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Sunday 30 June 2013

भगवान ,मड़ुआ आ मिथिला

आ भगवानो के पता रहेन
जे ऐ देश के मड़ुए बचा सकत
एहेन फसिल जे रौदी आ बरखा के किछु नइ गुदानै
एहेन जे भेलियै बरसा तैयो नीक
आ नइ भेलियै तैयो तहिना
एहेन सक्‍कत कि गिरियो के तहिना
एहन चिक्‍कन कि जांतो के पकडि़ मे नइ आबै
ने लाल ने कारी
आ मड़ुओ विदा भ' गेलै मिथिला सँ
जेना कि बहुतो चीज निपत्‍ता भ' गेलै
जेकर नाम रेड डाटा बुको मे नइ

हे खेसारी

खेसारीक खेती बस सरकारे रोकलकए
गाम-समाज मे एखनो बाऊग -रोपनी
खेत-पथार मे एखनो कमउनी
आ एखनो छीम्‍मी मे एहिना दाना भरौनी
तहिना कटनी आ तहिना दौनी
ई निखिद्ध ओहिना थारी मे
ओहिना हमर देह आ खून मे
हमर भाषा मे
'बूरि खेसारी नहितन'
आ जे असल मे खेसारी रहै
सएह दोसर के खेसारी कहै
आ असली खेसारी
राहडि़क छिलका पहिर
बनल रहै तीमनराज
आ करैत संक्रमण
पसारैत रोगक प्रोटीन

मकई जिंदाबाद

मकई क' गाछ क सबसँ ऊपर नाम-नाम फूल
जेना सिपाही क' कनटोप
आ देह पर पसरल हाथ भरिक पात
जेना सिपाहीक डांर पर राखल अस्‍त्र
आ बीत-डेढ़ बीतक बाइल
जेना गस्‍सल गस्‍सल कारतूस
खेत मे सजल लाईन मे गाछ
जेना युद्ध सँ पहिलेक सिपाही
आ हे मिथिले
ई सिपाही मिथिलाक दारिद्रय दुख के लीलिए कें मानत
आ यादि करू पूसा
यादि राखू मसीना
ई थिक मिथिलाक नया खजाना
जत' जनमि रहल मिथिलाक नवपूत सपूत
जत' बाउग भ' रहल
पलटन क पलटन
सेना
जे एकदम कटिबद्ध
दुर्भिक्ष सभक विरूद्ध
आब देखियै ने कते जान कोशी मे
रौदी ,दाही झौंसी मे
जय मिथिला ,जय मसीना ,जय मकई
आ मेंहका चाउर के मुर्दाबाद नइ कहितौ
जिंदाबाद केना कहियै
जखन कि ई हरदम जियेने रहलै
बस एक आना मिथिला के

Wednesday 26 June 2013

ई माटि

वौआ जोर-जोर सँ चिकरैत छैक
ई मिथिला ओकर ,ई महाराष्‍ट्र ओकर
ई दिल्‍ली ओकरे ,ई पटना ओकरे
वौआ पेंसिल सँ घेरैत छैक
मिथिलाक नक्‍शा ,बिहारक नक्‍शा
माओ-चीनक आ हिटलरक नक्‍शा
वौआ गोर लागैत छैक ,वौआ चूमैत छैक
माटि के
ओ धरती कें मां-‍बहिन कहै छैक
देवी मां मानै छैक
आ संबंधक ऐ जाल मे बिसरै छैक
जे ई धरती आरो बहुत चीजक छैक
ओकरा पता नइ छैक
जे चट्टान रौद,हवा आ पानि के सहैत हजारों साल
तियागै छैक अपन रूप
ओकरा पता नइ जे तिब्‍बत आ चीनक असंख्‍य भूखंउ
अपन रूप बदलैत हेलैत डूबैत
पहुंचै छैक बंगाल तक
ओकरा पता नइ छैक
एक इंच माटिक लेयर बनै मे
गुजरि जाइछ छह टा शताब्‍दी
मतलब बारह पीढ़ी
आ कतेको राजवंश

Friday 21 June 2013

’सगर राति‍ दीप जरय’क ७९ म आयोजन ‘कथा कोसी’ उमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे औरहामे सम्पन्न/ ८० म सगर राति‍ दीप जरय सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे उमेश मण्‍डलक संयोजकत्वमे - रिपोर्ट पूनम मण्डल

सगर राति‍ दीप जरय’क 79म आयोजन ‘कथा कोसी’ नामक वैनरक नीचाँ दि‍नांक 15 जून संध्‍या 6.30 बजेसँ शुरू भऽ 16 जूनक भि‍नसर 6 बजे धरि‍ लौकही थाना अन्‍तर्गत औरहा गामक मध्‍य वि‍द्यालयक नव नि‍र्मित भवनमे श्री उमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे गोष्‍ठी सुसम्‍पन्न भेल। अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डल प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।
      श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल एवं श्री रामचन्‍द्र पासवान जीक संयुक्‍त  अध्‍यक्षतामे तथा श्री वीरेन्‍द्र कुमार यादव आ श्री दुर्गागान्‍द मण्‍डलक संयुक्‍त  संचालनमे ऐ कथा गोष्‍ठीक भरि‍ राति‍क यात्रा भेल। गोष्‍ठीक  शुभारम्‍भ श्री लक्ष्‍मी नारायण सिंह एवं श्री रामचन्‍द्र पासवानजी संयुक्‍त रूपे दीप प्रज्‍वलि‍त कऽ  उद्घाटन केलनि‍।
      वि‍देह-सदेह-5 वि‍देह मैथि‍ली वि‍हनि‍ कथा, वि‍देह सदेह-6 वि‍देह मैथि‍ली लघुकथा, वि‍देह-सदेह-7 वि‍देह मैथि‍ली पद्य, वि‍देह-सदेह-8 वि‍देह मैथि‍ली नाट्य उत्‍सव, वि‍देह-सदेह-9 वि‍देह मैथि‍ली शि‍शु उत्‍सव तथा वि‍देह-सदेह-10 वि‍देह मैथि‍ली प्रबन्‍ध-नि‍बन्‍ध-समालोचना नामक पोथीक लोकार्पण स्‍थानीय वि‍द्वतजन श्री संजय कुमार सिंह, श्री रामचन्‍द्र पासवान, श्री मि‍थि‍लेश सिंह, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री लक्ष्‍मी नारायण यादव तथा श्री वीरेन्‍द्र प्रसाद सिंह द्वारा भेल हाथे भेल।
      लोकार्पण सत्रक पछाति‍ दू-शब्‍दक एकटा महत्‍वपूर्ण सत्रक सेहो आयोजन भेल जइमे श्री रामचन्‍द्र पासवान, श्री बेचन ठाकुर, श्री कपि‍लेश्वर राउत, श्री कमलेश झा, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री राम वि‍लास साहु, श्री उमेश नारायण कर्ण, श्री रामानन्‍द झा ‘रमण’, श्री शंभु सौरभ, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, डॉ शि‍वकुमार प्रसाद, श्री अरूणाभ सौरभ तथा श्री उमेश मण्‍डल तथा संयोजक श्री उमेश पासवान द्वारा ‘सगर राति‍ दीप जरय’ कथा गोष्‍ठीक दीर्घ यात्रा तथा उदेसपर सभागारमे उपस्‍थि‍त दूर-दूरसँ आएल कथाकार, समीक्षक-आलोचक एवं स्‍थानीय साहि‍त्‍य प्रेमीक मध्‍य मंचसँ अपन-अपन मनतव्‍य  रखलनि‍। जइमे सगर राति‍क 75म आयोजनक पश्चात 76म आयोजन जे श्री देवशंकर नवीन दि‍ल्‍लीमे करेबाक घोषना तँ केने रहथि‍ मुदा से नै करा साहि‍त्‍य  अकादेमी द्वारा आयोजि‍त कथा गोष्‍ठीकेँ गनि नेने रहथि‍ जहू गि‍नतीकेँ सोझरौल गेल आ तँए ऐ गोष्‍ठीकेँ श्री उमेश पासवान अपन इमानक परि‍चए दैत ७९ म गोष्‍ठीक आयोजन केलनि‍। ओ कहलनि‍ जे हम सभ अर्थात् वि‍देह मैथि‍ली साहि‍त्‍य  आन्‍दोलनसँ जूड़ल मैथि‍ली वि‍कास प्रेमी छी। हम सभ ७७म, ७८ म आयोजनक आयोजन कर्ताकेँ स्‍पष्‍ट रूपे कहैत एलि‍यनि‍ जे मुदा हमरा सबहक बात नहियेँ वि‍भारानी मानलनि‍ आ नहि‍येँ कमलेश झा मानलनि‍। मुदा से हमहूँ नै मानब आ सही-सही गि‍नती करब। आ तही दुआरे ऐ गोष्‍ठीक आयोजन ७९मे आयोजन तँइ भेल, आयोजि‍त भेल। हलाँकि‍ दरभंगासँ आएल कथाकार श्री हीरेन्‍द्र कुमार झाक उकसेला पर रहुआसँ आएल श्री वि‍नय मोहन झा जगदीश, श्री दुखमोचन झा आ दरभंगेसँ आएल श्री अशोक कुमार मेहता हीरेन्‍द्र  झाक संग गोष्‍ठीक आरम्‍भक घंटा भरि‍क पछाति‍ चलि‍ जाइ गेला।

      जीवि‍ते नर्क (उमेश मण्‍डल), शि‍क्षाक महत (राम वि‍लास साहु), बि‍आहक पहि‍ल गि‍रह (दुर्गानन्‍द मण्‍डल), बौका डाँड़ (लक्ष्‍मी दास), बंश (कपि‍लेश्वर राउत), टाटीक बाँस (राम देव प्रसाद मण्‍डल ‘झारूदार’), सगतोरनी (शि‍वकुमार मि‍श्र), पाथर, पि‍यक्कर, जोगार आ अंग्रेज नैना (अमीत मि‍श्र), संत आकि‍ चंठ (बेचन ठाकुर), अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ), नमोनाइटिस (उमेश नारायण कर्ण), द्वादशा (सुभाष चन्‍द्र ‘सि‍नेही’), राँड़ि‍न (रोशन कुमार ‘मैथि‍ल’), पँचवेदी (अखि‍लेश कुमार मण्‍डल), मुइलो बि‍सेबनि (जगदीश प्रसाद मण्‍डल) इत्‍यादि‍ महत्‍वपूर्ण लघु कथा/वि‍हन‍ कथाक पाठ भेल आ सत्रे-सत्र मौखि‍क टि‍प्‍पणी आ समीक्षा भेल।
अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ) क समीक्षाक क्रममे श्री रमानन्द झा "रमण" कथावस्तुसँ अपन असहमति देखेलनि आ कहलनि- " नै आब ई गप नै अछि, एकटा गप एतै देखियौ, हम  रमानन्द झा "रमण" श्रोत्रिय उच्च कुलक, आ कतऽ आएल छी! उमेश पासवानक दरबज्जापर!" श्री बेचन ठाकुर  श्री रमानन्द झा "रमण"क नव-ब्राह्मणवादी सोचक  विरोध करैत कहलनि- " लोकक मगजमे अखनो जाति-पाति भरल छै, मैलोरंगक प्रकाश झा तेँ ने कहै छथि जे बेचन ठाकुर भरि दिन तँ केश काटैत रहैए, ई रंगमंच की करत!! श्रीधरमकेँ सेहो ई गप बुझल छन्हि। माने मैथिली साहित्यकार, समीक्षक आ रंगमंचसँ जुड़ल ब्राह्मणवादी आ नव-ब्राह्म्णवादी सोचक लोककेँ देखैत  ई कहल जा सकैए। २१म शताब्दीमे श्री रमानन्द झा "रमण"क बयान ई देखबैत अछि जे  कोना ओ उमेश पासवानक दरबज्जापर आबि उपकृत करबाक भावनासँ ग्रसित छथि।
अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डल प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।






Wednesday 19 June 2013

जइ फोन के सटेने रहियै डांर सँ

जइ फोन के सटेने रहियै डांर सँ
आ छुपेने करेजा मे
से सदिखन अनसोहांते कहै
राति बरबजियो के
झांटि बिहाडि़यो मे
अधपहरा भोरो मे 'व्‍यस्‍त ' कहै
आ जखन कि ओहो इंतजार करैत छली
ई बाजै कि तोहर फोन 'ओ नइ उठा रहल छओ'
सबसँ अनकत्‍थल त' तखन भेलै
जखन फोन कहै कि पूरा सृष्टि
ई नेटवर्क
आ एतबे नइ ओ सेहो व्‍यस्‍त छथिन
जखन कि सब जनैत छैक
ओ हरदम खाली छथिन
हरदम प्रतीक्षारत

Friday 14 June 2013

लाल बूझक्‍कर

लाल बूझक्‍कर चोर के मनबै
राति अन्‍हरिए रहत
हमरा चंद्रमा सँ बातचित भेल
यैह थिक चोरएबाक समै
आ सहूकार के कहै
जागले रहब सेठजी
चोर-ऊचक्‍काक साहस बहुत बढि़ गेल
तहिना ओकील के कहै
भाय मलगर केस अछि
आ वादी कें डराबै
ओकीलबा बड्ड महगिया
आ राति के लालबूझक्‍कर खूब हँसै
कखनो अकेले कखनो कनियां लग
कखनो बालबच्‍चा लग
कखनो बाप पुरूखा लग
लोक पूछथिन 'की भेल '
तखन लाल बूझक्‍कर कुनो पुरनका मजाकक बात करै
आ थर्ड डिग्री धूर्त जँका अपनो सँ
घरवाहि सँ आ दुनिया सँ नजरि बचबै
एहनो नै जे लालबूझक्‍कर के किछु भेट रहल
आब ओकरा चलाकीक आदत लागि गेल छैक
ओ चलकिए मे जीतए
चलकिए मे मरतए
आ सही मे एकदिन ऐ दुनिया सँ
टुन्‍न‍ भ' उडि़ जेतै
ओकरा जीब' दियौ चलाकी क' एक-एक घटना संग
ओकरा भर' दियौ पापक तमघलि
ओकरा पहिर' दियौ लील टीनोपाल वला धोती
ओकरा गाब' दियौ राम रामराम
ओकरा दिय' दियौ भाषण
देश पर धर्म पर नैतिकता पर
ओकरा भाग' दियौ लकवा सँ
ओकरा बच' दियौ लकवा सँ
उँगरी बवा लाल बूझक्‍कर
पैर बचा ठेहुन बचा
बचा लालबूझक्‍कर
अपन जीभ
अपन हृदय
अपन आत्‍मा


टीकरी पिरूकिया




टीकरी पिरूकिया आनियै
त' दस -बारह दिन चलै
आ लाय मूरलाय आठ-दस दिन
तहिना सतूआ चलै मास-दूमास
आ लाय ,टीकरी ,सतूआ जेना जेना मसूआइ
गामक यादि पर धूल झोकड़ा बैस' लागै
गहूम चाउर आ‍नबाक बात करियै
त' कनियां किराया-भाड़ा जोड़-जाड़ कर' लागथिन
आ गामक यादि बदलि गेलै एकटा सुगंध मे
जे मास-दूमास पर आबि के झकझोडि़ चलि जाए
आ हमरा बूझल नै छलै
ऐ गंध के नाक मे भरनए
ऐ गंधक बदला मे कोनो सेंटक आविष्‍कार केनए
कोनो दोसर गंध के गामक गंध माननै
से बैग तैयार रहै हरदम
मुदा किछु चीज गाम मे छलै
आ किछु गाम के बाहर
आ गाम मे रहियै
त' गाम के भ' के रहनै संभव नइ छलै
आ बाहर के अपन गाम कहनै सेहो कठिन छलै
यैह यात्रा चलैत रहलै
आ बीत गेलै चालीस साल
आ मोन एखनो कहैत छैक
जे एकदिन गाम मे गामक पास मे
रहबाक दिन काटबाक इंतजाम संभव हेतै
मुदा ऐ संभावनाक बांस-कोरो
हमरा बंसबिट्टी मे नइ जनमलै

वौआ एहिना आ

वौआ एहिना आ चिड़ै चुनमुन्‍नी जँका
दूचारि टा दाना खो
गीत सुना आ उडि़ जो
आबै के छौ त' एहिना आ
नइ आ कखनो जासूस जँका
जे नजरि गड़ेने होए
सभ गोपन-अगोपन पर
आबै के छौ त' तितली जँका आ
घूम-फिर बैस टहल हमरा माथ आ कान पर
बना खोंता हमर केश मे
आबै के छौ त' कखनो बनि भौंरा
कखनो मधुमाछीयो बनि के आ
ल' ले अपन हिस्‍साक गंध आ रस
मुदा दलाल जँका नइ आ
आ दलालो जँका आ
तखन मजगूती सँ पहिरने रहें मुखौटा
ओढ़ने करिया कम्‍मल
दैत दिलासा
भाए दोसक
आ सुदीर्घ होए ऐ दिलासाक उमेरउमेर

कुंभ 3

आ अमृत बरसैत रहै
ठेहुन भरि गंगाक पानि मे
पहिले नहाय क' रगरघस्‍स मे
जुलूसक आन-बान मे
बन्‍हल बन्‍हैल कालखण्‍ड मे
इंचटेप सँ नापल पुण्‍यक्षेत्र मे
आ अमृत चूबि रहल छै
पीबि रहल छैक ज्ञानी
भगत सेठ रसिक विलैतिनी
आ गवाह बनि रहल छथि
सूर्य चन्‍द्र ई धरती
आ कोडाक ,सोनीक कैमरा
आ नागा साधूक
ओ अदेखल अछूबल शरीर क' फोटो नेने
अमृत कें बान्हि रहल जापानी कैमरा

यादि रहै

यादि रहै कि आइ रवि दिन
आ हमर माथ रांगल मेंहदी सँ
जेना डेकची पर लेवा गोरिया माटिक
यादि रहै हम गाम सँ बीस जिला दूर
आ बाबू भोरे निकलि गेला
देखै लेल बित्‍ता भरिक गहूम
आ माए भरि दिन रहती दरवज्‍जा दिस देखैत
यादि रहै हमर गामक दूरी बेगूसराय सँ दस कोस
तें भेटत कोनो टेढ़ शब्‍द
त' मुसकिया के हटि जायब
आ हमरा यादि अछि
जे अहां लिखने छी एकटा शब्‍दकोष
आहूं के यादि रहै
जे बड कठिन छैक शब्‍दकोष देखिके कविता लिखनए
यादि रहै जे हमर मकान
घेरल-घारल स'र सोलकन सँ
आ प्राय: विनिमय नोन ,पानि ,जोरन आ शब्‍दक
तें यदि भेट जाए कोनो अपभ्रंश शब्‍द ,परंपरा आ ठहक्‍का
हटि जाएब बाट बदलि
यादि रहै हम बहुत संस्‍कृत
आ बहुते मुंहफट्ट
मुदा उधारक गारि देनए
बड मोसकिल लागैत अछि
आ यादि रहै हम अपने बात कहैत छियै
तें यदि कुकुर के कुत्‍ता कही
त' खराब नइ मानब

कत्‍ते नटकिया छै छौड़ा

कत्‍ते नटकिया छै छौड़ा
दूनू हाथ जोड़ैत ,दंडौत करैत
कानि रहलै छौड़ा
कखनो विनती करैत ,प्रार्थना रिक्‍वेस्‍टक नाम लैत
कत्‍ते बुधियार भ' गेलै छौड़ा
इसकुल नइ जेतै
दलाने पर रहतै पढ़तै
कत्‍ते सियान भ' गेलै छौड़ा
नोर चूबैत मुंह फूलेने
पैर हाथ पटकैत गारि दैत
केहन विद्वान भ' गेलै छौड़ा

हे सुन्‍दरी

हे सुन्‍दरी सुनु कनि
अहांक ई विशाल केशराशि कत्‍ते शैम्‍पू खाइत अछि
अहा ! नइ बूझलियै ई गद्य
ई केशक सदाबहार जंगल कत्‍ते तेल पीबैत अछि
डेली कि हफ्ता मे
कत्‍ते बेर जुट्टी
कत्‍ते बेर कंगही
कत्‍ते बेर खोपा
ऐ जटाजूट मे मनुक्‍खे करत रहबाक अभिलाषा
वा आनोआन जीव-अजीव
आ कत्‍ते बेर ढ़ील-लिखक लेल मृत्‍युक फरमान
कत्‍ते बेर मुंह ,नाक ,आंखि झंपा जाइछ अन्‍हार मे
कत्‍ते बेर झूलैत झालैत लट
मारैत गाल पर सटक्‍की
आ कखनो के बहैत दहो-बहो नोर
हे पार्वती अहां शंकर त’ नइ ??

कबीर आ मैथिली

मध्‍यकाल मे कबीरक कविता अपन रहस्‍यवादी रंगक लेल ख्‍यात अछि आ ऐ रहस्‍यवादक कतेको रंग कबीरक कविता मे भेटत । भावमूलक रहस्‍यवादक संगे तंत्रमूलक रहस्‍यवाद आ संबंधमूलक रहस्‍यवाद आ आनोआन कतेको केटेगरी ।आ संबंधमूलक रहस्‍यवाद मे कबीर ब्रह्म के माता ,पिता ,भाए ,गुरू ,सखा ,प्रेमी आदि सब रूप मे देखने छथिन ।किछु संदर्भ एहन अछि जे कबीर ब्रह्म के सार सेहो कहैत छथिन आ ई सार कोनो दार्शनिक शब्‍दावली नइ छैक । 'सार' मतलब कनियाक भाय आ कबीर कहैत छथिन
साधु ननद मिलि अचल चलाई ,मंदरिया ग्रिह बेटी जाई
हम बहनोय राम मोर सारा ,हमहिं बाप हरि पुत्र हमारा
कहै कबीर ये हरि के बूता ,राम रमै ते कुकुरी कै पूता
आ ई वृहद तोड़-फोड़क प्रवृत्ति आ साहस कबीरक अलावे अन्‍यत्र दुर्लभ अछि आ मैथिली मे त' एखनो रसशास्‍त्र ,परिवार ,धर्म आ संबंधक सरलतम प्रतिमानक अनुकृति पर बल छैक ,मुदा कहिया धरि ...........

तू बान्‍ह' चाहै छहीं

तू बान्‍ह' चाहै छहीं मैथिली के बान्‍ह बना के
हम खोलि दै छियै फाटक जजाति दिस
तोरा देखाइत छओ मैथिली आंगनक इनार सन
हमरा देखाइत छैक गंगा-कोशीक विशाल जलराशि
मैथिली क' दुश्‍मन के
तोरा लेल मैथिली वर्णवृत्‍तक टाटक
तोरा लेल बस अमरत्‍वक महारस
हमरा लेल मैथिली जन-मन सँ जुड़बाक सूत्र
ब्रह्मांउक कोनो अक्षांश सँ गाम के यादि करबाक बहन्‍ना
मैथिली क' दुश्‍मन के ?
हम कि .........

माए मरलखिन

माए मरलखिन नेता के
आ पूरा देश अनाथ भेलै
मरिते बाप भुशुंडी के
देशक केश छीला गेलै

अफसोस वौआ

अफसोस वौआ
तू जेठ मे एलही
खेत-पथार खूट्ठी सँ भरल
गरै त' नइ छओ
बस एक मास पहिले
पूरा बाध-बन हरियर सारी पहिरने छलै
आ बादल सँ खेत तक गिरबा मे
चोट नइ लगबा क' गारेंटी रहै
अफसोस वौआ
तू जेठ मे एलही
आ खतरनाक नदी सब
दूब्‍बर पातर देखाइत छओ
नदी मे एतबो पानि नइ
कि नदी तरपन क' सकै अपन पितरक
यैह एक मास बाद वौआ
देखबही ऐ नदी सभक छिनरपन
ई नाला ,ई सोता ,ई नाशी मे
पता नइ कत' सँ आबि छै पानि
आ ई मांगै छै बली
अफसोस वौआ तू जेठ मे एलही
आ नइ पिया सकलियौ
एक लोटा शीतल जल
बस एक पहिने एतें छल
त' ऊंगरी सँ जमीन खूनि
एक हाथ नीचा सँ निकालि देतियौ पानि
नराज नइ हो वौआ
हम अर्जुन नइ
जखन समीकरण अनुकूल रहै छै
त' अपन धरती पर सब अर्जुने अर्जुनअर्जुन

Thursday 13 June 2013

उतरैत गेलै रंग गंध सुआद

बितैत गेलै क्षण ,वर्ष
उतरैत गेलै अन्‍न
उतरैत गेलै फल
उतरैत गेलै गंध ,सुआद,रूप
आ कखनो काज-अकाज
कखनो रोग-विरोग
बस समय्ये गानैत रहि गेलौं
धरती भेजैत रहल
एकसँ एक सनेस
रंग-रंगक धान मखान
मकई मड़ुआ जनेर
लुच्‍ची जामून बरहर
कटहर तरबूज सवा सेर
आ ‘बस काल्हि’ क’ फेरा मे
भंग होइत रहल प्रकृतिक विधान
फेर बीति रहल एक सीजन
फेर बीकि रहल एक ठेला
फेर ओतबे ठूसमठूस काज
फेर ओहने यादि
कखनो जामुनक लेल
कखनो बरहरक लेल

Friday 7 June 2013

७९म सगर राति दीप जरय- विहनि आ लघु कथाक सगर राति पाठ- दिनांक १५ जून २०१३ क संध्यासँ १६ जून २०१३ क भोर धरि- स्थान- गाम औरहा (जिला मधुबनी) संयोजक- श्री उमेश पासवान।

 79th "Sagar Raati Deep Jaray" -Night long Maithili Seed and Short  Story recitation- at Village Auraha (District Madhubani)-night of 15th-16th June 2013 Convener Sh. Umesh Paswan
Village Aurha is on NH57.
Those Coming by bus should disembark at "Bhutha Chauk" 3 kms from Nirmali. From here Aura Village is around 3km (Via Vangama Chowk).
Those Coming by train should disembark at Nirmali Station and proceed to Village Auraha via Bhutha Chowk and Vangama Chowk.
Contact- UMESH PASWAN 09931235944
७९म सगर राति दीप जरय- विहनि आ लघु कथाक सगर राति पाठ- दिनांक १५ जून २०१३ क संध्यासँ १६ जून २०१३ क भोर धरि- स्थान- गाम औरहा (जिला मधुबनी) संयोजक- श्री उमेश पासवान। बससँ एनिहार एन.एच. ५७ पर निर्मलीसँ ३ कि.मी. दूर भुतहा चौकपर उतरू आ ओतएसँ वनगामा चौक होइत औरहा गाम ३ कि.मी. छै। ट्रेनसँ एनिहार निर्मली स्टेशनपर उतरू, ओतएसँ भुतहा चौक आ वनगामा चौक होइत औरहा गाम उमेश पासवान जीक दरबज्जापर संध्या ६ बजेसँ आयोजन छै। अहाँक उपस्थिति प्रार्थनीय। संपर्क श्री उमेश पासवान फोन ०९९३१२३५९४४
Your presence is highly Solicited.

Monday 3 June 2013

महाकविक गाम मे

महाकविक गाम पूरा क' पूरा सिमेंटेड भ' गेलै
महाकविक गाम पूरा क' पूरा चकमका उठलै
महाकविक गाम आगू-पाछू चिक्‍कन भ' गेलै
ओहने चिक्‍कन जेहन कवि जी क' भाषा
महाकविक गाम जुडि़ गेलै जिला आ रजधानी सँ
जेना महाकवि जुड़ल रहथिन
आ ट्रक सब चल' लागलै साठि के स्‍पीड मे
जेना कवियो लिखैत रहथिन
सब टोल बन्‍हा गेलै सिमेंटेड रोड सँ
जेना बान्‍हैत रहथिन कविजी अपन छान सँ
आ सब किछु बाहर भ' गेलै
नइ रहलै कुनो जिज्ञासा वला बात
नइ रहलै कुनो आदर-भाव
नइ गिर' लागलै देखिते लोर
कखनो नइ छूलक कोनो वासंती समीर
ने अकचकेलक कुनो एमहर ओमहर वला बात
सब बात तेहने जेना हाथ मे राखल लताम
जेना कक्‍का गाछक सिनुरिया आम
जेना दू दू चारि
जेना भैयाक सारि

Sunday 2 June 2013

भाषण ,साहित्‍य आ गपगिज्‍जनि

भाषण ,साहित्‍य आ गपगिज्‍जनि प्राय: निरर्थक होइत छैक ,जखन ओ झूठौआ-फूसौआ वला सहानुभूति क' चासनी पीने रहैत छैक ।तें एहन तरहक क्रियाकलाप जल्दिए देखार भ' जाइत छैक आ व्‍यक्तिक असलीका चेहारा सामने आबैत छैक ।ग्राम करियन मे एकटा पुस्‍तकालय खुललै- 'उदयनाचार्य मिथिला पुस्‍तकालय' ।प्रारंभिक जिज्ञासाक बाद गामक विकट उदासीनता तेना बहरायल ,जे गाम जेठ मे आगि फेकै छै आ माघ मे बर्फ फेकै छैक ।आ दिशा बस पछबारी ।से सब बर्फ आ सब आगि पुस्‍तकालयक चारू-कात गिर रहल छैक ।आ ने केकरो मिझेबाक फूरसति छैक ने बर्फ हटेबाक आ गाम एकदम हफीम खेने अपन दैनंदिनी मे व्‍यस्‍त छैक ।यैह थिकै मिथिले नइ देशक महान पंडित उदयनाचार्यक जन्‍मभूमि ।

छोट ई अकाश

छोट ई अकाश नमहर मोन बूझ  वौआ
किएक बंद आंगन मे केनें छें दौड़ा-दौड़ी
छिट्टा आ ढ़ाकी चंगेरा मौनी दौड़ी
केओ छोट केओ पैघ जुनि नाप राख छौड़ी
देखू बिनाई देखू देखू रंगाई एकर
सोना सन रंगरूप बिकल भाव कौड़ी

गाम आ कचरा

बड्ड मोन प्रसन्‍न भेल
गाम मे आब' लागलै समान
साइकिल पर ,रिक्‍शा पर ,ट्रैक्‍टर-टराक पर
एक सँ एक आधुनिकता सँ जुड़ल
भैया ए0सी0 किनलखिन त' कूलर गाम भेज देलखिन
आ कक्‍का होंडा क' पतरकी चकमकिया जेनरेटर संग सूत' लागलखिन
त' मोटका हरियरका भोथमरा जेनरेटर के गाम भेज देलखिन
देखियौ ने मारि रहल बटोरन हेंडिल लिहूरि लिहूरि के
तहिना फलां बाबू कंप्‍यूटर खरीदला क' बाद
भेजि देलखिन ऊ टी0वी0 गाम
जे पाछू से उक्‍खरि जँका उठल रहै
आ टी0वी0 संग भी0सी0पी0 आ किछु बदनाम सी0डी0 सेहो आएल रहै
आ ई सी0डी0 घूम' लागलै दुआरिए दुआरि
तहिना बहुत रास फिल्‍म ,शब्‍द ,विचार आ स्‍टाईल सब आएल छलै गाम
सुस्‍ताबै लेल या फेर पिकनिक मनबै लेल
या फेर गाम भ' गेल छलै एकटा गहीर जमीन
जइ मे कचरा गिराएल जा सकै छैक
किछु कचरा जमीन मे किछु जमीनक नीचा
किछु मोन मे ,भाषा मे आ संस्‍कार मे
आ राम सरूप भाय कहलखिन जे
वौआ ई कचरा तहिया सँ आबि रहल छै
जहिया सँ गामक बगल मे शहर भ' गेलै
कचरा अनलोड करैत फलां बाबू के माथ पर
शांतिक निशान देखियौ
आ देखियौ भगवानक लीला
जे जइ कचरा छिटला क' लेल हुनका पर हेबाक चाही जुरमाना
तइ लेल ओ पुरस्‍कृत भ' रहल छथिन
'राजा बेटा' ,'सोना बेटा' सँ