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Wednesday 6 June 2012

डेयरी आ डॉक्‍टर

डॉक्‍टर मनोज बाबू पता नइ किएक , रिटायर भेला के बाद डेयरी खोलबा के विचार केलखिन ।पूजीयो त' थोरे थाक रहनि ,मुदा हुनकर विचार....... आब के रोकए हुनका ।आ जखन जखन डेयरी लेल घेरल जमीन पर बैसथिन एकटा चीज बड्ड विकट रूप मे यादि पड़ेन.......कालीपुर वाली काकी.........जखन बच्‍च्‍ेा रहथिन डॉक्‍टर साहेब त' काकी एलखिन आ गुम्‍मेगुम ठाढ़ भ' गेलखिन ।माए कतबो कहेन बैसए लेल तैयो ओ चुप्‍पे रहथिन आ एकटक्‍के मनोज दिस ताकैत रहि गेलखिन ।

जखन माए बड्ड जिद केलखिन तखन काकी कहलखिन जे हम त' आनने छलियइ दू अना पैसा मुदा छौड़ा के देखिते छुबुध लागै अछि......केना क' पेतए......एक रत्‍ती क' जंत ,केना बुझियो पेतए......लाठी सँ गरदाम के रोकनै आ फेर सांड के सही दिशा मे आननए आ .........फेर सटा के रोकने रहनै ,जावत कि सांड के भ' नइ जाए........

तैयो मनोज के माए नइ बूझलखिन आ पूछ' लागलखिन जे ई सांड ,गाय सँ मनोजक की काज......तखन काकी फरिछा के कहलखिन जे गाय के बहेबा के अछि......तीन दिन सँ बूझियौ जे बेसम्‍हार अछि ,तें सोचलियइ जे ई काज यदि मनोजबे क' लए तखन दुअन्‍नी दोसर के किएक देल जाए .....आ फेर माएक अस्‍वीकार आ काकी कें ऐंठैत वापस भेनए..........।डॉक्‍टर साहेब ऐ घटना पर कतेको तरीका सँ सोचथिन आ बात आर विषेन भेल जाए ।कखनो हुनका हुएन जे काकी हमरा गाय बहबैयो जोकर नइ बूझने रहथि.......कखनो फेर हुएन जे ओ दोसरे समै छलै आब जुगजमाना बदलि गेलै.......फेर कखनो के मोन मे हुएन ' जे काज आइ सँ पचास साल पहिले हम्‍मर दरिद्र माए नइ स्‍वीकारलथि ,ओइ काज के हम दिल्‍ली पटना पढ़ला आ बुलुक्‍का बत्‍ती मे घूमला के बादो क' रहल छी ।'

तावते यादव जी दूध नेने एलखिन आ डॉक्‍टर साहेब हुनका सँ ट्रेनिंग लेनए शुरू क' देलखिन ।यादवजी खाट पर बैसैत कहलखिन 'देखियौ सरकार दू दांतक गाय मने खिज्‍जा
चारि दांत मने सियान
छह दांत मने जुआन
आ बेसी तखन बूझियौ जे उतार पर

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