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Monday 7 March 2016

आफिस1

अहां बजबै छी ,धन्‍यवाद मुदा कथी ले आबी ।आफिसक सबसँ पैघ हाकिम नीक सँ नीक काज केलाक बादो एक बेर नइ मुसकिएलक ।धन्‍यवाद आ प्रशंसाक शब्‍द त' छोड़ू , पुरस्‍कार ,सम्‍मान आ प्रशंसा पत्रक त' नामो नइ लिय' ,ओकरा मुसकियाइतो लागैत रहै जे जान चलि जेतइ ,रे मरदे ,हमर  प्रशंसा नइ कर ,अपन ब्‍लड प्रेशरक धियान त' राख ।आ अपन प्रेशरो छोड़ कनिया ,धिया-पूताक चेहरा त' आंखिक आगू राख ,झूठे ,बिना मतलबक आंखि-मुंह टाईट केने रहब ।

आ एकरा सँ जे निचलका रहै से नीक जँका बतियाइ केवल दारू पीयै वला सँ या फेर अपन जाति खोजि कें ।आ ई सार तखने हँसै जखन कि एकर ऊपरका हँसै ।आ ऊपरका जेकरा-जेकरा पर प्रसन्‍न रहै ईहो ओकरा पर प्रसन्‍न रहै आ जें कि ऊपरका केकरो पर नराज होइ ईहो सार मुंह फूला लै ,तें ई आदमी अपन दिमाग से कम निर्णय लै छैक ,ई अपन प्रेशर सँ पादितो नइ छै ।तें ई आदमी कम पुतरा बेशी छैक ।पता नइ एकर शरीरक कोन भाग मे सॉकेट छैक जइ मे ऊपरका अपन सॉफ्टवेयर राखि दैत छैक आ ई काज कर' लागैत छैक ।ई आदमी सँ कनि छोट आदमी छैक आ खेलौना सँ कनि नमहर खेलौना ।मर' दियौ सार कें , मुदा की मर' दियौ र्इ जीतो छै दोसरे कें और्दा सँ ........


आ एकरा सँ जे निचलका छै ऊ मरलो से मरल छै ।सब कहतै एकरा सस्‍पेंड कर त' ई सबसँ पहिले रिपोर्ट ल' के आबि जेतै ।आ विद्वान एते कि शेक्‍सपीयर सॅ ल' के ललका-पीयरक तक एकदम मुंहे मे ।हरदम मुसकियाइत रहत ,हरदम मुंह मे मौध भरल जेना कि हिनके मुंह मे मौधमक्‍खी खोंता लगेने होए ।

आ ऐ खोंतेदारक अलावा आफिस मे जत्‍ते छैक सबके देह मे कांटा पर कांटा ,ओ जत्‍ते मुसकिया के बात करत अहांक जेबी ओत्‍ते खलियाइत जैत ।मिसिर जें के किछु काज कहियौन त' ओ एत्‍ते व्‍यस्‍त भ' जेता जेना सृष्टि मे जन्‍म ,पालन आ संहारक सकल दायित्‍व हिनके भेंट गेलेन ,आ झाजी नजरिये नइ उठाओत एकदम बिलबुक पर नजरि गड़ेने किछु सुनबे नइ करत आ भक सँ धियान ओकर तखन टुटतै जेखन कि चाहकगंध पूरा केबिन मे फैल जाए ।सिंह जी कनेक लंठ बेशी छथिन ,ओ खोलि-खोलि के कहता 'दियौ ने ' ,दियौने 'आ आफिसक ई गुप्‍त मर्यादा दियौने-दियौने क' अनहदनाद सँ त्रस्‍त भ' जाइत छैक ।सिंह जीक बगल मे यादव जी चपरासी बेस दुलार सँ सटता आ हुनकर दुलार आ सम्‍मानक मतलब ई जे अहां सौ टका निकालि के जल्‍दी सँ हुनका द' दियौ ,तीसचालीसक चाह एतै आ साठि-सत्‍तर खुदड़ा यादव जीक जेबी मे.....

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