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Wednesday 11 December 2013

ओछाइन

छठम वरिस रहै छौड़ा कें ,मुदा एखनो ओछाइन पर मूतिते रहै ।आ माए ओकर ऐ स्थिति सँ बचेबाक लेल मल्‍टी डायमेंशनल प्रयास करैत रहथिन ,सांझे सँ ओहन चीज खेबा लेल देनए कि जे छुलुक मूत्‍ती नइ बरहाबै ।टोपी-सुइटर ,हाथ मे दस्‍ताना ,पएर मे मौजा ,एकदम सैंतल आ सम्‍हारल बच्‍चा जँका ,राति मे सूतए काल मे मूतेनए ,आ रातिओ मे कतेको बेर सूतल सँ उठा कें ,रे वौआ सूऽए सस ऽ ऽ........


                                        आ ओछाइनो पर पहिले पन्‍नी ,फेर सूजनी फेर 
जाजिम तखन वौआ आ फेर वौआ पर शाल ,कम्‍मल आ रजाइ आ फेर राति मे उठि के पेंट चेक केनए कि कहीं मूति तऽ नइ लेलकै ।कहियो-कहियो तऽ छौड़ा पोजीशन मे आबै कि बुझा जाए आ फेर ओ सफलताक राति रहै आ जहिया कहियो छौड़ा मूति दै ,बूझू जे मारि-पीट अलग आ गारा-गंजन अलग आ छौड़ा नीने मे कखनो कानै कखनो बाजै कखनो प्रतिरोध करै ।

                               धीरे-धीरे समै भागलै ,छौड़ो नमहर भेलै ,आबो एते नमहर नइ कि सब राति ओछाइन सुखले रहै ,कहियो-कहियो एखनो ओछाइन भीजै आ सुक्‍खल दुनिया फेर सँ कवितामयी भ
ऽ जाए ।

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