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Sunday 26 January 2014

चंदन कुमार झा आ समकालीन मैथिली कविता



समकालीन मैथिली कविता मे चंदन कुमार झा अपन साहस ,अपन तर्क आ अपन चेहराक साथ मजबूती सँ छथिन ।विषमताक इतिहास मे 'हम' आ 'तु' बहुत पुरान रूपक बनबैत छैक आ चंदन जी एकरा नया रूप दैत छथिन-


हमरे चूलहा
हमहीँ जारनि
झरकि रहल अछि
हमरे मन
हमरे हितमे
हमर घरमे
बरकि रहल
ओकर अदहन !

ओक्कर सिदहा
ओकरहि घरमे
बढ़ा रहल
ओक्कर अन्न-धन
बढ़ल एम्हर
हमर दरिद्रा
ओकरा लेखेँ
अछि धनिसन !!

ई तर्क कखनो-कखनो कमजोर होइत 'बाबाक बेंत' सँ डराइत-डराइत लोकप्रिय तुक्‍काजी दिस ससरैत छैक ,तखने फेर मजगूत होइत एना समाप्‍त होइत छैक-

बाबाक बेंत
सड़ैत अछि
गोठुल्लामे

बाबाक बेंत
जड़ैत अछि
चूल्हामे

यैह तर्क आर मजगूत होइत 'अधकट्टी चान' मे अपन कवित्‍वक आधार कें चौड़गर करैत अछि ।कविताक प्रारंभ विवरण सँ होइत छैक ,मुदा चंदन जी जल्दिए कविताक धार कें कविताई दिस मोडि़ दैत छथिन-

रहैत छलैक चूल्हिक पछुआरमे
चिनबारपर, लाबनि उपर डिबिया बरैत
चूल्हिक उपर चारमे
खोंसल रहैत छलनि बाबाक लाठी
तेल पिबैत, ताव सेकैत
नानी धरबैत छलीह चूल्हिमे पजार
तामा आ कठौती आगाँमे रखने
लगबैत छलीह घरक भूखक हिसाब

चिनवार कि मोख लग हमरा
रहैत छल प्रतिक्षा
कखन लगतनि नानीकेँ बेसाह
बहार करतीह लगजोरीक कैञ्चा
कि डाबासँ बेच
कूदि कऽ जाएब दोकान
भेटत नफा'क लेबनचूस
लाल-पीयर-हरियर अधकट्टी चान

तहिना एकटा कविता छैक 'मरू प्रदेश मे' ,कविताक प्रारंभ एना छैक कि ई अनुमान कएल जा सकैत छैक कि कवि शब्‍द-मैत्रीक द्वारा शिल्‍पपक्ष दिस झुकल छैक ,मुदा ई अधकपारी होयत यदि सौंस कविता कें एकसाथ नइ देखबै -

डग-डग पुरनिक पात सन
विस्तृत नील-अकासमे
भोजघारा'क अरबा भात जकाँ
चमकि रहल पुर्णिमाक चान
घृत-मिश्रित
'तुलसीफूल'क सुगन्धि जकाँ
ओस-सिक्त तुलसी-फूलक गमगमी
पसरि गेल सगरो गाम,
घरहि-घर, सगरो अकासमे
बिझौ कराय आयल
नोतहारीक जकाँ आबि रहल तरेगन
दहोदिशिसँ भोजघारा दिस

चान मलिन भेल जा रहल अछि
जेना बसिया गेल हो भात
अन्हार आ इजोतक संधिस्थलपर
ठाढ़ अछि भोरुकबा
जेना ठाढ़ हो भरारी
बन्न भरारक मोखपर साकांक्ष

कोनो अकालग्रस्त, भीषण देशमे
अन्न बेत्रेक टुटैत साँस सदृश
बिला रहल अछि एक-एक टा तरेगन
भोजक उगारा फेकैत काल
घरबारीक मुखमण्डलपर प्रातमे
छिटकैत रहैत अछि जहिना
सौजनियाक 'यश'क गौरव,रक्ताभ हँसी
हँसि रहल अछि सूर्य
पसरि गेलैए तहिना लालिमा
एहि मरुप्रदेशमे 


विसंगति आ विडम्‍बना कें केना काव्‍यशिल्‍प बनबी ,एकरा खूब नीक जँका जानैत चंदन जी प्रशंसा आ निंदाक पारंपरिक रूपक के तियागि कें गाम कें देखैत छथिन -

कुहेसक ओहिपारमे
हमर गाम अछि
जतय एखनो
चमकैत हेतथि सुरूजदेव
कि पसरल हेतैक सगरो
हुनके सन सुदिप्त,सुसुम,
घूरक धधराक इजोत,
गरमौने होयत गामकेँ
आ'कि पसरि गेल हेतैक
गामक दोग-सानि धरि
उदीयमान पुर्णिमाक चानसन
बोरसिक अंगोरक गुलाबी आभा
छिटकिकऽ हमरे गौंआक ठोढ़सँ
जगमगौने होयत दंत-दीपमालिका
गामक अंगना-दलानकेँ

कुहेसक एहिपारमे
हम छी
बोझक-बोझ कपड़ामे नुरिआयल
कारखानाक धुँआमे फड़फराइत
नाक-मुँह झँपने भठ्ठीलग बैसल
अभावक आगि मिझेबा हेतु
किछु-बुन्न घामक जोगारमे
एहि सर्द शहरी अन्हारमे
बजारे-बजार बौआइत, थर-थराइत

जखन-जखन अपन माथक घाम
पोछि फेकैत छी कारखानाक भठ्ठीमे
कि करैत छी
अभावक आगि मिझेबाक प्रयास
तखन-तखन
चिमनीक धुआँसँ कि
हमरे चूल्हिसँ बहराइत धुआँसँ
हमरा आ हमर गामक बीचक कुहेस
आओर घनघर भऽ जाइछ
अपनहि मुँहक भाफसँ
धुंध आच्छादित भऽ गेल अछि हमर बाट
कुहेसक एहिपारमे
हमर गाम हँसैत होयत हमरापर
कुहेसक ओहिपारमे


चंदन जी 'नव गति' 'नव लय'क कवि छथिन ,कखनो-कखनो हुनको धियान 'प्रतिष्ठित प्राचीन' पर जाइत छैन ,मुदा प्रथमद्रष्‍ट्या अद्भुत लागितो किछ कविताक स्‍थान एकटा प्रलंब समै-काल मे महत्‍वपूर्ण नइ-

मृगनैन कटारक तिक्ख धार
धँसि गेल करेजक आर-पार
अपरूप रूप-यौवनक भार
विधिना केर गूहल चित्रहार

ताहिपरसँ ई नख-शिख श्रृंगार
सौरभ सिंचित पहिरन-पटोर
बौराय देलक मन-भ्रमराकेँ
मलयानिल सन साँसक झकोर


(सब कविता चंदन कुमार झा जीक फेसबुक वाल पर सँ लेल गेल अछि ।)

Wednesday 22 January 2014

जुतियेबाक प्रतिज्ञा


मास्‍टर साहेब गामपर सँ चललखिन रहए दूनू बेटा गप्‍पू आ टिंकु के जुतियेबाक लेल ।दृढ़ निश्‍चय आ पूरा आवेगक साथ एकदम इसकुलक फील्‍ड मे पहुचलखिन ।ऐ ठाम दूनू बेटाक खोजबा मे दिक्‍कत नइ भेलेन ।गामक मैच दोसर गाम सँ रहै आ बाउलिंग केलाक बाद बैटिंगक समै रहै ।दूनू बेटा पैड बान्‍हने पीच पर रहै ,दूनूक हाथ मे बैट ।मरसैब टुघरैत-टुघरैत कमेंटरी बॉक्‍स दिस एलखिन ।कमेंटरी बॉक्‍स वला हिंदी मे कमेंटरी करैत रहै ,जखने मरसैबक धियान गप्‍पूआ पर पड़लै ,गप्‍पूआ मारि देलकै छक्‍का ।एमहर कमेंटेटरक प्रशंसा आ दर्शकक थोपड़ीक बीच मरसैब कें लागलेन जे हुनकर प्रतिज्ञा शिथिल ने पडि़ जाएन ।मरसैब आंखि मूनैत फेर यादि केलखिन कि आइ दूध नइ एलै आइ दलान पर वला कोबी मे पानि नइ पड़लै आइ गप्‍पूए के कारण हुनका बजार जाए पड़लेन आ गप्‍पूए के कारण ओ बजार सँ लौटबा काल साइकिल पर सँ गिरि पड़लखिन ।एत्‍ते कारण धियान मे आबिते मरसैब अपन जुत्‍ता सम्‍हारैत पिच दिस विदा होमए लागला ,तावते टिंकु चौका मारि देलकै आ फेर ओतबे थोपड़ी आ कमेंटेटरक प्रशंसा ।मरसैब के लागलेन जे आब ओ बेहोश भ' के गिरि जेथिन ।तावते हुनका दिस सुरेश सिंह के धियान गेले आ ओ गप्‍पु आ टिंकु क विशेष प्रशंसा करैत कुरसी देलखिन ।मरसैब अधमोन सँ मैच देखैत रहलखिन आ गामक जीत सँ बस पांच मिनट पहिले तबियत खराबक बहन्‍ना करैत चलि देलखिन ।गप्‍पू आ टिंकू कें घर पहुंचला सँ पहिले मरसैब चद्दरि तानि के सूति रहलखिन ।मरसैब लेल बड्ड कठिन रहै कि ओ जागथिन आ जुत्‍ता नइ चलेथिन ........

Monday 20 January 2014

बाप रै बाप


बाप रै बाप एत्‍ते कतौ ठंड गिरलै ,देखियौ त' कुहेस आ शीतक तमाशा ,सूर्यदेव संगे कुहेस खेला रहल छैक जेना जुआनि सारि आ बहिनोय खिच्‍चम-तीरा करैत होए ।बाप रै बाप अखन तक आफिसक काज सब समाप्‍त नइ भेलै ,जत्‍ते जल्दियाइ छियै ओतबे आर काज बरहल बुझाइत छैक ,एकदम सतफीट्टा गेहुअन सन खतमे नइ होइ छैक ।बाप रै बाप ऐ क्षेत्रक आदमी सब कत्‍ते लंठ ,बाजिते-बाजिते एकाएक एते जोर सँ चिकरनै आ कमीजक बांहि समेटनै शुरू करत जेना बस आइ फरियाइए के रहतै । कतबो ईमानदारी सँ काज करियौ ,ऐ आदमी सभक असंतोष आ क्रोध बनले रहतै ,ल' ने ले सार हमर नोकरी आ हमर जिनगी ,मुदा तैयो तोरा सबके संतोख नइ हेतौ ।बाप रै बाप आठ महीना बीत गेलै ,एकबेर गाम जएबाक समै नै मिललै ,माए-बाबू की सोचैत हेथिन जे छौड़ा अपने धुनि मे आ अपन कनियां संगे मस्‍त ,आ ईमहर हाकिम सँ छुट्टी मांगियौ त' ओकरा लागै छेना ओकर प्रापर्टी लिखबै लेल ओकर सम्‍मति चाहै छियै अहां ।बात एतबे नइ रहै कनियां डेली सांझ के कहती कि छौड़ा एखन तक साइकिल नइ चला पाबै छैक ,मतलब हम आफिस सँ आबी आ छौड़ाक साइकिल निकालि रोड दिस विदा भ' जाइ ,आ छौड़ा साइकिल दिस एना देखैत छैक जेना ई साइकिल नइ होए कुनो भरिगर टैंक होए आ ओकरा राजस्‍थान बार्डर पर चलेबाक आदेश भेटल होए ।बात एतबे तक खतम रहितै तखन कुनो बात नइ आ ओ जत्‍ते सोचै तत्‍ते बात सब लस्‍सा जँका बरहल जाए ।आब समै छलै कि ओ अपन माथ पकडि़ के कहै बाप रै बाप या फेर मोबाइल बंद करैत निकलि जाए बजार दिस ।बजार मे कनेक सुस्‍तेतए तखने फेर गाड़ी काल्हि निकलि सकतै .........

Saturday 18 January 2014

टाइमिंग आ फोर्स


जखन ओकर वियाह भेल छलै ,मोश्किल सँ अठारह-उन्‍नीस बरसक उमेर छलै आ वर संगे बातचित मे बेर-बेर काननै शुरू क' दए ।शनै:शनै: कानैक कार्यक्रम घटलै आ ओही अनुपात मे झगड़ा करबाक रूटीन महत्‍वपूर्ण भ' गेलै ,आगू ओ महत्‍वपूर्ण आ मांजल खिलाड़ी जँका अपन हाथ,पैर ,मुंह ,आंखि चलब' लागलै ।बाद मे स्‍टार खिलाड़ी जँका 'इनीशिएट' केनए शुरू क' देलकै ,आब फसाद कखन शुरू हेतै ,कखन चरम पर पहुंचतै आ कखन खतम भ' जेतै ,सब ओकरा पता रहै ,जेना पता रहै छै महान अभिनेता सब कें बजबा-नचबाक हूनर आ निर्देशक एके बेर मे कहै छैक 'ओ0के0' ।समै बितैत गेलै आब ओ गाइड आ कोच छैक आ पति लहसूनक छिलका साफ करैत ,मच्‍छरदानी लगबैत प्रसन्‍न छथिन ।आब कनियां जे आबो कनियें छथिन से जानै छथिन कखन नराज भेल जाए ।कखन तरकारी नइ आनबाक लेल ,खराब आनबाक लेल आ बिना मोल-मोलाई केने कीनबाक लेल ओ बरबरा सकै छैक ।आ ओकरा पता छैक ओकरा बरबरेला पर पतिदेव कोना चित भ' जाइ छथिन ।आ ओकरा टाइमिंगक लेल अहां धन्‍यवाद द' सकै छियै कखन बरबराइ ,कखन चिकरी आ कखन 'दैवा रे दैवा' कहैत माथ ठोकि ली ,से ओ नीक जँका जानै छथिन ।आ मात्र टाईमिंगे नइ फोर्स पर सेहो गजबेक नियंत्रण कखन हल्‍लूक ,कखन जोर सँ आ कखन पुचकारि के काज कराओल जा सकै छैक ,तेकर त' ओ ओस्‍ताद भ' गेल छथिन ।अखन भोरक आठ बाजि रहल छैक आ हुनकर वर चाय बना रहल छथिन आदी वला चाय। कनियां कहैत छथिन जे एकबेर भोरका चाय अहांक हाथक पीबि लैत छी तखन भरि दिन 'दिनसन' लागैत अछि ........

(ररबोली 2)

सबसँ बरका बात यैह छैक जे 'हम ऐ ठाम फूसिये समै गमा रहल छी ' ।ने केकरो हम्‍मर परवाह छैक ने हम रहिये के किछु असर क' रहल छियै ।जइ भाषा ल' के हम उड़' चाहै छियै ,ओकर बाउंडरी आ छत एकदम सीमेंटेट छैक ।विशाल द्वार आ खिड़कीक कोन बात हवा पास करै वला वेंटीलेटरोक नितांत अभाव छैक ऐ ठाम ।आ यदि कुनो भूर छैक त' ओहिए ठामक चाली-चुट्टीक लेल ।एखनो सोचि ले वौआ ,जिनगी बीत जेतौ आ 'नोइसो' नइ मिलतौ ।

Friday 17 January 2014

ररबोली 1

मिथिला आ मैथिली ,नामे पर्याप्‍त छैक आ ऐ नामक दोहन करबाक लेल किसिम किसिमक लोक ,आंदोलनकर्ता ,कवि-साहित्‍यकार,नेता ,दलाल,चाटुकार( आ किछु वास्‍तव मे गंभीर मैथिल) सब तैयार छथिन ।सब अपना-अपना हिसाबे मिथिला आ मैथिलीक सेवा क' रहल छैक । केओ विधायक,सांसद छैक ,केओ नाच-गान सँ कमा रहल छैक ,केओ ठीकेदारी आ दलाली क' ।केओ साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार प्राप्‍त क' 'बहि' रहल छैक आ 'बहबा' केर ई तिलसंकरतिया परंपरा चेला-गुरूक एकटा नमहर श्रृंखला तैयार केने जा रहल छैक ।एत' सब केओ बहबाक लेल तैयार छैक ।अफसोस पुरस्‍कारे कम छैक !बस एकटा साहित्‍य अकादमी ,एकटा यात्री पुरस्‍कार ,एकटा प्रबोध सम्‍मान.......... च.. च... बेचारा मैथिल ! देखियौ ओ बह' चाहै छैक !अहां बहबै ने !

Thursday 16 January 2014

कविता फेर कहियौ


हे सुकवि 

कुनो छुट्टी क' दिन मे
पीबियौ आदी,हरदि ,तुलसीक एक लोटा करहा
मून पूरा हरखित भ' जायत
कफ आ कविता दूनू साफ भेलाक बाद
आ प्राय: मूनो अजगजाइत हैत
कखनो गैस कखनो ढ़कार
से कनेक नेबो आ दहीक सेवन सेहो जरूरी
गुड़गुड़ी आ भांति-भांतिक बात अपने निकलि जायत
आ यदि विवाहित छी त' ठंड बेशी छैक
आ यदि विवाह योग्‍य छी तखन लगन आबै वला
प्रतीक्षा करू कविता फेर कहियौ

Sunday 12 January 2014

सेनूर छै अनमोल



एकांकी- सेनूर छै अनमोल

पात्र आ उम्र
1. राधा- 20 वर्ष
2. श्याम- 22 वर्ष- राधाक दोस्त
3. मुरली- 24 वर्ष- राधाक पति
4. भिखमंगा- 35 वर्ष
5. राजा- 24 वर्ष- मुरलीक दोस्त

प्रथम पट
( बगैचाक दृश्य ।एकटा गाछक तऽर राधा बैसल अछि ।केशक दू टा जुट्टीमे सँ एकटा आगूमे लटकल अछि ।राधाक हाथमे एकटा गुलाबक फूल अछि जकरा आगू लटकल जुट्टीमे बेर-बेर खोंसैत आ निकालै छथि ।मुँहपर तनावक भाव स्पष्ट देखाइत अछि ।)
राधा- (बैसले बैसल उपर ताकैत )हे दाता दिनानाथ, सब कुशले रखिहऽ (दहिना हाथकेँ पहिने माँथ आ फेर छातीसँ सटबैत ) गोर लागै छियऽ तोरा ।मोन आशंकित भऽ रहल अछि ।जानि नै की भेलैए ?एक दुपहरियासँ एतऽ बैसल झाम गुरैत छी । (ठाढ़ होइत) आह...देखू तँ अंग-अंग अकरि गेल अछि (डाँरसँ उपरका भागकेँ एक बेर दायाँ दोसर बेर वायाँ घुमबैत, ऊँच साँस छोड़ैत) ओह...जानि नै और कते काल बैसऽ पड़तै !बुझू तँ बात कते मीठ-मीठ बजैए ।बाजैत लाजो नै होइ छै छौड़ाकेँ ।कहैए हम समयसँ काज करैत छी ।हमरा संगमे सदिखन घड़ी रहैत अछि ।वाह रे वाह...घड़ी रहैत छन्हि ।आइ की भऽ गेलनि घड़ीकेँ ।किओ चोरा लेलकनि वा भारतक रेल जकाँ धीरे-धीरे चलऽ लागलनि ।एतऽ टेंशनक चलते हमर बी॰पी॰, सुगर सब बढ़ि गेल अछि ।लगैत अछि जे आब प्राण छूटि जाएत आ हुनला लेल धैन सन ।ओतेक बुझा कऽ कहलियनि मुदा बुझै बला होइ तखन ने !रातिये फोनपर कहलियनि जे जरूरी छै भोरे भेंट करू, मुदा...मुदा ओ किए भेंट करताह ।हुनका कोन बेगरता छै !ई सब तँ हमर काज छै ने !

(गीत गाबैत भिखमंगाक प्रवेश )
यौ बाबू भैया यौ काकी काका
हम दस दिनसँ भूखल छी
दऽ दिअ हमरा किछु टाका
यौ काका दऽ दिअ किछु टाका...
(गीत गाबिते राधा लऽग पहुँचैत अछि ।ओकरा देख राधा दोसर दिश घुमि जाइत अछि ।)
भिखमंगा- यै बहिन दाइ...यै...यै अहींकेँ कहैत छी ।
राधा- की...की बात छै ?
भिखमंगा - बात...बात की रहतै !कोनो बेसी भारी नै...(विनती करैत) कने मदद चाही अहाँसँ और कोन बात रहतै ।(पेट दिस इशारा करैत )कने एकर जोगार कऽ दितियै बस एतबे अहाँसँ चाही ।
राधा - जो जो...ककरो दोसर लऽग जो ।हम खूबै-पिबै बाली नै छियौ ।जानि नै कतऽ कतऽसँ आबि जाइ छै वनमनुष सब ।

भिखमंगा- एना किए बाजै छी दाइ ?हम तँ पहिनेसँ विपतिक मारल छी ।एना जुनि दुरदुराउ हमरा।(गाबऽ लागैत अछि ) सब दिन होत न एक समाना . . .
राधा- एँ... ई की गाबैत छें (तमसाएल स्वरमे) तोरा कहैत मने की छौ ?
भिखमंगा- (सकपकाइत) हम कहाँ किछु कहलौं दाइ ! हम तँ निर्गुण गाबैत छलौं ।
राधा- (तामससँ व्यंग्य करैत) हँ...हँ...बड़का एला निर्गुण गाबै बला...सब दिन होत न एक समाना ।जेना की हम नै बुझलियै एकर मतलब ।तोरा मने जँ आइ तोरा बिनु भीख देने एतऽसँ भगा देबौ तँ कहियो हमरो भीख माँगऽ पड़तै ।(अपन कपड़ा देखबैत) आइ हमर देहपर जे सुन्नर कपड़ा छै से काल्हि नै रहतै ।तोरा मने हम तोरे जकाँ सड़क छाप भिखमंगा बनि जेबै ।तोरे जकाँ जंगली बनि जेबै ।सएह ने बाजलें तूँ ?
भिखमंगा- राम...राम...राम एहन बात सोचल कोना गेल अहाँकेँ ।हम तँ अपन हाल बतबै छलौं ।कहियो हमहूँ दोसरकेँ भीख दै छलियै, मुदा ...मुदा आइ हमरा किओ नै दै छै ।( कानैत ) सचमे गरीबक लेल कोनो देवता-पितर नै होइ छै ।लोक कहै छै जे भगवान जकर मुँह चिड़ै छथिन तकरा भोजन जरूर दै छथिन मुदा . . .मुदा हमरा बेर की भेलै ।लागै छै बइमनमा भगवान बिसरि गेलै जे हमरो मुँह चिड़ने छथिन ।
(राधाक तमसाएल मुँह शान्त होइत अछि ।ओ भिखमंगाकेँ चुप करबै छथि ।)
राधा- जुनि कानू ।चुप भऽ जाउ ।हमहूँ विपतिक मारल छी तेँ अन्ट-सन्ट बजा गेल (कने रूकि कऽ) अहाँक कहब अछि जे अहाँ भीख दै छलियै, तखन अहाँ भिखमंगा कोना बनि गेलियै ?
भिखमंगा- (नोर पोछैत) की कहब...बइमनमा दैवासँ ककरो हँसी देखल नै जाइ छै दाइ ।छोरू ई सब ।हमर व्यथा सूनि अहूँ उदास भऽ जाएब ।
राधा - एना कोना छोड़ि देब ! अहाँक कथन हमर मोनकेँ अशान्त कऽ देलक अछि ।एकरा शान्त केने बिना अहाँकेँ कोना छोड़ि देब !
भिखमंगा - दाइ, हमर बातपर एते धियान जुनि दिअ ।ऐसँ कोनो फायदा होइ बला नै अछि अहाँकेँ ।गरीबक हिस्सामे अनेरुआ काँट-कुश आबिते रहैत छै ।कते सुन्नर फूल अछि अहाँक हाथमे (राधा अपन हाथक फूल देखैत छथि ) एहि फूलमे हमर हिस्साक काँट जुनि गूथू ।
राधा- एहन कोनो बात नै छै ।हम काँट आ फूलक अदला-बदली तँ नै कऽ रहल छी ।हम तँ मात्र देखय चाहैत छी जे अहाँक करेजमे केहन काँट गड़ल अछि ।ओनाहितो कहल गेल छै जे दुख बँटलासँ घटै छै ।पहाड़ सन भरियाएल दुख ककरो कहि देलासँ मोन तूर सन हल्लुक भऽ जाइ छै ।असलमे अहाँक गप बड रोचक अछि तेँ हम सुनऽ चाहैत छी
भिखमंगा - दाइ, अहाँक कहब सोलहो आना सच अछि, मुदा रहीम जी कहि गेलखिन हेँ, ई दोहा तँ सुनने हेबै (कने चुप होइत)
"रहिमन निज मन की व्यथा मन हीं राखों गोय
सुनि अठिलैहें लोग सब बाँटि न लैहें कोय "
दाइ, एकर मतलब तँ अहाँकेँ बुझले हएत ?अहाँ तँ पहिनहिये हमरा भीख दैसँ नठि गेल छी ।अहाँसँ हमर दुख मेटाइ बला अछिए नै...हँ...अहाँ हमर मजाख जरूर उड़ाएब ।ओनाहितो अहाँकेँ हमर दुखड़ामे रोचकता देखाइत अछि ।एँ यै, ऐसँ पैघ मजाख और की भऽ सकै छै !हम भूखल अहाँसँ भीख देबाक गोहारि कऽ रहल छी आ अहाँकेँ हमर दायनिय स्थितिमे रोचकताक दर्शन भऽ रहल अछि ।
राधा - हमर मतलब ई नै छल ।हम तँ अहाँक दुख अपना संग शेयर करऽ चाहैत छी ।विज्ञानक छात्रा छी ने तेँ उत्तर जानबाक जिज्ञासा बढ़ि गेल अछि ।आखिर एकटा भीख दै बला आदमी भिखमंगा कोना भऽ सकैत अछि ?ओनाहितो हम एतऽ बैसल-बैसल बोर भऽ रहल छी ।अहाँक संग बतियाइत किछु समयो कटि जाएत ।रहल बात भीख दैसँ नठैक तँ हम तखन परेशान छलौं तेँ कटु बात बजा गेल ।अहाँ निश्चिन्त रहू ।अहाँकेँ हम टाका जरूर देब ।
भिखमंगा - से तँ बुझलौं, मुदा अहाँक चाल-ढालसँ लगैत अछि जे अहाँ ककरो प्रतिक्षा कऽ रहल छी...शाइत कोनो प्रिय मित्रक...अहाँक हाथक फूलो शाइत ओकरे लेल अछि तेँ हमरा दोसर दुआरि जाए दिअ ।हमर भिखमंगा बनबाक खिस्सा सूनि जँ अहाँक मोनक फूल मौला जाएत तँ प्रिय मित्रकेँ की देबै ?
राधा- सतमे अहाँक नजरि पारखी अछि ।अहाँ गपकेँ बड नीक जकाँ पकड़ैत छी ।अहाँक अनुमान शत प्रतिशत सत्य अछि ।(लजाइत) हम अपन ब्यायफ्रेंडक बाट जोहि रहल छी...मुदा अहाँक बातसँ हमर मोन बेचैन भऽ गेल अछि ।एहन अवस्थामे हम श्याम संग सहज नै भऽ सकब... तेँ अपन बात कहि हमर मोनकेँ शान्त कऽ दिअ ।
भिखमंगा- अच्छे...अच्छे ठीक छै ।हम सब टा कथा कहैत छी ।चलू पहिने कतौ बैसै छी ।(दुनू गोटे घासपर बैस रहै छथि )असलमे हम कमाइ-खटाइ बला आदमी रही ।एकटा कम्पनीक गेटकीपर रही ।छअ हजार दरमाहा छल, मुदा जँ बाजी सुतरि जाइ तँ दसो-बारह हजार धरि कमा लैत रही ।बड नीक जकाँ धूम-धाम नीक घरमे वियाह भेल छल ।जकरा सेनुरा कऽ आनलियै सेहो बड मान आदर करैत छल ।हमहूँ ओकरासँ बड प्रेम करैत छी ।बड नीक जकाँ हँसी-खुशीसँ जिनगीक गाड़ी चलैत छल, मुदा...(चुप भऽ जाइत अछि ।)
राधा- मुदा की ?चुप किए भऽ गेलौं ?मुदा की भेल से तँ कहू ।
भिखमंगा- कहैत छलौं ने दाइ, भगवान बड पैघ दुश्मन होइत छथि ।ककरो तरक्कीसँ हुनका तीव्र जलन होइत छन्हि ।ककरो हँसी हुनका नै नीक लगैत छन्हि ।सदिखन कनबैक फिराकमे रहैत छथि ।दाइ, हमर हँसैत परिवार क्षण भरिमे विलापक सागरमे डूबि गेल ।(करुण होइत ।)हमर प्राणसँ बेसी प्रियगर कनियाँकेँ ब्रेन ट्युमर आ केंसर दुनू एक्कै संग भऽ गेलै ।बिना कोनो चेनावनी देने हमरापर हिमालय पहाड़ खसि पड़लै दाइ ।अस्पतालक चक्कर काटैत-काटैत पएरक चप्पल घसि गेल...नोकरी छूटि गेल...जमा कएल पाइ-कौड़ी खतम भऽ गेल, मुदा ओकरा ठीक नै होइक छलै, नहिये भेलै ।डाक्टर साफ मना कऽ देलकै ।उहो भगवानेक गोहारि करैक लेल कहलकै ।अहीं कहू दाइ, भगवान हमर अरजी सूनि हमरापर दया किए करथिन ।जँ भगवानकेँ दया करैयेक छलै तँ एहन संकट देबे किए केलखिन ।
राधा- सतमे बड पैघ विपति खसल अहाँपर ।धीरज राखू ।सब ठीक भऽ जेतै ।दिन बदलैत बेसी देर नै लागैत छै ।नीक दिन एबै करतै ।एकटा बात बताउ, अहाँक कनियाँ मरि गेली वा जीबिते छथि ?
भिखमंगा- जँ ओ मरि जैतै तँ कि हम जीबैत रहितियै !ओकरे संग हमहूँ मरि गेल रहितियै ।प्राण बिना देह कोना ठाढ़ रहि सकैत अछि !
राधा- मने ओ एखन धरि जीबिते छथि ।तखन ओ कतऽ छथि एखन ?
भिखमंगा- एखन सरकारी अस्पतालमे भर्ती भेल छै ।ओकरे इलाज लेल हम भरि-भरि दिन भीख माँगैत छी ।अपने भूखल रहि ओकर दवाइक जोगार करैत छी ।ओना ओ मना करैत छथि ।हमरा भीख माँगैत देख कऽ ओ जहर माँगै छथि ।कहैत छथि हमरा मरऽ दिअ... अहाँ दोसर वियाह कऽ लिअ ।(कानऽ लागैत अछि ।)अहीं कहू दाइ एहन कतौ भेलैए...लक्ष्मीये नै रहती तँ नारायण रहि कऽ की झालि बजेथिन ।आत्मा बिना शरीर महत्वे की रहतै ?
राधा- चुप भऽ जाउ, चुप भऽ जाउ ।जुनि कानू ।(नम्हर साँस छोड़ैत ।)ओना एकरा दोसर एंगलसँ सोचबै तँ हुनको कथन कोनो गलत नै छै (कने रूकि कऽ)आब हुनक आश छोड़ि दोसर वियाह केनाइये अहाँक हितमे अछि ।(समझाबैत) ओनाहितो आब हुनकासँ कोनो तरहक सुख भेटै बला अछि नै ।आब जते दिन ओ जीबित रहिथिन तते दिन सरकार भोजन देबे करतेन ।सरकारी अस्पतालमे छथि तेँ थोड़-बहुत दवाइ-दारू भेटिये जेतनि ।हुनका लेल बेकारे भीख माँगने फिरैत छी ।कमाउ-खटाउ, दोसर वियाह करू आ नव कनियाँ संग ऐस-मौजसँ जीवन बिताउ ।एहन तँ सब दिनसँ भऽ एलैए ।सब दिनसँ पुरान घर खसै छै आ नव घर उठै छै ।
भिखमंगा- एहन अनर्थ तँ हम सपनोमे नै सोचि सकैत छी ।ओ हमर कनियाँ छथि...हमर प्रिया छथि...हमर अर्द्धांगनी छथि...आधा अंगक तियाग कऽ कहू तँ के जीब सकैए ।प्राण छोड़ि कऽ ककरो जिनगी कोना कटि सकैए ?
राधा- ई सब मात्र खिस्सा-कहानी, फिल्ममे होइ छै ।आजुक जमानामे इमोशनक कोनो जगह नै छै ।लोक अपन स्वार्थ ताकै छै ।लोक आब अपना लेल जीबै छै ।एहन प्रेम मात्र थ्योरी छै जकर प्रैक्टिकल सम्भव नै छै ।
भिखमंगा- बिना प्रेक्टिकल केने कोनो थ्योरी नै लिखाइ छै दाइ ।जँ प्रेम नै रहितै तँ आइ अहाँ हाथमे गुलाब लेने अपन प्रेमीक प्रतीक्षामे एतऽ ठाढ़ नै रहितियै ।
राधा- अहाँक कहब ठीक अछि, मुदा अहाँ एहन प्रेम तँ हमरा नै अछि ।हमर प्रेममे अहाँ सन तियाग नै छै ।हम दुनू तँ मात्र अपन स्वार्थक लेल प्रेम कऽ रहल छी ।श्याम पाइ बला अछि, हष्ट-पुष्ट तन्दुरुस्त अछि तेँ हम प्रेम कऽ रहल छी आ हम सुन्दर छी तेँ श्याम प्रेम कऽ रहल अछि ।दुनू दिससँ स्वार्थ, स्वार्थ, स्वार्थ केवल स्वार्थ अछि ।दूर-दूर धरि तियागक कोनो चेन्ह नै देखाइत अछि ।
भिखमंगा- मने जँ अहाँक प्रेमी निर्धन रहितय तँ अहाँ प्रेम नै करितियै ?
राधा- बिल्कुल नै करितियै ।
भिखमंगा- भगवान नै करय काल्हि दिन अहाँक प्रेमी गरीब वा बिमारियाह बनि जेताह तखन अहाँ हुनका छोड़ि देबै ? कोनो अमीर आ शारीरिक बलगर पुरुखसँ वियाह कऽ लेबै ?
राधा- जरूर कऽ लेबै ।हमरा मोनमे ओकरा लेल कनिको टीस नै उठतै ।हम तँ पहिनहिये कहलौं, ई कलयुग नै, टाका युग छै ।सब किछु टाका छै । टाका छै तँ प्रेम छै ।टाका छै तँ संगी छै ।टाका छै तँ जिनगी सुन्नर बगैचा सन छै, नै तँ गेनहाइत खण्डहर, मरूथल सन बनि जाइ छै जीवन ।
भिखमंगा- ई सब बात मात्र कहबाक लेल छै दाइ ।एक चुटकी सेनूरक मोल अहाँ नै जानैत छी तेँ एहन बात बाजै छी ।
राधा- (हँसैत) हा...हा...हा हमरा किए नै बुझल रहतै एक चुटकी सेनूरक मोल !पाँच-दस टाकामे एक डिब्बा भेंट जाइ छै । अहाँकेँ एक्कै चुटकी अनमोल लगैत अछि...हा...हा...हा...
भिखमंगा- ई कोनो चुटकुला नै अछि जे अहाँ हँसि देलियै ।दू टा आत्माक बीच पूलक काज करै छै एक चुटकी सेनूर ।दू टा मोनक विश्वास छियै एक चुटकी सेनूर ।अहाँ की बुझबै एकर मोल !हाय रे हाय, एते घटीया सोच भरल अछि अहाँक दिमागमे !आश्चर्य घोर आश्चर्य भऽ रहल अछि हमरा ।आब तँ अहाँसँ बात करब बेकार लागैत अछि, मुदा एते जरूर कहब, ओ दिन दूर नै जखन अहाँकेँ एक चुटकी सेनूरक मोल बुझाएत ।
( फैशनेबुल कपड़ा पहिरने, हाथमे उपहारक पैकेट लेने श्यामक प्रवेश होइत अछि ।श्यामकेँ देख राधा श्याम लऽग चलि जाइत अछि ।)
राधा- हमर बात नीक नै लगैत अछि तँ रुकल किए छी ! जाउ...जाउ... रोकने के अछि अहाँकेँ ।आब अहाँ संग समय व्यर्थ करबाक जरूरति नै अछि ।एते देर बतियेलौं ताहि लेल धन्यवाद । (श्याम दिस घुरैत ) श्याम, भिखमंगाकेँ किछु टाका दऽ दियौ । बड देरसँ दिमाग खेलक अछि, जल्दीसँ किछु टाका दऽ कऽ भगाउ एकरा ।
(श्याम पर्शसँ एक टा नमरी निकालि कऽ दैत अछि ।भिखमंगा पाइ लऽ लैत अछि ।)
भिखमंगा- जुग, जुग जीबू ।भगवान भरल-पुरल राखथि, नीक बुधि दैथ ।(गाबैत जाए लागैत अछि )
कोनो डागडरक सुइया ने काज करय
लागै जँ एहन बोखार यौ मीता
भऽ जाइ छै जकरा प्यार यौ मीता
भऽ जाइ छै जकरा प्यार. . . . . . . . . .
(राधा आ श्याम एक दोसरसँ गला मिलैत अछि ।)
राधा- हैप्पी वेलेन्टाइन डे, डियर ।(अपन जुट्टीसँ गुलाब नीकालैत अछि आ श्यामकेँ दैत अछि ।श्याम फेरसँ राधाक जुट्टीमे खोंसि दैत अछि ।)
श्याम- अहूँकेँ (धीरे धीरे दुनू हाथ फैलाबैत) एते...एते...एते... बडका टा हैप्पी वेलेन्टाइन डे ।
राधा- चलू अहाँक नम्हर टा मुबारकवाद स्वीकार कएलहुँ ।(रूसैत) अहाँ बड निर्दयी छी ।अहाँसँ हम कट्टी करैत छी ।आब अहाँसँ बात नै करब ।
श्याम -बात नै करब !हमरासँ कोन गलती भेलै जे अहाँ बात नै करब ।
राधा- गलती... गलती तँ बड बड पैघ भेल अछि अहाँसँ ।
श्याम- कने हमहूँ तँ बुझियै जे हमरासँ केहन गलती भेलै जे हमर प्राण हमरासँ रूसि गेल छै ।(राधाक हाथ पकड़ि लैत अछि ।)
राधा- छोरू हमरा (कछमछाइत हाथ छोड़ेबाक प्रयास करैत अछि ।) एक बेर कहलौं ने... सुनाइ नै दैत अछि...छोरू हमरा ।
श्याम- एते जल्दी कोना छोड़ि देब ।बुझल नै अछि अहाँकेँ !फेविकालसँ बेसी जोरगर होइ छै प्रेमक लस्सा ।एक बेर सटलाक बाद छुटि नै सकै छै ।
राधा- (तमसाइत ) अहाँ नै छोड़बै हाथ ।
श्याम- (नैमे मूड़ी डोलबैत) नै, किन्नहुँ नै ।
राधा- (जोरसँ हाथकेँ झटका दैत अछि ।श्यामक पकड़सँ हाथ छुटि जाइ छै ।राधा अलग भऽ जाइत अछि ।राधा दहिना हाथक मुट्ठी बंद कऽ औंठा ठाढ़ करैत अछि आ फेर औंठाकेँ नीचा कऽ मुँह दुसैत श्यामकेँ खिसियाबैत अछि ।) अहाँसँ कट्टी...कट्टी...कट्टी ।एक दुपहरियासँ अहाँक बाट जोहि रहल छी आ अहाँ एखन एलौं हेँ ।
श्याम- अच्छे...तँ ई बातक गोस्सा छै राधा रानीकेँ ।(कने रूकि कऽ) देखियौ...हमहूँ केहन पागल छियै...मेने बात बिसरि गेलियै ।(हाथ बला पैकेट राधा दिस बढ़बैत अछि ।राधा दोसर दिस मुँह घुमा लैत अछि ।) देखियौ एते रास बात भऽ गेलै आ वेलेन्टाइन गिफ्ट देनाइ बिसरि गेलियै...लिअ...लिअ ने ।(राधा नै लैत अछि ।राधाक एकटा हाथ पकड़ि पैकट ओकर हाथमे दऽ दैत अछि ।) हे एना नखरा जुनि देखाउ ।हमरा लेट करबैमे अहींक कसूर अछि ।
राधा- हँ हँ हमर कसूर किए ने रहतै !भरि दिन हमरा सता कऽ देरसँ ई एलखिन आ गलती ठहरलै हमर...वाह रे वाह...उनटे चोर कोतवालकेँ डाँटय ।
श्याम- अहाँक गलती नै तँ की हमर गलती छै ।अहाँक एतेक सुन्दर होइ लेल के कहने छलय ?एहन सुन्दर नारी लेल तँ गिफ्टो सुन्दरे चाही ने ? आब अहाँ जोकर गिफ्ट एते असानीसँ भेटै बला छैहे नै ।सगरो बजारक चक्कर लगाबऽ पड़लै तखन जा कऽ पसिनक गिफ्ट भेटल ।एहि दौड़-बरहामे देरी भऽ गेलै तँ हमर कोन गलती ?कने प्रेमक बात करत से नै, खाली रुसनाइये तँ जानै छी हमरे अहाँ ।हमरे पोसल बिलाई आ हमरेसँ म्याउँ ।
राधा- के कहने छलय गिफ्ट आनै लेल ?एतऽ टेंशनसँ मगजक नस टुकड़ी-टुकड़ी भेल जा रहल छै आ अहाँकेँ गिफ्ट सुझैए ।
श्याम- (हड़बड़ाइत) टेंशन...केहन टेंशन भऽ गेलै हमर राधा प्यारीकेँ...के दऽ देलकै टेंशन...नाम तँ बताउ...सारकेँ एतै प्राण हरि लेबै ।
राधा- वियाह...वियाह चलते टेंशन बनल अछि ।
श्याम- (उत्साहित होइत) वियाह...अरे वाह...वियाहक नाम सुनिते लोकक टेंशन निपत्ता भऽ जाइ छै आ अहाँकेँ टेंशन बनि गेल अछि ।एहन उलटबासी किए ?
राधा- बात तँ सत्ते कहलौं आहाँ ।वियाहक नाम सुनिते उत्तेजित भेनाइ स्वभाविक अछि, मुदा ई वियाह तँ बड पैघ टेंशन दै बला अछि ।
श्याम- हमरा संग वियाह करबामे कोनो टेंशनक बात नै अछि ।रानी बना कऽ राखब अहाँकेँ ।भारीसँ भारी टेंशनकेँ प्रेमक एक्कै टा फूँकमे दूर उड़ा देब ।हँ, कनेक टा टेंशन अछि ।अपना दुनू गोटाक वियाह लेल किछु दिन बाट जोहऽ पड़त ।ओना तँ हम तैयार छी, मुदा बड़का भैयाकेँ कुमार रहैत... नै नै भैयाक वियाह हुअऽ दियौ तकर बात हमर नम्बर आबि जेतै ।फेर धूम धामसँ दुनू गोटाक वियाह हेतै ।एकटा बात और वियाहक बाद शिमलाक पाँच सितारा होटलमे चलब हनीमून मनबैक लेल ।
राधा- श्याम, ई मजाख करबाक समय नै छै ।(कम जोरसँ) हमर ई वियाह अहाँ संग नै अछि, ककरो दोसर संग अछि ।
श्याम- (आश्चर्यचकित होइत) ककरो दोसर संग वियाह...मने की अछि अहाँक ?
राधा- मने...मने हमर वियाह ठीक भऽ गेल अछि ।किछुए दिनमे हमर वियाह भऽ जाएत ।
श्याम- सचमे ई तँ बड पैघ टेंशन अछि ।किछु तँ करैये पड़तै ।
राधा- श्याम, हम अहाँ बिना नै रहि सकै छी ।हमर वियाह कमजोर घरमे ठीक भेल अछि ।दूर देहातमे रहऽ पड़त ।गोइठा पाथऽ पड़त...नै...नै...हमरासँ ई सब नै हएत ।हम आधुनिक सुख-सुविधाक तियाग नै कऽ सकब ।किछु करू श्याम, किछु करू ।
श्याम- (बेचैन होइत हाथपर मुक्का मारैत अछि ।)आह...की करी...किछु नै फुराइत अछि ।भैयासँ पहिने हमर वियाह, नै नै ई असम्भव अछि ।बाबू किन्नहुँ नै मानथिन ।
राधा- किछु होइ, हम अहाँकेँ छोड़ि ककरो आनकेँ वरण नै कऽ सकब ।हम मरि जाएब मुदा बजार छोड़ि भुच्चर देहातमे नै जाएब ।अहाँकेँ किछु सोचैये पड़त ।जेना होइ तेना एहि संकटसँ उबाड़ैये पड़त अहाँकेँ ।युग-युगसँ घटि आएल ई घटना आब नै भऽ सकत ।आब राधाकेँ छोड़ि कऽ श्याम नै जा सकैत अछि ।आब इतिहास नै दोहरा सकैत अछि ।किछु करू श्याम, किछु करू ।
श्याम- भावनामे नै उधियाउ राधा...भावनामे नै उधियाउ ।कने दिमागसँ सोचियौ ।आब एक्कै टा उपाय अछि ।अहाँकेँ ओकरासँ वियाह करऽ पड़त ।
राधा- (आश्चर्यचकित होइत) वियाह कऽ लियै...एना कोना वियाह कऽ लियै !अहाँकेँ कोना छोड़ि दियै ! अहाँकेँ ई बात बाजैत केहनो नै लागल !
श्याम- देखू राधा, हमरा संग मजबूरी अछि ।बात बुझैक प्रयास करियौ ।अहाँ एखन हुनकासँ वियाह कऽ लिअ ।बादमे जखन हमर भैयाक वियाह भऽ जेतै तखन अहाँसँ हम वियाह कऽ लेब ।
राधा- से कोना सम्भव छै ? की वियाहक बाद अहाँ हमरा स्वीकार कऽ लेब ?
श्याम- किए नै...किए नै स्वीकार करब, मुदा...
राधा- मुदा...मुदा की ?
श्याम- मुदा एक टा शर्त अछि ।
राधा- शर्त...केहन शर्त अछि ।
श्याम- जँ एहि अन्तरालमे अहाँ अपन सतीत्वक रक्षा केने रहबै तँ हम अहाँसँ सहर्ष वियाह कऽ लेब ।
राधा- ठीक छै ।अपन सुख-सुविधा लेल, अहाँ संग रहैक लेल, आधुनिकताक संग जीबैक लेल हमरा ई शर्त स्वीकार अछि ।वियाह कऽ लेब मुदा मोनसँ अहींक रहब ।ओकरा अपनासँ सटैयो नै देबै ।अपनाकेँ कुमाइये बुझब ।झुठउँका सेनूर लगाएब ।ओनाहितो सेनूरक मोले की छै, पाँच-दस टाका ।जखन मोने नै मिलतै तखन सेनूर लगेलासँ की हेतै ?
श्याम- वाह...अहाँ तँ अपने बुझनुक छी, सब गप बूझि गेलौं ।चलू बड भारी टेंशन खतम भेल ।आब तँ हँसि दिअ ।(राधा मुस्कियाइत अछि ।) ई भेलै ने बात ।चलू आब साँझ पड़ि गेलै...ओनाहितो आब वियाहक तैयारी करबाक अछि ।
राधा- (लजाइत) दूर जाउ...अहूँ बड मजाख करै छी ।ई वियाह कोनो वियाह छियै ।
श्याम- से तँ छैहे ।खैर चिन्ता नै ने करू ।जखन हमरासँ वियाह हएत तखन सबटा सऽख-मनोरथ पूरि जाएत ।हँ हनीमून बला बात इयाद राखब ...हा...हा...हा ।
(दुनू हँसऽ लागैत अछि ।नहूँ-नहूँ पर्दा खसैत अछि ।)
पट परिवर्तन (दोसर पट)

( मुरलीक घरक दृश्य ।राधा घेंट झुकौने, माँथपर हाथ देने चिन्ताग्रस्त मुद्रामे बैसल अछि ।लऽगमे मुरली पत्रिका पढ़ैत अछि ।)
मुरली- (पत्रिकासँ धियान हटा राधा दिस ताकैत ।) की भेल अहाँकेँ ? किए मुँह लटकेने छी ?जहियासँ सासुर एलौं हेँ अहाँक मुँह लटकले रहैत अछि ।एतेक सुन्दर रूप-रंग देने छथि दैवा, एकरा व्यर्थ किए कऽ रहल छी ?दैवोकेँ तामस चढ़ैत हेतनि ।कखनो काल मुस्कियाएलो करियौ ।
राधा- की करबै ? जिनगियेक नाम उदासी छैक ।जखन करेजक गहराइमे बड़का टा घाव भेल छै जकर टीससँ रहि-रहि कऽ देहक अंग-अंग कानैत रहैत अछि तखन कृत्रिम मुस्कुराहटसँ कोन फायदा ?
मुरली- अहाँक टीस कोनो अहींकेँ तँ नै कनबैत अछि, हमरो कनबैत अछि ।अहाँसँ बेसी दर्द हमरा होइत अछि ।अहाँ हमर अर्द्धांगनी छी ।आधा अंग छी ।देहक आधा भाग दर्दसँ कुहरैत रहतै आ आधा भाग हँसैत रहतै, ई कतौ सम्भव छै ? नै ने ।तखन लोककेँ अपना सक भरि हँसी-खुशीसँ रहबाक चाही ।
राधा- जँ अहाँकेँ हमर एतेक चिन्ता होइत तँ हमर दर्दक दवाइ किए ने आनैत छी ?
मुरली- एकर कारण तँ अहूँकेँ नीक जकाँ बूझल अछि ।ई बात सत्य अछि जे अहाँक नैहर बला सुख-सुविधा एतऽ सम्भव नै अछि, मुदा हम तँ प्रयास कैये रहल छी ?गाममे बिजली नै छै तेँ अहाँकेँ एसी, फ्रीज आ टी॰भी॰ बला सुविधा कोना देब ।हमर आमदनी एतेक बेसी नै अछि जे अहाँकेँ लेल शहरी वेवस्था कऽ देब ।
राधा- हँ...हँ...बुझलौं...बुझलौं ।अहाँ तँ अपन बचाब करबे करबै ने ! एँ यौ दुनियाँमे लोक जँ ठानि लै छै तँ कीसँ की कऽ दै छै आ अहाँकेँ सुनिते चोन्ह लागैत अछि ।हमर उदासी नै हरि सकै छी तँ कमसँ कम बाजैयोसँ परहेज करू ।
मुरली- (तमसाइत) परहेज, परहेज तँ केनाहिते छी ।आब कतेक करी ।सब बातमे तँ अहाँकेँ हमरे गलती देखाइत अछि ।कोनो बात कहब नै कि मुँह लटका लेब ।लोक जाहि सुख लेल वियाह करैत अछि से तँ कहियो देलौं नै, खाली झगड़ैत रहै छी ।जखन अहाँकेँ हम पसीन नै छलौं तँ हमरासँ वियाह किए केलौं ?
राधा- वियाह कोनो हम अपन मरजीसँ केलौं ।जँ हमर वश चलितय तँ अहाँकेँ वेदीयेपर सँ बैलगा दितौं ।हम तँ तखनो मजबूर छलौं आ एखनो मजबूर छी ।
मुरली- मजबूर, झुठौंका मजबूरी अछि ।एखन तँ अहाँक वश चलिते अछि ।एखन कोनो हमरा अपन लऽगमे रखने छी, एखनो तँ हम अहाँसँ दूरे छी ।दूर रहै छी ।दूर सुतै छी ।दूरे हँसै छी ।अहाँसँ हमरा कोन सुख भेटल जे हम अहाँकेँ सुख देब ।
राधा- नै ने दिअ ।अहाँसँ सुखक भीख माँगिते के अछि ? अहाँ किछु नै दिअ बस हमरा छुआछन दऽ दिअ । हमरा तलाक दऽ दिअ ।
मुरली- (नरम होइत) हे जे भेल से भेल, आब एहन बात फेर नै बाजब ।वियाह मने छुट्टमछुट्टा नै होइ छै ।वियाह मने तलाक नै होइ छै ।वियाह मने प्रेम होइ छै ।प्रार्थना करैत छी अहाँसँ, एहन बात नै बाजल करू ।
राधा- तखन हमर दिमाग नै खाउ ।झुट्ठेकेँ केँ-केँ केँ-केँ करैत रहै छी ।चुप रहू ।
(मुरली चुप भऽ जाइत अछि ।राधा एकटा पत्रिका लऽ पढ़ऽ लागैत अछि ।राजाक प्रवेश होइत अछि ।)
राजा- (दुनू हाथ जोड़ैत ।) प्राणाम भौजी...की हाल-समाचार अछि ? नीके ने?
राधा- हँ हँ, नीक अछि ।
राजा- घर-दुआरिमे कने कम जोरसँ बाजल करू ।बाहर धरि ओनाहिते अवाज जाइ छलय ।लोक-वेद सुनतै तँ की सोचतै ?
मुरली- की सोचतै आ किए सोचतै ? आजुक जमानामे पति-पत्नीकेँ प्रेमो करैक लेल घरक कोनटामे सन्हियाए पड़तै की ?
राजा- (व्यंग करैत) नै नै, सन्हियाए किए पड़तै ? आजुक जमानमे छतपर चढ़ि कऽ चिचिया-चिचिया कऽ प्रेम करऽ पड़तै ।(जोरसँ बाजैत) यौ गौआँ-घरुआ, सुनै जाउ, हम प्रेम करैत छी ।हम कनियाँकेँ बाँहिमे पकड़ैत छी ।हम चुम्मा लैत छी... ।हूँह, बड एलखिन प्रेम करै बला ।हमहूँ वियाहल छी मीता ।प्रेम कोना होइत छै से हमरो बुझल अछि ।मुदा एखुनका अवाजमे तँ प्रेम जकाँ किछु नै बुझाइत छलौ ।
मुरली- निकालि ले सबटा जलन एतै ।तूँ अपन करिझुमरी कनियाँ संगे कोना प्रेम करैत छहीं से कोनो हमरा नै बुझल छै ।हम तँ सत्यानाश जानैत छीयै ।तोहर प्रेम तँ लाइत-मुक्का आ बेलनेसँ शुरू होइत छौ ।
राजा- जेना कि हिनका घरमे ई सब नै होइत छन्हि ।पहिने अपन कमजोरी देख, बादमे हमरा कहिहें ।
मुरली- एँ रौ, हमरा किए हएत झगड़ा !हमर कनियाँ छथिये चानक टुकड़ा, फूल कुमारी, दूधक छाल्ही, हमरा किए हएत झगड़ा !हम तँ सदिखन प्रेमक वाटिकामे विचरण करैत रहैत छी ।(राधा दिस घुमैत) की यै, ठीक कहलौं ने ?
राधा- (जेना धियान भंग भऽ गेल होइ ।हड़बड़ाइत ।)हँ...हँ, हेतै किए नै ।जरूर हेतै झगड़ा...की हमरा दऽ कहलियै ?...नै नै, झगड़ा किए हेतै...हमरा दुनूमे प्रेम हेतै, झगड़ा कथी लए हेतै !
मुरली- (राजा दिस घुमैत)आब बाज...आब तँ समर्थन भेंट गेलौ ?
राजा- जाए दहीं...जाए दहीं ।बड भेलौ फुस्टींग ।तोरासँ बतियाइये बला बड पैघ मुर्ख होइ छै ।
मुरली- तँ नै ने बतिया ।
राजा- नहियें बतियेबौ की ।(घुसकि कऽ राधा लऽग जाइत अछि ।)हम तँ आब भौजीएसँ बतियेबै ।की यै भौजी, बतियेबै ने अपन देउरसँ ?
राधा- हँ हँ, किए ने बतियेबै ।भरि पोख बतियेबै ।
राजा- अच्छे भौजी, एकटा बात बताउ ।अहाँ वियाहल छी वा कुमारि ?
राधा- (हँसैत) हा...हा...हा...ई केहन प्रश्न भेल ?एखने अहाँ पत्नी-पत्नी करैत छलियै आ एखने एहन प्रश्न पुछैत छियै ? की अहाँकेँ नै बुझल अछि जे कोनो नारी पत्नी कखन बनैत छै ?
राजा- बुझल किए ने रहत !नीक जकाँ बुझल अछि, मुदा अहाँक माँगमे सेनूर नै अछि ने तेँ आशंका भेल ।
(राधा चुप रहैत अछि ।)
मुरली- नै बुझलहीं मीता, सेनूर लगेलासँ राधाक माँथ दुखाए लागै छै ।ओनाहितो राधाकेँ कम दामक समान उपयोग करैक आदत नै छै ।सेनूरक दाम तँ बुझिते छहीं पाँच-दस टाका...
राजा- से तँ बुझलियौ, मुदा हिन्दू धर्मक नियम तँ नै तोड़ि सकै छी ने ।सेनूर लगेबाक तँ अपन सभक परम्परा रहल अछि ।वियाहमे सिन्दूर दानक बिध होइ छै । सेनूर नै लगेलासँ वियाहक कोनो महत्वे नै बचै छै ।ओनाहितो विज्ञान कहै छै जे सेनूर वा चानन लगेलासँ एकाग्रता बढ़ै छै ।माँथ दुखाइ बला बात तँ एखन धरि कतौ नै पढ़लियै ।
मुरली- जाए दहीं ।एहि बातपर बहस केलासँ कोनो फायदा नै छै ।हम पति-पत्नीक बीच मजगूत प्रेम हेबाक वकालत करब ।सेनूर-तेनूरसँ की हेतै ।केवल प्रेम हेबाक चाही ।आब ई सब तँ मात्र ढोअल जाइ छै ।आधुनिका सबकेँ गिरने जा रहल छी ।राधा नै चाहै छै तँ नै लगबौ ।प्रेम तँ अछि आ रहबे करत ।
राजा- तैयो...
मुरली- तैयो-बैयो किछु नै ।विश्वमे बहुते समुदाय एहन छै जे सेनूर नै लगबै छै, ओकरा की करबहीं ? सामाजिक आ किनूनी, दुनू द्वारा पति-पत्नी तँ ओकरो मानले जाइ छै ।(राजा हँमे मूड़ि डोलबैत अछि ।) बड घिचम-तिरा भेलै ।माँथ दुखाए लागल ।चल कने चौकपर सँ भऽ आबी ।
राजा- चल चल ।रघुआ हाथक कचरी खेला बड दिन भऽ गेलै ।ओकरो सुआद लऽ लेबै ।
(राजा आ मुरली पर्दाक पाछु चलि जाइत अछि ।)
राधा- (पैघ साँस छोड़ैत ।)ओह, केहन-केहन सबाल पूछऽ लागल रहै !ओ जँ नै सम्हारितथि तँ सब भंडा आइये फूटि जैतै ।एखने पता चलि जैतै जे हमरा दुनूक बीच पति-पत्निक रिश्ता मात्र देखाबा लेल छै ।
(तखने मोबाइलक घण्टी बजैत अछि ।राधा फोन उठबैत अछि ।)
राधा- हेलौ,..हेलौ...के बाजैत छी ?
(फोनपर श्यामक अवाज सुनाइत अछि ।*नोट- श्यामकेँ पर्दाक पाछू राखि संवाद कराएल जाए ।*)
श्याम- नै चिन्हलौं हमरा ?आइ-काल्हि लोक एनाहिते बिसरि जाइ छै ।आब हमर जरूरते कोन अछि अहाँकेँ जे हमरा इयाद राखब ।
राधा- सहीमे हम नै चिन्हलौं ।आब पहेली बुझेनाइ छौरू आ अहाँ के छी से बताउ ।
श्याम- हमरा नै चिन्ह कऽ अहाँ अपने एकटा पहेली ठाढ़ कऽ देने छी ।अहाँ राधा छी ने?
राधा- हँ हँ ।हम राधा छी ।
श्याम- हम श्याम छी ।अहाँक श्याम ।आब चिन्हलौं की नै ?
राधा- अच्छे श्याम...अरे बाप रे बाप...अहाँकेँ कोना नै चिन्ह पेलियै ! बड दिन बाद मोन पाड़लियै...नीक जकाँ छी ने ?
श्याम- हँ हँ ।हम नीक जकाँ छी ।अहाँ बिना कने उदास छी ।अपन बताउ ?
राधा- हमहूँ ठीके-ठाक छी ।ओना उदासी तँ हमरो अहीं जकाँ अछिये ।
श्याम- अहाँक पति केहन छथि...मने केहन मिजाजक छथि ?
राधा- स्वस्थ छथि ।लोकमिल्लू छथि ।लोकक सामने देखार नै हुअऽ दैत छथि ।
श्याम- तखन तँ ठीक अछि ।कहलौं जे आब लाइन क्लियर भऽ गेल अछि ।बड़का भैयाक वियाह भऽ गेल अछि ।आब हमरो वियाहक बात उठि रहल अछि ।हम सब एगंलसँ रेडी छी ।अहाँ हमरासँ वियाह करबाक लेल रेडी छी ने ?

राधा- इहो कोनो पुछैक बात छै ।हम तँ वियाह करै लेल तैयारे छलहुँ ।देर तँ अहीं केने छलियै ।बिसरि गेलियै की ?अहीं तँ बड़का भैयाक वियाह होबऽ दै लेल कहने ।अहींक कहलापर शहरी मौज-मस्ती छोड़ि कऽ एहन भुच्चर देहातमे वियाह केलौं ।देखू तँ अहींक इयादमे हमर देह दिनो दिन सुखल जा रहल अछि ।अहाँ तँ एहन रोग लगा देने छी जे खेनाइ-पिनाइ नीक नै लगैत अछि ।
श्याम- मने अहाँ तैयार छी ।चलू तखन तँ सब किछु ठीक अछि ।रश्ता क्लियर अछि, मुदा... ।
राधा- मुदा की ?
श्याम- मुदा एकटा बात एखन बाँकी अछि ।मने...मने जे छै से...कहबाक तात्पर्य जे मुरली संग कहियो ओछैन शेयर...मने जे करिखा पोताइ बला काज नै ने...
राधा- (बिच्चेमे बात काटैत ।) किए, अहाँकेँ हमरापर विश्वास नै अछि की ?
श्याम- (हँसैक चेष्ठा करैत ।)हें...हें...हें...विश्वास तँ अछिये...तैयो जे छै से श्योर भेनाइ जरूरी छै ने ?
राधा- अच्छे, एकटा बात बताउ...जँ हम पवित्र नै रहितियै...जँ हमर शील भंग भेर रहितै तँ अहाँ हमरा नै अपनबितियै ?
श्याम- हें...हें...हें...तखन कोना अपनबितियै !मने जे छै से लकड़ीक डेकची आ लड़कीक सतित्व एक बेर आगि मने पुरूषक सम्पर्कमे एकलाक बाद पुन: प्रयोग योग्य नै ने बचैत छै ?हेँ...हें...हें...खराब नै मानब ।अहीं कहू जाहि लेल वियाह करब सएह ओरिजनल नै भेटत तँ वियाह करैक फायदे की ?
राधा- ठीक छै ।आब छोरू डेकची-डेकचाक बात ।एक्कै टा बात बुझू जे हम पवित्र छी, अनमन गंगा जकाँ ।
श्याम- जखन अहाँ गंगाजल सन पवित्र छी तँ हमहूँ शिवशंकर जकाँ अपन बाँहिमे बान्हैक लेल तैयार छी ।(कने रुकैत !) पुन: कनेक टा समस्या और जनमि गेल अछि ।
राधा- कोन समस्या ? फरिछा कऽ कहू ।
श्याम- टाकाक समस्या ।इम्हर कने हाथ खाली भऽ गेल अछि ।अहाँ तँ जानिते छी, नव घर बसबैमे तेरह तरहक झंझट उत्पन्न होइ छै ।अठहत्तर ठाम खर्च होइ छै, तेँ किछु टाकाक इन्तजाम अहाँ अपना स्तरपर करू ।
राधा- हमरा कोनो बैंक बैलेन्स छै जे जोगार करब ।हमरा बुत्ते ई सब नै हएत ।
श्याम- अहाँ एते जल्दी घबड़ा किए जाइ छी !शान्तिसँ सुनू, एकरो उपाय अछि हमरा लऽग ।अहाँ लऽग जते गहना-गुड़िया अछि से सबटा अपना संगमे लऽ लेब ।किछु टाका मुरलीयोसँ झीट लिअ ।ओनाहितो एते दिनक मुँह देखाइयो तँ भेंटबाक चाही की नै ?जेना-तेना कऽ किछु लेनाहिते आएब ।
राधा- हुनको लऽग टाका नै छै ।ओ अपने खेतिहर छथिन ।हुनका रहतै तखन ने झिटबै ?ओ कतऽसँ देथिन रूपैया ।एक दिस तँ हुनकासँ वियाहक बंधन तोड़ि रहल छी आ दोसर दिस हुनकासँ रूपैया झीट ली ।नै, मोन नै मानैत अछि ।ई सब नै हएत हम बुते ।
श्याम- ओफ-ओह राधा रानी, अहाँ बड मूर्ख छी ।जखन अपन घरबलाकेँ छोड़िये रहल छी, ओकरासँ मिसियो मोह अछिए नै, तखन ओकरा लेल चिन्ता किए करैत छी ?अहाँ आम खाइपर धियान दियौ, गाछ गानैक काज मुरलियेपर छोड़ि दियौ ।
राधा- ठीक छै ।हम प्रयास करब ।
श्याम- ठीक छै ।चारिम दिन हम आएब ।अहाँ सब किछु सैंत-सम्हारि कऽ तैयार रहब ।घर छोड़लाक बाद अगिले दिन कोनो मंदीरमे दुनू गोटा वियाह कऽ लेब ।की ठीक छै ने ?
राधा- हँ हँ, ठीक छै ।हम विरहिन बनि अहाँक बाट जोहब ।गुड बाइ ।टेक केयर ।
श्याम- गुड बाइ ।
(फोन काटि राधा मंचपर टहलऽ लागैत अछि ।मोने-मोन सोचैक अभिनय करैत अछि ।)
राधा- की करियै ?कोना करियै ?समय बड कम छै ।गहना-गुड़िया. कपड़ा-लत्ता तँ हम लऽ लेबै, मुदा... एते जल्दी टाकाक जोगार कोना हेतै ?कोन झूठ बाजि कऽ टाका माँगबै ?...सात मास जकरा संग रहलियै ओकरा कोना छोड़ि सकबै !...जे अपन मोनक सबटा बात हमरा बता दै छै हुनका एते पैघ बात कोना ने बतैयै !एसगर एहि घरमे कोन हालत हेतै ओकर, भगबाने जानथि ।...आखिर श्यामे जकाँ इहो तँ हमरासँ खूब प्रेम करैत छथिन...नै राधा नै, तूँ एहि नरकसँ निकलि जो ।मुरलीसँ जुटैत प्रेमक ताग तोरा लेल खतरनाक छौ ।...सत्ते तँ कहै छै ।हमरा टाका चाही, प्रेम तँ ढल्ला भेंट जेतै ।...हँ हमरा हिनका छोड़ि श्यामे संग जाए पड़तै ...आब नै रुकबै...आब श्याम संगे चलि जेबै...हिनकासँ मोह नै करबै ...चलि जेबै...आब बिना बतेने चलि जेबै ।
(मुरलीक प्रवेश होइत अछि ।मुरलीकेँ देखिते राधा कानऽ लागैत अछि ।)
राधा- (कानैत आ छाती पीटैत ।) अरे बाप रे बाप...आब हम की करियै रे बाप...हमरा टुअर किए बनबै छें गे माए... अगे माए गै माए...आब हमरा के देखतै गे माए... (मुरली चुप करबऽ लागैत अछि ।)
मुरली- की भेलै ? किए कानैत छी ? चुप भऽ जाउ ।
राधा- (कानैत) नै यौ, हम कोना चुप भऽ जैयै यौ ! हौ दैवा हौ दैवा... हम कोन कसूर केन छलियै हौ दैवा...हौ दैवा हमर माएसँ कोन जनमक दुश्मनी निकाललहो हो दैवाऽऽऽ...
मुरली- पहिने अहाँ चुप भऽ जाउ ।ठीक-ठीक बताउ ने, की भेलै ?ककरा के की कऽ देलकै ?
राधा- (कानैत) हमर माए मरि रहल छै...आब हम की करियै हो राम...होस्पिटलमे भरती भेल छै हम माए ...माए गे माए ...
मुरली- होस्पिटलमे छथि तँ कानै किए छी ?दबाई-सुइया चलिते हेतै, ठीक भऽ जेथिन ।काल्हिये चलू माएसँ भेंट करा देब ।ऐमे कानैक कोन बात छै !
राधा- पाइ रहतै तखन ने ठीक हेतै । कोनो छोट-मोट रोग रहितै तखन ने कम-सममे होइतै ।कैंसर छै ।कीमोथेरेपी करबऽ पड़तै ।25 लाख धरि रूपैया चाही ।(कने रुकैत ।) किछु रुपैयासँ अहाँ मदति कऽ दितियै तँ...
मुरली- हमरा लऽग टाका रहतै तखन ने मदद करबै !
राधा- टाका नै छै तँ की भेलै ? वेवस्था तँ कएल जा सकै छै ।करियौ ।
मुरली- प्रयास करैत छी ।हमरासँ कतेक टाका चाही अहाँकेँ ?
राधा- 25 लाखक खर्चमे कमसँ कम 10-12 लाख टाका तँ देबैयै पड़तै ।
मुरली- (आश्चर्यसँ) 10-12 लाख !
राधा- और नै तँ की !
मुरली- हम तँ बुझलै 10-12 हजार ।10-12 लाख टाकाक जोगार हमरासँ सम्भव नै अछि ।जते सम्भव होइ ओतबे खर्च करैक चाही ।10-12 लाख टाकाक कर्जा चुकबैक क्षमता नै अछि हमरा ।जते पैघ चादर होइ, लोककेँ ओतबे पएर पसारैक चाही ।चलू कने-मने टाकासँ मदति कऽ देबै ।एते-एते टाका तँ गृहस्थ परिवार सपनोमे नै देखै छै ।मदति करैक तँ बाते दूर छै।
राधा- एकर मने अहाँ हमरासँ प्रेम नै करैत छी ?हमरा पत्नी रूपमे स्वीकार नै केने छी ?
मुरली- फेर, ऐमे प्रेम कतऽषँ घुसि गेलै ?एकटा बात बुझि लिअ ।अहाँ सेनूर लगाउ वा नै लगाउ, मुदा अहाँ वियाहल छी, वियाहल छी, वियाहल छी ।वियाहल नारी लेल सब किछु ओकर सासुर होइ छै, नैहर नै ।आइ अहाँक सासुरकेँ एतेक टाका देबाक ओकादि नै छै तेँ बेसी मोन नै बढ़ाउ ।
राधा- एतेक पैघ प्रवचन तँ दऽ देलियै, मुदा हमर प्रश्नक उत्तर नै देलियै ?
मुरली- प्रश्नक उत्तर की दी ?की अहाँकेँ नै बुझल अछि ?जँ हम अहाँसँ प्रेम नै करितौं तँ आइ राजा लऽग अहाँकेँ बचेबाक प्रयास नै करितौं ।पति-पत्नी होइतो, दैहिक-सम्बन्धसँ दूर रहितो, सदिखन अहाँक पक्षमे ठाढ़ छी ।की एकरा प्रेम नै कहल जाइ छै ?
राधा- पक्षमे !हूँह, पक्षमे कहाँ छी अहाँ !पक्षमे रहितियै तँ आइ पाइक वेवस्था करितियै ।दुनू कान खोलि कऽ सूनि लिअ ।जँ आइ अहाँ टाकाक जोगार नै करबै तँ काल्हि हमर मरल मुँह देखब ।हम जहर...
(मुरली राधाक मुँहपर हाथ राखि चुप करबैत अछि ।)
मुरली- देखू...हम चेतबै छी ।जे बाजलौं से बाजलौं ।आब एहन बात फेर नै बाजब ...हम प्रयास करैत छी ।जेना हेतै तेना हम टाका आनब, मुदा अहाँ मरैक विचार मोनसँ निकालि दियौ ।बुझलौं ने ?
(राजाक प्रवेश होइत अछि ।)
मुरली- (राधासँ) जाउ, कने चाह बनाउ ।चौकोपर नै पीब सकलियै ।
(राधा चलि जाइत अछि ।राजा कुर्सीपर बैस रहैत अछि ।)
मुरली- मीता, हम बड पैघ संकटमट फँसि गेल छी ।दूध, माँछ दुनू बाँतर बला पढ़ि भऽ गेल अछि ।
राजा- कोहन संकट ?
मुरली- एकाएक 10-12 लाख टाकाक आवश्यकता पड़ि गेल अछि ।कत्तौसँ जोगार कर ।
राजा- एते पाइ लऽ कऽ की करबहीं ?
मुरली- हमर सासु होस्पिटलाइज छै ।एतबे नै, जँ आइ टाकाक वेवस्था नै करबै तँ काल्हि राधा जहर खा लेतै ।
राजा- मुदा आइ-काल्हि तँ बैंको बंद छै ।एते बेसी रकम किओ देबो नै करतै ।(कने सोचैत ।) हँ एकटा रश्ता छै ।
मुरली- कोन ?
राजा- रश्ता तँ कने खतरनाक छै, मुदा टाका भेंटबाक हण्ड्रेड परशेन्ट गाइरेन्टी छै ।
मुरली- हम सब खतरा उठबै लेल तैयार छी ।हमरा केवल टाका चाही ।बस ।केनाहुँतो राधाकेँ जहर खाइसँ बचबैक छै ।
राजा- चल ।भेंट-घाँट कऽ टाका दिया दै छियौ ।
(दुनू उठि कऽ जाइत अछि ।पर्दा खसैत अछि ।)

***पट परिवर्तन***तेसर पट***

(मुरलीक घर ।राधा बैगमे कपड़ा राखि रहल अछि ।कपड़ा राखि चेन लगबैत अछि ।)
राधा- धन्यवाद भगवान ।छअए-सात महिनामे मुक्ति दिया देलौं ।बस किछुए घण्टा बचल अछि तकर बात एहि जेलसँ अजादी...नव दुनियाँसँ मिलन...(नम्हर साँस छोड़ैत ।) आह, जल्दीसँ रुपैया हाथमे आबि जाइ, बस ।
(हाथमे एटैची लेने मुरलीक प्रवेश होइत अछि ।)
मुरली- सब तैयारी भऽ गेल ने ?
राधा- हँ, सबटा चीज-बीत सैंता गेल ।हमरा जानैत तँ किछु नै छुटल, खाली टाका...
मुरली- चारि दिनसँ एकरे वेवस्थामे लागल छी ।(एटैत दैत) हे लिअ, पूरा-पूरी दस लाख अछि ।
राधा- (एटैची लैत ) एते पैघ एमाउण्ट कतऽसँ जोगार केलियै ?
मुरली- आब के देलकै, कतऽसँ एलै, एकर फेरमे अहाँ किए पड़ैत छी ? अहाँ आम खाउ, गाछ किए गानऽ लागै छी ।
राधा- तैयो बुझनाइ जरूरी छै ने ?
मुरली- जतऽ कतौसँ एलै, बड मोसकिलसँ एलैए ।अहाँ एतबे बुझू, हमरा लेल ई टाका बड महग पड़ल अछि ।बड किमती चीज बेचऽ पड़ल अछि एहि टाका लेल ।
राधा- किछु बेचैलए के कहने छलय ?उधारी कतौसँ वेवस्था करितौं ।बेचल वस्तु फेर भेटत की नै से के जानलकैए ?की बेचलियै ?
मुरली- फेर वएह बात ।अहाँकेँ टाका चाही छल, से भेट गेल ।आब बेसी जाँच-पड़ताल जुनि करू ।
राधा- ठीक छै...ठीक छै ।बेसी तमसाउ नै ।हम कथी लए जाँच-पड़ताल करब ।जे हमरा चाही छल से भेटिए गेल ।भगवान चाहथिन तँ बेचलाहा चीज फेर किना जेतै ।
मुरली- भगवान करथि जे अहाँक बात सत भऽ जाए ।अहाँ कहने रहियै जे अहाँकेँ लऽ जाइ लेल किओ एताह ।कखन धरि एताह ?हमरा कतौ जाइक छै ।सवेरे आबितथि तँ भेट कऽ लितियै ।
राधा- आबति हेतै ।दू घण्टा पहिने घरसँ चलि देने छलै ।(कने रुकैत ।) चाह पीबै की ?
मुरली- नै ।एखन चाह छोरू ।कने पानि पिया दिअ ।घबराहटसँ कण्ठ सूखि गेल अछि ।
(राधा जगसँ पानि ढारि पिबैत अछि ।)
राधा- कोन कारणसँ घबराहट भऽ रहल अछि ?
मुरली- कारण एकटा रहय तखन ने कहब ।मारिते रास कारण अछि ।पहिल कारण तँ अहाँ जानिते हएब ?
राधा- की ?
मुरली- आब अहाँ बिन हम कोना रहबै ?हमरा अहाँ सिनेह दिअ वा नै दिअ, हम तँ अहाँसँ बड सिनेह करैत छी ।प्रेम तँ हम कऽ लैत छी, मुदा पाइ... पाइये बेर पिछड़ि जाइ छी ।भगवानो बड पैघ खेलाड़ी छथि ।हमरा मोनमे प्रेमक सागर तँ दऽ देलखिन, मुदा टाकाक खत्तो-खुत्ती नै देलखिन ।
राधा- की करबै ?दुनियाँमे सब अमीरे तँ नै भऽ जाइ छै ।जखन हाथक पाँचो अंगुरी बराबर नै होइ छै तँ एक समाजक सब लोक कोना बराबर हेतै !ओनाहितो एक-दोसराक मुल्यांकनक लेल विविधता तँ जरूरिये छैक ।
मुरली- सएह तँ...सएह तँ अहाँकेँ कहैत छी ।एक दिससँ सबकेँ अमीर भऽ गेलासँ ई समाज नै ने चलतै ।गरीबोक रहनाइ जरूरी छै ।अमीरीक रट नै लगेबाक चाही, मुदा...अहाँ समझबाक चेष्टा करी तखन ने ?हम जानैत छी, ऐ घरमे अहाँक दम घुटैत हएत ।नीक नै लागैत हएत ।मुदा कैये की सकै छीयै ?नारी लेल सासुर एहन जेल होइ छै जतऽसँ यमराजक मृत्यु-मोहर लागलाक बादे मुक्ति भेटै छै ।
राधा- कहि तँ ठीके रहल छी, मुदा आब एहन कोनो बन्हन नै छै ।आब नारी मुक्त गगनमे विचरण करै बला चिड़ाँइ बनि गेल छै ।आब कोनो पिंजरा ओकरा बन्न कऽ नै राखि सकैए ।ने सासुर आ ने सासुरक लोक ।
मुरली- जे नारी सासुरक प्रति एहन सोच राखैत अछि ओकर जिनगी दुखसँ भरि जाइ छै ।जकरा अपन पतिक प्रति प्रेम नै रहै छै ओ नारी डगराक बैगन बनि जाइ छै ।ने इम्हरके, ने उम्हरके ।किम्हरोके नै रहै छै ।नैहर-सासुर सब दुआरि ओकरा लेल बन्न भऽ जाइ छै ।ओकरा गलत नजरिसँ देखल जाइ...
(श्यामक प्रवेश होइत अछि ।श्यामकेँ देख मुरली चुप भऽ जाइत अछि ।राधा आगू बढ़ैत अछि ।)
राधा- आउ...आउ ।अहींक बाट जोहि रहल छलौं ।माए लेल टाकाक जोगार भऽ गेल अछि ।आब चलैयेक मानि रहल ।
श्याम- (प्रसन्न होइत)एँ, भऽ गेलै जोगार ।बड खुशीक बात ।कमाल कऽ देलियै अहाँ ।
(मुरलीक मोबाइल टनटना उठैत अछि ।)
मुरली- (मोबाइल उठबैत) हँ...कहू डाक्टर साहेब...अच्छे ठीक छै...ठीक छै हम आबैत छी ।अहाँ तैयारी करू ।(फोन काटि कऽ राधा दिस देखैत अछि ।)राधा, हम जा रहल छी ।पाहुनकेँ खुआ-पिया दियौन ।कने सुस्ता लेथिन तखन चलि जाएब ।हमरा आबैमे देर लागत ।घरक चाभी राजाकेँ दऽ देबै ।
राधा- ठीक छै ।अहाँ निश्चिन्त भऽ जाउ ।हम चाभी दऽ देबनि ।
(मुरली चलि जाइत अछि ।राधा आ श्याम एक-दोसरक बाँहिमे बन्हा जाइत अछि ।)
राधा- कते दिन बाद ई सुखद स्पर्श भेल अछि ।मोन होइत अछि एहिना जिनगी गुजारि दी ।
श्याम- बड तड़पेलौं अहाँ ।आब तँ अपने दुनूक राज चलतै ।चिन्ता-फिकीर जुनि करू ।आब तँ सब दिन शहरमे सब संसाधनक बीच एहन-एहन सुखद स्पर्श होइते रहतै ।
राधा- हमरा तँ एतऽ साँस फूलऽ लागैत अछि ।(दुनू अलग होइत अछि ।) चलू हाथ-मूँह धोइ लिअ ।अहाँक पसीनक तरकारी बनेने छी ।खा-पी लिअ तखन चलब ।
श्याम- हे, ई सब झंझट छोरू ।खान-पान रश्तोमे हेतै ।जल्दीसँ जल्दी एतऽसँ मुक्ती लिअ ।आइ साँझ धरि पहुँचि जेबै तँ आइये वियाहो कऽ लेब ।
राधा- एते धड़फड़ाइ किए छी !आब कोनो तरहक वाधा-विध्न नै छै ।वियाह तँ हेबे करतै ।नै खएब तँ नै खाउ ।कमसँ कम हमरा श्रृंगारो-पटार तँ करऽ दिअ ।चलैक तँ छैहे ।
श्याम- अहाँकेँ श्रृंगार-पटारक कोन जरूरति अछि ।अहाँ अपने सब श्रृंगारक बाप छी ।सुन्दरतामे अहाँकेँ के पछाड़ि सकैए ?इएह रूप तँ हमर मोनकेँ घायल केने जा रहल अछि ।मोन करैत अछि एखने पजिया ली ।
राधा- हेऽऽ, बेसी रोमान्टिक बात नै बनाउ ।ई मक्खन लगबैक कोनो जरूरति नै छै ।(एटैची दिस देखबैत )ओहि एटैचीमे पूरा-पूरी दस लाख टाका अछि ।सम्हारि कऽ राखि लिअ ।हम फट दऽ तैयार भऽ झट दऽ आबै छी ।
श्याम- ठीक छै, जाउ ।बेसी देर नै करब ।कने जल्दीए आएब ।
(राधा चलि जाइत अछि ।राजाक प्रवेश होइत अछि ।)
राजा- (श्यामकेँ देखि कऽ) अहाँ के छी ?अहाँकेँ नै चिन्हलौ ।
श्याम- हम राधाक नैहरसँ आएल छी ।हुनकर माएक मोन खराप छै ने, तेँ विदागरी करबै लेल आएल छी ।
राजा- ओऽऽऽ... बुझलौं ।आबैमे कोनो प्रकारक दिक्कत-सिक्कत तँ नै ने भेल ?
श्याम- नै नै ।कोनो दिक्कत नै भेल ।
राजा- भौजीक माए केहन छथिन ?
श्याम- केहन छथि से की बताउँ ।हालत बड नाजूक छै ।राधासँ दूर भेलाक बादसँ बड तड़पैत छलथि ।खाएब-पियब, सूतब-उठब सब बिसरा जाइत छलनि ।आखिर प्रेम तँ प्रेम होइ छै ।आब राधा जेतीह तँ सब ठीक भऽ जेतै ।
राजा- हँऽऽऽ, ठीक तँ भैये जेथिन ।मुदा भौजीक एलासँ तड़पै छलथि, से नै बुझलौं ।बिमारी तँ इम्हर आबि कऽ भेलनि, तखन शुरूएसँ प्रेमिकासँ दूर भेल प्रेमी जकाँ किए तड़पै छलथि ।
श्याम- आब बेटी लेल तँ तड़पबे ने करतै ।
राज- कोन होस्पिटलमे छथिन ?
श्याम- अपने शहरमे छथिन ।
राजा- (आश्चर्यचकित होइत) अपने शहरमे !अहाँक शहरमे किमोथेरेपी होइ छै ?
श्याम- हँ...नै...हँ...हँ...
राजा- हे, बेसी घिघियाउ नै ।अहाँक बातसँ हमरा दालिमे किछु काला बुझाइत अछि ।
श्याम- (गप बदलबाक चोष्टा करैत) हँ, कारी छै ने ।कारी खूनक उल्टी होइ छन्हि ।खून खराप...मने कारिये भऽ गेल छनि ने ।
राजा- खून कारी भऽ गेल छनि !हमरा तँ विश्वास नै होइत अछि ।हमरा तँ अहाँ छद्म बुझाइत छी ।आइसँ पहिने अहाँकेँ कहियो नै देखने छलौं ।मुरलीक वियाहोमे तँ नहिये छलियै अहाँ ?
श्याम- हँ ओ जे छै से...मने जे...
(हाथमे बैग लेने राधाक प्रवेश होइत अछि ।)
राधा- चलू श्याम ।हम तैयार छी ।
श्याम- हँ हँ, जल्दी चलू ।ट्रेन छूटि जाएत ।
राधा- देउर जी ।घरक चाभी राखि लिअ ।(चाभी दैत अछि ।राजा लऽ लैत अछि ।)अहाँक भाइ जी कखन धरि एताह ?
राजा- जानि नै ।एताह कि नै एताह से तँ भगवानेक हाथमे छनि ।
राधा- भगवानक हाथमे छनि ! मने नै बुझलौं ।
श्याम- की अने-मनेक चक्करमे पड़ै छी राधा ।जल्दी चलू ।देर भऽ रहल अछि ।साँझमे मंदीरो परहक काज फरियेबाक अछि ।
(राधा बैग उठा कऽ चलि दैत अछि ।राधाकेँ आगू बढ़ैत देरी, राजा भोकारि पाड़ि कानऽ लागैत अछि ।कानब सूनि राधा रूकि जाइत अछि ।)
राधा- जा...अहाँ तँ छोट-छीन नेना जकाँ कानऽ लागलियै ।एना एक-बएग किए कानऽ लागलियै ?
श्याम- कोन चक्करमे पड़ि रहल छी राधा !कानै छै तँ कानऽ दियौ ।हमर कोनो किछु लऽ रहल छै ।छोरू ई सब, जल्दी चलू ।
राजा- हँ...हँ...चलि जाउ ।यौ सरकार लऽ जैयौ हिनका ।देर जुनि करू...हिनकर माएक प्राण छुटल जा रहल छनि ।जाउ-जाउ, दोड़ल चलि जाउ ।अहाँ जाइये लए छी, जाउ ।एतऽ संसार उजरि रहल छनि तकर कोन चिन्ता, कथीक फिकीर ?अरामसँ जाउ ।शौकसँ जाउ ।
राधा- ककर संसार उजरि रहल छै ?
राजा- अहाँक संसार उजरि रहल छै, और ककर उजरतै !मुरलीक जीवन उजरि रहल छै ।
राधा- हमरा चलि गेलासँ हुनक संसार उजरि जेतै, एहन सन कोनो बात तँ नै बुझना जाइत अछि हमरा ।
राजा- हँ हँ ।अहाँकेँ तँ नहियें बुझाएत ।आँखिपर अन्हरजाली जे लागल अछि ।हाय रे विधाता !केहन मौगीक रचना केलहो !एतऽ पतिक जिनगीपर ग्रहण लागल छै तकर कोनो चिन्ता नै छै, मुदा माएक जिनगी लेल दौड़ल जा रहल छै ।हाय रे विधाता !के बुझहेतै ई मोगीकेँ !
राधा- की भेलै हमर पतिक जिनगीकेँ ?
राजा- एखन धरि तँ किछु नै भेलै, मुदा अहाँकेँ गेलाक बाद हेतै ।
राधा- किए हेतै ?बातकेँ गोल-गोल नै घुमाउ ।सच्चाइ कहू, की बात छै ?
राजा- सच्चाइ...अहाँ सच्चाइ सुनऽ चाहैत छी तँ सुनू ।अहाँकेँ बूझल अछि जे अहाँकेँ हाथक एटैचीमे 10 लाख टाका कतऽसँ एलै ?कोना वेवस्था भेलै ?
राधा- नै ।
राजा- अहाँकेँ पाइ देबाक लेल ओ अपन किडनी बेच रहल अछि ।
राधा- (आश्चर्यसँ)किडनी !
राजा- हँ किडनी ।पाइ नै भेटलापर अहाँ जहर खा लितियै ।मुरली एहि बातसँ डेरा गेल छल ।पाइक वेवस्था नै भेलै ।थाकि-हारि कऽ 10 लाखमे किडनीक सौदा केलकै ।आइ अपन किडनी देबऽ लेल डाँक्टर लऽग गेल अछि ।(कने रुकि कऽ !)भौजी ओ बड प्रेम करैत अछि अहाँकेँ ।आबो तँ ओकरा चिन्ह जैयौ ।
राधा- (कानैत) हे दाता दीनानाथ ।ई केहन अपराध करबा देलहो ? हमरा टाका नै चाही ।हमरा हमर पति चाही ।जाउ...जाउ राजा...रोकू अपन भैयाकेँ ।
(राजा दौड़ल चलि जाइत अछि ।)
श्याम- ई कोन टाटक लाधि देलियै !अहाँ हमरा संग चलू ।ओकरा मरऽ दियौ ।हमरा-अहाँकेँ कोन फर्क पड़ै छै ।लोक शेर संग रहै छै, कुकुर विलाइ संग...
(राधा श्यामकेँ एक चमेटा लगबैत अछि ।)
राधा- चुप ।बड भेलौ तोहर खेल ।आब जँ हमर सोहागकेँ उल्टा-सीधा कहबें तँ तोहर प्राण हारि लेबौ ।
श्याम- सोहाग...केहन सोहाग ?तोहर सोहाग हम छी ।तूँ हमर बाँहि लेल बनल छें, हम तोरा लेल ।हमर परतर ओ मुरलिया की करतै ?
राधा- परतर ।हूँह...तूँ हुनकर पाँसङगो बराबर नै छें ।
श्याम- एना एकार पारनाइ नीक लागैत अछि की ?
राधा- एखन तूँ हमर आँखिक सोझासँ झटि जो ।एखन हमरा मात्र हम पति देखाइत अछि ।ओकरे चिन्ता अछि ।
श्याम- की भऽ गेलौ तोरा राधा ?एना किए बाजै छेँ ?लागै छै तोरापर किओ डाइन-जोगिन कऽ देलकौ ।
राधा- डाइन-जोगिन तँ एते दिन केने छलै ।एते दिन हम दोसरक वशमे छलियै ।आइये तँ हमर नीन्न टूटल अछि ।आइये तँ सेनूरकेँ चिन्हलौं हम ।
श्याम- सेनूरक चक्करमे पड़ै बाली तँ तूँ नै छलेँ ।तूँ हीं तँ कहै छलही (राधाक बाजैक स्टाइलमे) "सेनूरक मोले की छै ?वएह पाँच-दस टाका ।"
राधा- ओ हमर नदानी छल ।सचमे सेनूरक कोनो मोल नै छै, किएक तँ सेनूर अनमोल छै ।जा धरि बजारमे बिकैत छै, डिब्बामे बन्द रहै छै, ता धरि मात्र पाँच-दस टाका ओकर मोल होइ छै, मुदा...मुदा जखन ओ कोनो नारीक सिंउथमे पड़ि जाइ छै तखन ओ अनमोल भऽ जाइ छै ।हम तँ आइ बुझलियै जे सेनूर अनमोल छै ।
श्याम- मुदा हम तोरा नै छोड़ि सकै छीयै ।हमरा तोहर रूप-यौवन पागल केने अछि।एकरा छोड़नाइ असम्भव छै ।
राधा- इएह तँ अन्तर छै तोरा आ मुरलीमे ।तूँ हमर देहसँ प्रेम करै छें आ मुरली हमर आत्मासँ सिनेह करैत छथि ।
श्याम- मुदा हमरा लेल तोरा छोड़नाइ कठिन छै ।
राधा- छोड़ऽ पड़तौ श्याम, छोड़ऽ पड़तौ ।सब युगमे श्याम राधासँ मात्र प्रेमे केलकै, वियाह नै ।
श्याम- तूँहीँ तँ कहै छलहीं जे आब इतिहास बदलऽ पड़तै ।आब श्याम राधाकेँ छोड़ि कऽ नै पड़ा सकै छै ।
राधा- कहैत छलियै, मुदा सब बेर श्याम राधाकेँ ओकर हालतमे छोड़ि देलकैए ।इहो बेर छोड़तै तँ कोनो जुलुम नै हेतै । मुदा सब बेर मुरलीक अवाज राधाक संग रहलै ।सब युगमे राधाकेँ मुरलिये आकर्षित केलकै ।राधा श्याम लेल नै, मुरली सूनै लेल नाचै छलै ।तेँ इहो युगमे (अपना दिस देखबैत) ई राधा अपन मुरलियेक संग रहतै ।
श्याम- एखनो समय बचल छै राधा ।सोचि ले ।हमरा संग रहलासँ आधुनिक सुख-सुविधा भेटतौ ।
राधा- हमरा कोनो सुविधा नै चाही ।सबसँ पैघ सुख पति होइ छै ।पतिक संग सबसँ पैघ सुविधा भेटै छै ।
श्याम- मुदा एतऽ गोइठा ठोकऽ पड़तौ ।चुल्हिक धुआँ पिबऽ पड़तौ ।
राधा- मंजूर अछि ।जँ पति पानि ढारैत रहय तँ गोइठो ठोकि लेब ।पतिक बाँहिमे चल्हिक धुआँ अगरबत्ती सन गमकऽ लागैत अछि ।
श्याम- मुदा...
राधा- मुदा किछु नै ।किछु भऽ जाए हम पुरना सेनूर मेटा कऽ नवका सेनूर नै लगबै ।(दुनू हाथ जोड़ैत) हम दुनू हाथ जोड़ै छियौ ।तूँ जो ।हमरा अपन पतिक संग खुशी-खुशी रहऽ दे ।
(राजा आ मुरलीक प्रवेश होइत अछि ।मुरलीकेँ देखिते राधा मुरलीकेँ भरि पाँज कऽ पकड़ि लैत अछि ।राजा आ श्याम थपड़ी बजबऽ लागैत अछि ।)
श्याम- वाह ।आइ हमर आँखि खुलि गेल ।(मुरली दिस घुमैत) सचमे झा जी अहाँ जीत गेलौं ।हमर पाँच सालक प्रेमकेँ अहाँक सात मासक प्रेम हरा देलक ।
राजा- प्रेम हार-जीत नै होइ छै श्याम बाबू ।प्रेम, प्रेम होइ छै ।सभक लेल बराबर ।एतऽ तँ सेनूर अहाँक प्रेमकेँ हरेलक अछि ।
श्याम- मुदा राधाक माँग तँ एखन धरि खालिए छै ?
मुरली- सेनूर लगेलाक बाद माँथ दर्द करऽ लागैत छनि ।
श्याम- एहन कोनो बात नै छै पाहुन ।हमर शर्त छलै तेँ सेनूर नै लगबैत छलै ।(अपन जेबीसँ सेनूरक डिब्बा निकालि कऽ मुरली दिस बढ़बैत अछि ।) लिअ...आइ शुभ दिन अछि ।सेनुरा दियौ राधाकेँ ।भरि दियौ राधाक उदास सिंउथ ।
(मुरली सेनूरक डिब्बा लऽ लैत अछि ।एक चुटकी सेनूर राधाक माँगमे दऽ दैत अछि ।राधा मुरलीक पएर छू प्रणाम करैत अछि ।)
राधा- हम अहाँकेँ तड़पाबैत रहलौं ।अपन प्रेम कहियो नै देलौं ।हमरा माँफ कऽ दिअ ।
मुरली- (राधाक बाँहि पकड़ि उठबैत)देर एलौं दुरूस्त एलौं ।अहाँ कोनो गलती करबे नै केलौं तँ हम माँफी कथीक देब ।अहाँ सदिखन हमर करेजमे छी आ सदिखन रहब
(राजा आ श्याम थपड़ी बजबैत अछि ।)
राजा- इति विवाह सम्पन्नम् ।फूल, माला, मण्डपक झंझट खतम ।
(सब हँसऽ लागैत अछि ।)
श्याम- रुकू...रुकू, एते जल्दी खतम नै करियौ ।एखन शिमला दर्शन बाँकिए छै ।(राधा दिस घुमैत) की राधा, शिमलामे हनीमून मनबै लेल जाइक छै ने ?
राधा- धत्, लाजो नै होइ छौ ।
(सब ठहक्का मारि हँसऽ लागैत अछि ।धीरे-धीरे पर्दा खसैत अछि ।)

*समाप्त*

अमित मिश्र