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Thursday 16 January 2014

कविता फेर कहियौ


हे सुकवि 

कुनो छुट्टी क' दिन मे
पीबियौ आदी,हरदि ,तुलसीक एक लोटा करहा
मून पूरा हरखित भ' जायत
कफ आ कविता दूनू साफ भेलाक बाद
आ प्राय: मूनो अजगजाइत हैत
कखनो गैस कखनो ढ़कार
से कनेक नेबो आ दहीक सेवन सेहो जरूरी
गुड़गुड़ी आ भांति-भांतिक बात अपने निकलि जायत
आ यदि विवाहित छी त' ठंड बेशी छैक
आ यदि विवाह योग्‍य छी तखन लगन आबै वला
प्रतीक्षा करू कविता फेर कहियौ

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