Followers

Saturday 10 February 2018

काव्‍यमीमांसा आ मिश्रभाषा

आचार्य राजशेखर रचित 'काव्‍य मीमांसा' मे सरस्‍वती अपन काव्‍यपुत्र सँ कहैत छथिन -- शब्‍द आ अर्थ अहांक शरीर अछि ,संस्‍कृत अहांक मुख ,प्राकृत बांहि , अपभ्रंश जांघ ,पैशाची चरण आ मिश्रभाषा छाती ।(शब्‍दार्थात्‍मकमेव तव काव्‍यपुरूषस्‍य वपुरित्‍यर्थ: ।संस्‍कृतं मुखमित्‍यादिना च तत्‍तदवयसंस्‍थानं प्रदर्शितम । मिश्रमिति ।प्राकृृृृतावान्‍तरभाषामिश्रणात्‍मकमित्‍यर्थ: ।)
मुदा मैथिलीक आचार्य सभ खांटी आ शुद्धक स्‍थापना मे अमर भेल जाइत छथिन ।जीवनक बदला मे व्‍याकरण ढ़ुरहै वला आचार्यक भाषा विशिष्‍ट अर्थक सुखार सँ भरल छैक आ मानकीकरणक पताका करेह आबैत आबैत मौला जाइत छैक ।

No comments:

Post a Comment