तीनू भाय अलग-अलग रहि के कमाबैत रहथिन ,गाम कहियो काल आबथिन ।कुनो ठीक-ठाक शहर मे मकान बनाओल जाए ,ऐ पर चर्चा होए ।आ संयोग देखियौ जे ई चर्चा केवल छठि वा होली मे होए ,जखन कि तीनू गोटेक परिवार संग-संग होए ।तीनू भाए एक-दोसरक प्रतीक्षा करैत रहथिन कि के पहिले आगू आयत आ तीनू भायक कनियां ऐ कनविंसिंग मे लागल रहथिन कि हमर सही-सही आमदनी पतिदेव प्रकट ने क' दैथ ।मुदा ऐ दिमागी खेल के चलितो ई बात स्पष्ट रहै कि आगू बरह' पड़तै मझिला के ,किएक त' वैह रहै सब मे सम्हरल ,से सबक नजरि ओम्हरे रहै ।आइ खरना रहै आ काल्हि सौंझका अर्ग ।जखन माए खरना करैत रहथिन तखन मझिला वौआ हँसिए मे कहि देलकै
'आब हमरा सँ किछु बेशी क आशा नइ राखू अहां सब ,दू टा बहिनक बियाह क' देलौं ,तीन बीगहा जमीन खरीद देलौं ,आब अपनो बाल-बच्चा क' धियान राख' पड़तै ने ,चारू बच्चा चारि टा शहर मे रहि रहल अछि ने ,सबके भरिते-भरिते परेशान.....'
'आब हमरा सँ किछु बेशी क आशा नइ राखू अहां सब ,दू टा बहिनक बियाह क' देलौं ,तीन बीगहा जमीन खरीद देलौं ,आब अपनो बाल-बच्चा क' धियान राख' पड़तै ने ,चारू बच्चा चारि टा शहर मे रहि रहल अछि ने ,सबके भरिते-भरिते परेशान.....'
सौंझका अर्ग दिन टीकरी बनबैत काल मैंझली कनियां सेहो अपन हर पटकैत कहलखिन 'हिनका सबकें जत' फूरायन या जुड़ायन ,ल' लौथ ,आब त' हमर धियान बड़की बेटीक बियाह दिस अछि ।दू साल नइ त' तीन साल मे किछ करैए पड़त ।
भोरका अर्ग दिन जल्दिए सब तैयार भ' गेलै ,मैंझला भायक गाड़ी रहेन सांझ मे चारि बजे ,दरभंगा सँ बीस-बाईस किलोमीटर पहिले बहेड़ी बाजार मे मैंझलीक माय सेहो सनेस नेने तैयार रहथिन आ जाइत काल बेटीक कान मे कहलखिन -
'ओझहा सुधहा छथुन ,आबो सुधरि जो दाय ,बेटी जुआन भ' रहल छौ ,आबो सम्हरि जो ......' ।मैंझली मोनेमून कहलखिन सुधहा नइ सुधबलेल आ ईहो मून भेलेन कि माए के करेज मे सटा ली ,मुदा ई नौटंकी करबाक कुनो आवश्यकता नइ छलै ,सब गोटे एके मंदिर दिस जाइत छलखिन ।
'ओझहा सुधहा छथुन ,आबो सुधरि जो दाय ,बेटी जुआन भ' रहल छौ ,आबो सम्हरि जो ......' ।मैंझली मोनेमून कहलखिन सुधहा नइ सुधबलेल आ ईहो मून भेलेन कि माए के करेज मे सटा ली ,मुदा ई नौटंकी करबाक कुनो आवश्यकता नइ छलै ,सब गोटे एके मंदिर दिस जाइत छलखिन ।
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