हक्कर कानि, हारल मानि, जिनगी नहिं जीयल करु
कष्टक बेलामें दम घोंटि निराशक भांग़ नहिं पीयल करु।
कोनो जिद्द ठानि,नियतिके मानि, अपन पग-डेग बढाबी
चुभे कोनो कांट, भले देह टांट, फ़ाटल नहिं सीयल करु।
राखू एकटा लक्ष्य, मन निरपेक्ष, सुख-दुख अबिते रहतै
जीवन एकटा जंग, भले अंग-भंग,थाकल नहिं जीयल करु।
No comments:
Post a Comment