मध्यकाल
मे कबीरक कविता अपन रहस्यवादी रंगक लेल ख्यात अछि आ ऐ रहस्यवादक कतेको
रंग कबीरक कविता मे भेटत । भावमूलक रहस्यवादक संगे तंत्रमूलक रहस्यवाद आ
संबंधमूलक रहस्यवाद आ आनोआन कतेको केटेगरी ।आ संबंधमूलक रहस्यवाद मे कबीर
ब्रह्म के माता ,पिता ,भाए ,गुरू ,सखा ,प्रेमी आदि सब रूप मे देखने छथिन
।किछु संदर्भ एहन अछि जे कबीर ब्रह्म के सार सेहो कहैत छथिन आ ई सार कोनो
दार्शनिक शब्दावली नइ छैक । 'सार' मतलब कनियाक भाय आ कबीर कहैत छथिन
साधु ननद मिलि अचल चलाई ,मंदरिया ग्रिह बेटी जाई
हम बहनोय राम मोर सारा ,हमहिं बाप हरि पुत्र हमारा
कहै कबीर ये हरि के बूता ,राम रमै ते कुकुरी कै पूता
आ ई वृहद तोड़-फोड़क प्रवृत्ति आ साहस कबीरक अलावे अन्यत्र दुर्लभ अछि आ मैथिली मे त' एखनो रसशास्त्र ,परिवार ,धर्म आ संबंधक सरलतम प्रतिमानक अनुकृति पर बल छैक ,मुदा कहिया धरि ...........
साधु ननद मिलि अचल चलाई ,मंदरिया ग्रिह बेटी जाई
हम बहनोय राम मोर सारा ,हमहिं बाप हरि पुत्र हमारा
कहै कबीर ये हरि के बूता ,राम रमै ते कुकुरी कै पूता
आ ई वृहद तोड़-फोड़क प्रवृत्ति आ साहस कबीरक अलावे अन्यत्र दुर्लभ अछि आ मैथिली मे त' एखनो रसशास्त्र ,परिवार ,धर्म आ संबंधक सरलतम प्रतिमानक अनुकृति पर बल छैक ,मुदा कहिया धरि ...........
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