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Friday 14 June 2013

टीकरी पिरूकिया




टीकरी पिरूकिया आनियै
त' दस -बारह दिन चलै
आ लाय मूरलाय आठ-दस दिन
तहिना सतूआ चलै मास-दूमास
आ लाय ,टीकरी ,सतूआ जेना जेना मसूआइ
गामक यादि पर धूल झोकड़ा बैस' लागै
गहूम चाउर आ‍नबाक बात करियै
त' कनियां किराया-भाड़ा जोड़-जाड़ कर' लागथिन
आ गामक यादि बदलि गेलै एकटा सुगंध मे
जे मास-दूमास पर आबि के झकझोडि़ चलि जाए
आ हमरा बूझल नै छलै
ऐ गंध के नाक मे भरनए
ऐ गंधक बदला मे कोनो सेंटक आविष्‍कार केनए
कोनो दोसर गंध के गामक गंध माननै
से बैग तैयार रहै हरदम
मुदा किछु चीज गाम मे छलै
आ किछु गाम के बाहर
आ गाम मे रहियै
त' गाम के भ' के रहनै संभव नइ छलै
आ बाहर के अपन गाम कहनै सेहो कठिन छलै
यैह यात्रा चलैत रहलै
आ बीत गेलै चालीस साल
आ मोन एखनो कहैत छैक
जे एकदिन गाम मे गामक पास मे
रहबाक दिन काटबाक इंतजाम संभव हेतै
मुदा ऐ संभावनाक बांस-कोरो
हमरा बंसबिट्टी मे नइ जनमलै

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