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Saturday 18 January 2014

(ररबोली 2)

सबसँ बरका बात यैह छैक जे 'हम ऐ ठाम फूसिये समै गमा रहल छी ' ।ने केकरो हम्‍मर परवाह छैक ने हम रहिये के किछु असर क' रहल छियै ।जइ भाषा ल' के हम उड़' चाहै छियै ,ओकर बाउंडरी आ छत एकदम सीमेंटेट छैक ।विशाल द्वार आ खिड़कीक कोन बात हवा पास करै वला वेंटीलेटरोक नितांत अभाव छैक ऐ ठाम ।आ यदि कुनो भूर छैक त' ओहिए ठामक चाली-चुट्टीक लेल ।एखनो सोचि ले वौआ ,जिनगी बीत जेतौ आ 'नोइसो' नइ मिलतौ ।

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