माघ मे मिथिलाक धरती
एक बीत्ता-दू बित्ता गहूम
पैररंगा सन लहराईत
एहन कोन पाबनि
कि लाल नइ हरियर पैररंगा
आ डांर भरिक तोरी-गोट
मुदा डरकस नइ कर्णफूल
आ माथ भरिक राहडि़
करिछौन पातक बीच
ठोररंगा लाल
कुनो खेत मे चोरस गहूम
मंद-मंद मुसकाइत
आ कुनो मे निस्सन तोरी
एकदम घोघैल
आ एहनो रहै कि
गहूमक निछंछ डीहीक बीच
कतौ-कतौ तोरी भगिनमान
पैररंगा सन लहराईत
एहन कोन पाबनि
कि लाल नइ हरियर पैररंगा
आ डांर भरिक तोरी-गोट
मुदा डरकस नइ कर्णफूल
आ माथ भरिक राहडि़
करिछौन पातक बीच
ठोररंगा लाल
कुनो खेत मे चोरस गहूम
मंद-मंद मुसकाइत
आ कुनो मे निस्सन तोरी
एकदम घोघैल
आ एहनो रहै कि
गहूमक निछंछ डीहीक बीच
कतौ-कतौ तोरी भगिनमान
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