अपन बात हम कहिते रहब
मनक घात हम सहिते रहब।
जिनगी झकड़ल सुन्दर फ़ूल
देहक पात हम झपिते रहब।
रुसल हर्ख बैसल एक कात
दुखक लात हम सहिते रहब।
धर्मभूमि बनल छै पाप स्थल
पुण्यक लेल हम लड़िते रहब।
मित्र चरित्र विचित्र छै चर्चित
सत्यक चित्र हम रचिते रहब ।
- भास्कर झा 28 अगस्त 2012
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