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Thursday 5 February 2015

अ.मृ.त.घट.

सोनाक रोशनाई सँ लिखल अ.मृ.त.घट..
घैलक मुंह पर राखल चानीक सरबा
सरबा बान्‍हल हीराक तार सँ
दूरे सँ चमकैत अमृतघट
आडि़ भूगोलक समाजक तरपैत
छूबाक सौभाग्‍य अमृतघट
धिकभाग्‍य हमर
एको बूंद नइ अमृत.....
एको बूंद नइ
सोनाक अमृतघट मे एको बूंद जल नइ
एको बूंद नइ कि दू-चारियो टा कोशिका कें भेटैं जीवन-रस
सोनाक अमृतघट केवल टीटकार छैक
ई टीटकार बनल रहै ऐ वास्‍ते
तैयार पूरा नियम-विधान संविधान
वेवस्‍था आ व्‍याकरण
आ नियम तोड़ैवला लेल
खूब भड़कगर रंग मे लिखल रहै
ढ़ेर रास चेतावनी
रंग-रंगक लालच
रंगबिरही पुरस्‍कार.....

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