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Tuesday 27 January 2015

मैथिलीक छद्म हितचिंतक 1

ऊ अपना आपके मैथिलीक सबसँ बड़का सेवक मानैत छथिन ,मुदा दिमाग मे ई राखने छथिन कि मैथिली हुनकर मुट्ठी सँ बाहर नइ हो ।हुनकर आचरण शुद्धतावादी अछि ,ओ हरदम भाषाक बचेबाक जंजाल खड़ा करता ,जेना कि मैथिली भाषा भाषा नइ होइ परसाद होए आ दसलोक के लेलाक बाद एगारहम लेल बचबे नइ करतै ।ओ अठारहम शताब्‍दीक वर्णवादी सोइत बाभन छथिन ,जनिकर सब कर्मकाण्‍ड आ सब संस्‍कार केवल स्‍पर्शे धर्म तक ।जें कि कोनो अ‍परिचित शब्‍द देखता तें कि गारिक दमकल प्रारंभ क' देता ।ई दमकल कखनो हिंदी दिस ,कखनो भोजपुरी दिस आ कखनो नेपाली दिस गरजैत छैक ,अओ जी बाबू साहेब भाषा आ शब्‍द अनुभव सँ आबैत छैक नें कि शब्‍दकोष सँ ।जेकरा जे लिखबाक होए आ जेना लिखबाक होए लिख' दियौ ,यदि दू-च‍ारि टा विजातीय शब्‍द ,क्रिया ,विशेषण आबैत अछि तखन ओकरा गहूमक खेत मे चमकैत तोरी जेंका किएक ने देखि पाबैत छियैक ।कुनो भाषा केवल शुद्धतावादी कर्मकाण्‍ड सँ थोड़े चलैत छैेक ,यदि कर्मकाण्‍डे सँ भाखा चलतै ,तखन पालि,प्राकृत जनमबे ने करतै छल ,तें सरकार ! भाषाक प्रवाह कें मोड़बाक प्रयासो नइ करियौ ,बस एकटा सुधी प्रेक्षक जेंका प्रेक्षण करैत रहियौ ।आ भाषा आ साहित्‍यक यदि विस्‍तार हेतै तखन नया-नया शब्‍द ए‍बे करतै ,‍नइ विश्‍वास होए त' विद्यापति सँ पूछू कि ओ ज्‍योतिरीश्‍वर लिखित सब शब्‍द के देकसी मारि के उतारि लेलखिन कि अपना विवेक सँ शब्‍द पर छेनी-मरिया चलेलखिन ।

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