मिथिला आ मैथिली ,नामे पर्याप्त छैक आ ऐ नामक दोहन करबाक लेल किसिम किसिमक लोक ,आंदोलनकर्ता ,कवि-साहित्यकार,नेता ,दलाल,चाटुकार( आ किछु वास्तव मे गंभीर मैथिल) सब तैयार छथिन ।सब अपना-अपना हिसाबे मिथिला आ मैथिलीक सेवा क' रहल छैक । केओ विधायक,सांसद छैक ,केओ नाच-गान सँ कमा रहल छैक ,केओ ठीकेदारी आ दलाली क' ।केओ साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त क' 'बहि' रहल छैक आ 'बहबा' केर ई तिलसंकरतिया परंपरा चेला-गुरूक एकटा नमहर श्रृंखला तैयार केने जा रहल छैक ।एत' सब केओ बहबाक लेल तैयार छैक ।अफसोस पुरस्कारे कम छैक !बस एकटा साहित्य अकादमी ,एकटा यात्री पुरस्कार ,एकटा प्रबोध सम्मान.......... च.. च... बेचारा मैथिल ! देखियौ ओ बह' चाहै छैक !अहां बहबै ने !
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