लागि रहल पटना दरभंगा
तीन दिन लसेर अओ
जुटि रहला बड़ बड़ महन्थ
सेर केओ सवा सेर अओ
सुनु सुनु रंगबिरही बाजा
वौआ पटना कक्का झाझा
पाउडर काजर खूब लगेने
कविक राग बहेर अओ
लस्सी पेप्सी मुरगा माछक
पन्नी शीशी हड्डी कांटा
लागि रहल अछि ढ़ेर अओ
बस तीने दिन जय विद्यापति
जय मिथिला के फेर अओ
फेर वौआ तहिना दिन रहतइ
कानिपीट के भाग पड़ेतइ
जगत जानकी सासुर बसतइ
बस तीने दिन दिनक फेरा
बिसरत सब नरहेर अओ
तीन दिन लसेर अओ
जुटि रहला बड़ बड़ महन्थ
सेर केओ सवा सेर अओ
सुनु सुनु रंगबिरही बाजा
वौआ पटना कक्का झाझा
पाउडर काजर खूब लगेने
कविक राग बहेर अओ
लस्सी पेप्सी मुरगा माछक
पन्नी शीशी हड्डी कांटा
लागि रहल अछि ढ़ेर अओ
बस तीने दिन जय विद्यापति
जय मिथिला के फेर अओ
फेर वौआ तहिना दिन रहतइ
कानिपीट के भाग पड़ेतइ
जगत जानकी सासुर बसतइ
बस तीने दिन दिनक फेरा
बिसरत सब नरहेर अओ
बहुत सुन्दर रचना अछी.
ReplyDeleteलिखनाई जारी राखू...
सत्यमवदा मिश्रा
http://satyamvadamishra.blogspot.com/