोनो झंझट नइ ।तें नेबोलाल जी ऐ गारि क' संग बेसी आत्‍मीय छथिन ।नेबोलाल जी जानै छथिन कि ई गारि जे0एन0यू0 आ आई0आई0टी0 कानपुर सँ ल' के बिसफी आ बीहट तक ओहिना उपलब्‍ध छैक ।की बाम की दक्षिण ,की साहेब आ की अर्दली ।एकर अर्थक गरिमा सँ सब पराजित ।मुदा ई केकरो नइ पता चललै कि नेबाेलालजी ऐ गारी क' कोन पराक्रम सँ लुबुधल छथिन ।



                                                                             आ नेबोलालजी क' नियुक्ति मे हुनकर एकटा सद्य:जात झूठक विशेष योगदान रहलै कि हमरा बच्‍चा नइ ......बच्‍चा हेबाक लेल विशेष ओपरेशनक जरूरी ......ऐ ऑपरेशनक लेल सात-आठ लाखक जरूरी.......कनियाक बेडरेस्‍ट जरूरी......कनियाक हास्‍पीटल मे बेडरेस्‍ट जरूरी......।शताधिक बेर कहल ऐ वाक्‍य मे मात्र यैह टा सत्‍य छल कि हुनका एको टा बच्‍चा नइ रहेन आ एकर अतिरिक्‍त सब बात झूठ ।किएक त' बहालीक बाद नेबोलाल दू टा पुत्ररत्‍न कें जन्‍म देलखिन आ दोसर त' एकदम मधुबनिए मे भ' गेलै ।पहिलक लेल पटना प्रवासक एकटा सिचुएशन क्रिएट कैल गेल छलै ,मुदा दोसर बेर एकर जरूरी नइ बूझल गेलै ,किएक त' आब नेबोलालजी स्‍थापित भ' गेल रहथिन ।मुदा वौआ हम ने बिसरि जेबौ ,सिंह जी थोड़बे बिसरथुन ,हुनका सब किछु यादि छैन ,अपन गर्भ मे एनै सेहो आ एहियो सँ पहिले के बात सभ.......ऊ गिन-गिन के ,गाबि-गाबि के तोरा यादि करेथुन ।



                                                                  नेबोलालजी साल दू साल तक सिंह जी क' प्रति कृतज्ञ रहलखिन ,एकर बाद हुनकर धियान न्‍याय दिस गेल । सिंह जी किएक एते कमेता आ हम किएक कम कमाएब ।हुनका किएक एते मान-सम्‍मान आ हम की केकरो सँ कम आदि आदि ।ऐ तर्क मे सबसँ बेशी ऐ तथ्‍य पर बल रहै कि हम किएक कम कमाए छी ।आ ऐ गणितक क्षतिपूर्ति लेल नेबोलाल जी ओकील सबक दारूपार्टी मे बैस' लागला ।स्‍टाफ सबक सेटिंग शुरूा भ' गेल ।किछु सिंहविरोधी स्‍टाफ सबकें जातिक कैप्‍सूल खुआयल गेलै ।पूरा सप्‍पत आ पूरा ठोस आश्‍वाशनक संग ।कमीशन आ हिसाबक स्‍पष्‍ट उद्घोषणाक संग । आ किछु दिनक लेल सही मे नम्‍बर एक इंस्‍पेक्‍टर भ' गेल नेबोलालजी ।मुदा जातिक काउंटररिएक्‍शन शुरू भ' गेलै नेबोलालजी ।ऐ राजपूत बहुुुुल क्षेत्र मे राजपूत विरोधी अभियान कत्‍ते दिन नेबोलालजी ।आ जातिवादक विरोध एकटा नया जातिवाद सँ ।वाह रे वाह नेबोलाल जी.....


                                                         आ नेबोलाल जी लगभग दरजन बेरि मारि खेबा सँ बचल हेथिन आ ओतबे बेर ठोस शिकायतक संग ओकील साहेब लोग डी0एम0 ओइ ठाम प्रदर्शन केने हेथिन ।अंत मे नेबोलाल सिंहजीक लग सरेंडर केलखिन ।सरेंडरप्रस्‍ताव क' असली कॉपी हमरा लग नइ अछि ,नइ त' हम हूबहू बतेतौं छल ,मुदा जरूरी सवाल ओइ प्रस्‍तावक पाठन नइ ,ओइ आदमी क' चिन्‍हनइ छैक ।ओ आदमी कोन आदमी के नइ गरिएलकै ,कोन जाति के नइ ,मौका मिललै त' किछु क्षेत्र आ राज्‍य के सेहो ।एकरा लग ओकरा गरिएनए आ ओकरा लग दोसरा के ।ई पालिटिक्‍स नमहर नइ खिचाइ छैक दोस ।कतबो नेमारबए ,कतबो तीरा-तीरी करबै ,जल्दिए टूटि जायत आ टूटि के अपने मुंह मे लागत टूटलका रब्‍बर सन ।


                                    नेबोलालजी कें गारि दैत देखनए एकटा नाटकीय अनुभव छल ।हुनका मुंह सँ रूपैयाक लेल ,नीक समानक लील ,जवान स्‍त्रीक लेल चूबैत ...।आ नेबोलालजी कोन स्‍त्री कें कल्‍पना मे नइ भोगलखिन ।कोन मर्द कें कल्‍पना मे ईज्‍ज्‍त नइ लेलखिन ।कोन दोस कें कल्‍पना मे भीख मांगैत नइ देखलखिन ।आ नेबोलालक जादू जल्दिए खतम भ' गेलै ।लागै छैक जे नेबोलालक जादूक रहस्‍य बच्‍चा-बच्‍चाक पता चलि गेल छलै ......सिंहविरोधी गीतनाद जल्दिए खतम भ' गेलै ।सिंहजीक परिचित अधिकारी पटना सँ आयल छ‍लखिन ।आपात मीटिंग भेलै आ आन बातक अलावे नेबोलालक रसगर गाम टांसफर भ' गेलै ।ऐ ट्रांसफरक प्रभाव नेबोलाल साल-दू साल बूझलखिन ....बूझै सँ पहिले नेबोलालक टांसफर कैमूर जिला भ' गेल छलै ।नेबोलाल कें प्रोत्‍साहित कैल गेल छलै कि जाऊ बाबू जाऊ आनंदे मे रहब.....जत्‍ते पच्छिम तत्‍ते माल.....मुदा ई एकटा आर कथा छलै ।

Wednesday 9 March 2016

जाति-जजाति(आफिस मे-2)

रंजन जी क' सबसँ नजदीकी मित्र सिंह जी छथिन ।दू-चारि बेरक शीतयुद्ध छोडि़ दियौ ,दू-चारि प्रकरणक प्रतियोगिता कें बिस‍रि जाइयौ ,तीन-चारि टा हारजीतक संदर्भ पर धियान नइ दियौ ,तखन ई बात पूरा जिलाके पता छैक कि रंजन जी क' सबसँ प्रिय के आ सिंह जी क' सबसँ प्रिय के ।ई बात केकरो पता नइ छैक कि बेशी जरूरत केकरा छैक दोसर के ,ईहो पता नइ कि के केकरा सँ बेशी फैदा उठबैत छथिन ।ईहो पता नइ कि ऐ दोस्‍ती के बनेने रहबाक लेल के बेशी प्रयासरत छैक ,आ केएक सीमाक' बाद ऐ चीज कें इग्‍नोर करैत छैक ।मिला-जुला कें एकरा सामाजिक सहजीविता(सोशल सिम्‍बायोसिस) कहल जाए ,जीव विज्ञानक छात्र होयबा कें कारण हमरा दिमाग मे लाईकेन आबि रहल छैक ,पूर्णत: शैवाल आ कवक केर घालमेल ।केओ देह देने छैक त' केओ अपन हरियरी ।तहिना ऐ ठाम सेहो एकटाक दिमाग छैक आ दोसरक लंठई आ ऐ कंबिनेशनक परिणाम पूरा जिला भोगैत छैक ।

सिंहजीक लंठई छोट दिमाग मे नइ घूसि सकैत अछि ,किएक त' सिंह जी ओकील सँ ,किसान सँ आ परिवादक सँ ऐ हिसाब सँ मिलैत छथिन जे केकरो पता नइ चलत कि ऐ लंठक दिमाग मे की चलि रहल छैक ।परहल-लिखल संग परहल जँका आ मोटपसम लोक संग मोटपसम बात ।वाह रे सिंह जी ।बात लिय' त' विद्यापति सँ ल' के ज्ञानेंद्रपति तकक हिंदी कविताक मानचित्र सामने राखि देता ।इतिहासक बात करब त' ईसवी ,उद्धरण ,पृष्‍ठ संख्‍या आ स्‍टैंजाक बामा कात की दहिना कात सब बात कहि देता ।सौ -दूसौ टकाक कुनो बात होइ तखन अपन पर्स खोलि कें अहांके द' देता ।केकरो ओइ ठाम श्राद्ध होए ,बेटीक बियाह होए त' आदमी अप्‍पन गाड़ी क' के पहुंच जाए ,मुदा जेखन नमहर डीलिंगक कुनो बात होए तखन अपन पिताजीक पैरवी सेहो नइ सुनत ।एतबे नइ नियम-कानूनक अपन व्‍याख्‍या करैत ओ चाहता कि फाईलक क्रिया-कर्म भ' जाए ।

आ एहन विवादास्‍पद काज सब करबाक लेल बड़का करेजा केवल सिंहे जी मे भेटत ।आ सिंहजी क' करेजा मे कतेको आदमीक धमनी आ शिरा जुड़ल छैक ।डी0एम0 आफिसक चपरासी ,बाबू ,अधिवक्‍ता संघक अध्‍यक्ष्‍ -मंत्री,अखबारक संवाददाता-उपसंपादक आदि,आदि ।ऐ सब गोटे कें पता छैन कि सिंह जी की करैत छथिन ,मुदा की कहबै कहियो ने कहियो ई सब सिंह जी सँ उपकृत भेल छथिन ।आ विभागीय अधिकारीक बाते छोड़ू ,सबक फिज मे सिंहजीक रसगुल्‍ला ,एतबे नइ फ्रिज तक सिंह जी क' खरीदल ।केकरो रेलवे क' टिकस ,केकरो इसकुलक फी ,केकरो डाक्‍टरीक पर्चा .....सब सिंहजी क' जेबी मे ।एतबे नइ ऊपरका नेता-अधिकारी तक पैरवी करबाक हो ,ट्रांसफर करेबा आ रोकेबाक हो ,सबक हिसाब सिंह जीक संग ।

विभागीय अधिकारीक पहिल चाय आ अंतिम चाय सिंहजी क' संग ।बाकी टाइम मे सिंह जी की करथिन ,एकरा सँ केकरो लेबा-देबाक नइ ।अहां सिंह जी कें अपना कुरसी पर नइ देखि सकैत छियै ।मोटा-मोटी जातिवाद सँ दूर ,मुदा एहनो नइ कि जातिवादक उपयोग नइ करी ।अप्‍पन जातिक अफसर मिलि जाइ त' दूहाथ जाति-जाति सेहो खेल ली ।आ अप्‍पन कुरसी के बचेबाक हो ,केकरो सँ किछु छिनबा क होए त' 'जाति-जाति' किएक ने खेली । आ सिंह जीक बियाह सेहो एहिए जिला मे भेल छलै ,से किसान आ ओकील कें ई बात बताबै मे सिंह जी कंजूसी नइ करथिन आ ओकील साहेब सब आ किसान भाय सब ऐ संकेत के बूझैत सिंह जी कें निराश नइ करैत छथिन ।अहां सिंह जी कें जातिवादी कैह सकैत छियेन ,मुदा हुनकर द्वार पर आंहू केर स्‍वागत अछि ।अहां क' लेल जाति जाति हैत ,हुनका लेल जजाति छैक ,जेकरा मे जत्‍ते खाद-पानि देबै ,ओत्‍ते बम्‍फार फसल हैत ।मात्र खादे-पानि नइ ,सही समै पर कमौनी सेहो जरूरी ।कमौनीक सबसँ नीक समै भोर आ सांझ ।किछु बाजियौ आ किछु बजबाक मौका दियौ ,केखनो चाय-मिठायक संग केखनो खालियो हाथ.........

Tuesday 8 March 2016

दोस यौ दोस

ऑफिस मे हमर सबसँ प्रिय (हुनकर प्रिय हम नइ)मित्र रंजन जी के लेल धूस एकटा टेक्निकल मुद्दा छलै । आ घूस पर बतिआइत हुनका हम देखि अभिभूत भ' जाइत रहियै ।इतिहास सँ ल' के ,अर्थशास्‍त्र सँ ल' केे ,समाजशास्‍त्र सँ ल' के आ भारतीय आयोजन तकक समस्‍त जानकारी के पता नइ कोन-कोन सूय्या -डोरा ल्‍' के ओ सी दैत छथिन ,से पूछू नइ ।आ मिथिला के कथित रूप सँ सबसँ विद्वान जगह आ सबसँ नमहर माथ वला जगह सँ होयबाक नाते ओ बतहुत्‍थनो कम नइ करैत छथिन ।घूस क निशान ओ ऋग्‍वेद आ इलियड मे ढ़ूरहैत उत्‍तर आधुनिक सा‍हित्‍य तक आबि जेता ।चाणक्‍य ,अदम गोंडवी आ गुन्‍नार मिड्रल के उद्धृत करैत-करैत ओ एते भावुक भ' जेता कि अहां अपना-आपके घूस नइ लेबाक विभिन्‍न प्रसंग मे दोषी मान' लागबै ।


नहू-नहू बाजै वला रंजन जी खुरपी ,कोदारि ,हांसू सब राखै छथिन ।मात्र राखबे नइ करैत छथिन ,कत्‍त' कोन चीज चलाबी ,सेहो बखूबी जानैत छथिन ।केकरा लग जातिक संदर्भ ,केकरा लग क्षेत्रक ,कत्‍त' मिथिला वला संदर्भ राखी ,कत्‍त्‍' सेक्‍युलर बनी आ कत्‍त' राष्‍ट्रवादी ,एकर सर्वोत्‍तम प्रयोग देखबाक लेल अहां के दस-पनरह दिन रंजन जीक साथ रहबाक चाही ।आ कखन की बाजी आ कोन मौसम मे केकरा संग रही ,ई अहां हुनके सँ सीखि सकै छी ।ईनकम टैक्‍स भरबाक समै मिश्राक संग ,भोरे घूमबाक लेल झाजी ,माछ किनबाक लेल यादव जी ,गाम जेबाक लेल कर्णजी साथ आ कुनो तिकड़म होए त' सिंह जीक संग ।

रंजन जीक संग मे एक सँ एक मशीन ।अहां केखनो भावुक भ' जाएब ,कखनो क्रोध सँ लाल-पीयर आ केखनो रंजन जीक लालित्‍य सँ अभिभूत ।मुदा रंजन जी ओहने छथिन ,बस काज भेलाक बाद ओ अपन मौलिक अवस्‍था मे विदा भ' जेता । आ रंजन जी कें पता छैन कि अहां सँ कोन चीज कोना उगलबएल जाए ।ओ नब्‍ज छूता आ अहां अपन बोखार आ दस्‍तक पुराण एक्‍के सांस मे बहार क' देबै ......

(आफिस मे)

Monday 7 March 2016

आफिस1

अहां बजबै छी ,धन्‍यवाद मुदा कथी ले आबी ।आफिसक सबसँ पैघ हाकिम नीक सँ नीक काज केलाक बादो एक बेर नइ मुसकिएलक ।धन्‍यवाद आ प्रशंसाक शब्‍द त' छोड़ू , पुरस्‍कार ,सम्‍मान आ प्रशंसा पत्रक त' नामो नइ लिय' ,ओकरा मुसकियाइतो लागैत रहै जे जान चलि जेतइ ,रे मरदे ,हमर  प्रशंसा नइ कर ,अपन ब्‍लड प्रेशरक धियान त' राख ।आ अपन प्रेशरो छोड़ कनिया ,धिया-पूताक चेहरा त' आंखिक आगू राख ,झूठे ,बिना मतलबक आंखि-मुंह टाईट केने रहब ।

आ एकरा सँ जे निचलका रहै से नीक जँका बतियाइ केवल दारू पीयै वला सँ या फेर अपन जाति खोजि कें ।आ ई सार तखने हँसै जखन कि एकर ऊपरका हँसै ।आ ऊपरका जेकरा-जेकरा पर प्रसन्‍न रहै ईहो ओकरा पर प्रसन्‍न रहै आ जें कि ऊपरका केकरो पर नराज होइ ईहो सार मुंह फूला लै ,तें ई आदमी अपन दिमाग से कम निर्णय लै छैक ,ई अपन प्रेशर सँ पादितो नइ छै ।तें ई आदमी कम पुतरा बेशी छैक ।पता नइ एकर शरीरक कोन भाग मे सॉकेट छैक जइ मे ऊपरका अपन सॉफ्टवेयर राखि दैत छैक आ ई काज कर' लागैत छैक ।ई आदमी सँ कनि छोट आदमी छैक आ खेलौना सँ कनि नमहर खेलौना ।मर' दियौ सार कें , मुदा की मर' दियौ र्इ जीतो छै दोसरे कें और्दा सँ ........


आ एकरा सँ जे निचलका छै ऊ मरलो से मरल छै ।सब कहतै एकरा सस्‍पेंड कर त' ई सबसँ पहिले रिपोर्ट ल' के आबि जेतै ।आ विद्वान एते कि शेक्‍सपीयर सॅ ल' के ललका-पीयरक तक एकदम मुंहे मे ।हरदम मुसकियाइत रहत ,हरदम मुंह मे मौध भरल जेना कि हिनके मुंह मे मौधमक्‍खी खोंता लगेने होए ।

आ ऐ खोंतेदारक अलावा आफिस मे जत्‍ते छैक सबके देह मे कांटा पर कांटा ,ओ जत्‍ते मुसकिया के बात करत अहांक जेबी ओत्‍ते खलियाइत जैत ।मिसिर जें के किछु काज कहियौन त' ओ एत्‍ते व्‍यस्‍त भ' जेता जेना सृष्टि मे जन्‍म ,पालन आ संहारक सकल दायित्‍व हिनके भेंट गेलेन ,आ झाजी नजरिये नइ उठाओत एकदम बिलबुक पर नजरि गड़ेने किछु सुनबे नइ करत आ भक सँ धियान ओकर तखन टुटतै जेखन कि चाहकगंध पूरा केबिन मे फैल जाए ।सिंह जी कनेक लंठ बेशी छथिन ,ओ खोलि-खोलि के कहता 'दियौ ने ' ,दियौने 'आ आफिसक ई गुप्‍त मर्यादा दियौने-दियौने क' अनहदनाद सँ त्रस्‍त भ' जाइत छैक ।सिंह जीक बगल मे यादव जी चपरासी बेस दुलार सँ सटता आ हुनकर दुलार आ सम्‍मानक मतलब ई जे अहां सौ टका निकालि के जल्‍दी सँ हुनका द' दियौ ,तीसचालीसक चाह एतै आ साठि-सत्‍तर खुदड़ा यादव जीक जेबी मे.....

Thursday 3 March 2016

टारा-टारीक खेल

ऊ साहित्‍यक बामा-दहिना नइ बूझलकै ,मुदा साहित्‍यक राजनीति मे पारंगत भ' गेलै ।कविता संबंधी ओकर विचार अधपकुए बूझू ,‍शिल्‍पक मतलब कखनो किछ कहि देत आ कखनो किच्‍छ ,मुदा राजनीति के राम आ रावण के पकड़ै मे ओकर कुनो जबाव नइ ।आ असल बात त' ई छै जे ओ ने राम के छै ने रावण के ,जेकर तीर जोरगर रहल ,ओ ओकरे वाहवाह क' देलक ।ओकर साहित्‍यक अध्‍ययन थोड़े थाक बूझू ,मुदा राजनीति मे सम्‍हरल हाथ मारैत अछि ,आ ईहो नइ कि कुनो बड़का उलटफेर क' दैत होए ,मुदा एमहरक खखार ओमहर फेकलक आ ओमहरक खखार टारिके एमहर आनलक ।आ ओकर समस्‍त साहित्यिक गतिविधि एहिए टारा-टारीक खेल छैक ।अहां यैह ने कहब जे करै छै त' कर' दियओ ,अहां के की होइत अछि ........

Wednesday 2 March 2016

श्री चिलनमा झा जिंदाबाद

ओकरा ,ओकरा आ ओकरा आगू बरहा आ एकरा ,एकरा आ एकर टांग खीच ।ऊ देखही ने बरा नील-टीनोपाल झारने छौ ,ओकरा दिस एक लौप कादो फेक ,देखही ने कनियो ने कनियो लागबे करतए ,नइ लागतै त' डरेबो त' करतौ आ डरा जेतओ त' कम सँ कम साइकिलक हेंडिल जरूरे खसकतै आ खसकतै त' ऊ गिरतौ ।ओकरा दिस ई ढ़ेपा ,ओकरा दिस ई छौंकी आ ओकरा दिस ई झूटकी फेक ।देखही बस खपटिए फेकबाक चाही ,डांगक युद्ध नइ थिकै ई ,नाहक केकरो लागि गेलौ त' खूनक मोकदमा हेतौ ।स्‍पष्‍ट प्रशंसा नइ स्‍पष्‍ट आलोचना नइ ,बस मुसकियाइत रहियौ ,बस....।ओकरा सटा लियौ त' ई सब फैदा ,ओकरा बजाबियौ त' ओहो आयत ।ओकरा हटेने रहू नइ त' ओ सब नराज भ' जेता ।ओकरा साथ रखबाक अछि त' रातिक एकांत मे बजाबियौ ,केओ देखै नइ ,केओ अनुमान तक नइ लगा सकै ।ई आदमी अहां के भविष्‍य मे काज देत ,तें एकरा ईग्‍नोर नइ करियौ ,कुनो ने कुनो लेई सँ सटेने रहू ।ई बरा लराकू टाईपक अछि ,एकरा आगू राखू ,ई कलम आ कोदारि सँ साथ रहत आ ई लेखक जेंका त' अछि मुदा अछि बरा चुप्‍पा ,एकरा एकदम पंजियेने रहू ,मंच ,पुरस्‍कार आ प्रकाशनक शताधिक अभियान मे एकरा सन खबास पूरा लेखक समुदाय मे नइ भेटत ।आ यदि फलनमा के धकियेबाक अछि त' चिलनमा के आगू राखू ,हम जनै छी जे चिलनमा अहांक प्रिय नइ अछि ,मुदा यदि अहां अपन प्रिय ठेकनमा के आगू करबै त'निश्चिते बूझू जे फलनमा आगू भ' जायत तें सब आदमी जोर सँ कहियौ श्री चिलनमा झा जिंदाबाद ।