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Saturday 21 April 2012

छिड़ियाईत मैथिल- भास्कर झा



विद्वताक भ रहल लड़ाई में
विद्वजन धअ लेने छथि
अपन सुरक्षाक सब कोन
सम्मुख आब स कतरायल
डरक मारि सं घबरायल !

कवित्वक भाव विहीन
लेखनक टूटल तीक्ष्ण धार
महत्वाकांक्षाक परस्पर वैमनस्य
साहित्यक सज्जा पड़ल निष्प्राण !

सांस्कृतिक संध्याक पटाक्षेप
एक दोसर पर मात्र आक्षेप
व्यथित भेल अछि मॉन
करुण भाव सं दग्ध !

महामिथिलाक महाभारत
रमकैत पाण्डव ,कौरव, द्रोण
कॄष्णक शांति केर शीक्षा
भेल अशान्त आ क्लान्त।

मां मैथिलीक आंखि सं
झड़ि झड़ि गिरैत नोर
देखिकय पुत्रक परस्पर विद्रोह
कहिया होयत काल्ररात्रिक भोर !

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