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Wednesday 29 August 2012

गामक इयाद (बाल कविता-मैथिली


अंट - संट केर टंट - घंट सं, खखनू कक्का बनला लंठ
खनो खिसियायत, कखनो भसियायत अपन फ़ड़ला कंठ।

लुक्खा कक्का बड्ड उचक्का, बात - बातमें ऊड़य ठहक्का।

चौर-चभच्चा, नाली-खत्ता, देखिके हुनका सब हक्का-बक्का।

बेचन बेचय मुर्गीक अंडा, लाइन लगैत सब पंडित - पंडा


आमक गाछीक बुढिया बुधनी, चेंहटैत ल कए डंडा- खंडा ।

बतहा बिलट नाचैत अपने ताले, बैसल बउका गाल बजाबे

चौक केर चेतु चप्पल सीबय, लूटन ताड़ीक कटिया सजाबे।

सुतल सोगारथ टुकटुक ताकय, तेतरीक तनया रोज निहारे

खचरा तेतरा छल बड्ड थेथ्थर, सोझे उठाकए पाथर मारे।

टूटल-फ़ूटल हम्मर मड़ैया, वोहि पर बाजय चुनमुन चिड़ैया

फ़ेकल-फ़ाकल कुरसी-टेबुल, बैसल पढय अप्पन “बबलू’ भैया ।

भेल परीक्षा केला पास, फ़ेकला गामक झोड़ा, चप्पल –छत्ता

छोड़ल “बसंत”क हवा-पानी, पेटक आइग मिझाबे कोलकत्ता ।

- भास्कर झा 25 जुलाई 2012

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