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Friday 6 December 2013

दोस


दोस छथिन ,बड्ड महीन ।बात-व्‍यवहार ,चालि-चलन ,सब मे महीनी ।बाजता एतबे कि कुनो प्रकारक अंतिम निर्णय अहां नइ ल' सकी ।रोस एतबे देखेता कि अगिला रस्‍ता बनल रहै ।दूर छथिन ,तें फोन पर आत्‍मीयता प्रकट करबा मे कुनो कंजूसी नइ करता ,मुदा फोन सँ आगू कोनो प्रकारक जएबाक लक्षण नइ ।हुनका जरूरी परै त' हमर कर्तव्‍यक इति नइ ,हुनकर सबसँ नजदीकी हमहीं ।पुरनका संबंध क यादि करेनए ,रहीम ,वृन्‍दक दोहा सुनेनए आ भविष्‍यक सपना देखेनए ।आ जखन हमर कोनो काज होए तखन ब्रह्माण्‍डक सबसँ व्‍यस्‍त जीव वैह ,धरती,सूर्य आ नक्षत्रगण जेंना हुनके पिपनी देखि नाचैत हो आ ऐ अनुपलब्‍धता पर एकटा हिटगर शोकगाथा ।आ कसम ऐ दोस्तियारी के कि ई सुनि हमरा आंखि मे नोर नइ आबै्...........

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