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Friday 20 April 2012

चिंता


आ केशव भाय भरि जिनगी पलाने ब‍नबैत रहि गेला ।ओइ समै आटा पीसबै ले सब बच्‍चा-बूच्‍ची अपन अपन झोरा के माथ पर लादने आध कोस दूर जाइत छलै आ तखन हुनकर र्इ निर्णय भेल जे एकटा आटा चक्‍की बैसेबा क' चाही ,मुदा हुनकर निर्णय आ कार्य क' बीच मे तीन चारि टा चक्‍की गाम मे बैसि गेलै .....फेर उदारीकरणक जमाना आ गामे गामे टेलीफोनक तार सब ससर' लागलै ।आ गामक चारि-पांच हजारक आबादी पर एको टा पी0सी0ओ0 नइ ,जकरा फोन करै के रहै रोसड़ा ,बहेड़ी जाए ,तखन केशव भाए सोचला जे ई कारोबार बेस नफा वला ,आ ओ टेलीफोन आफिसक चक्‍कर काट' लागला ,मुदा जावत हुनका लाइसेंस मिललेन ,ओइ सँ पहिले टून्‍ना आ श्‍यामबाबूक बूथ चल' लागलै ।एक-दू साल त' फेर कुआथे बिता देला केशव भाय आ तखन सोचला कि सोचबा सँ कोन फैदा ,जखन होनहारी अपन हाथ मे नइ ,आ ओइ साल बिकराल बाढि़ एलै ने टेलीफोन रहलै ने पोल आ तखन पी0सी0ओ0 क' कोन बात ......हुनकर अपन भाय जालंधर भागि गेलै ,गाम मे ओ असगरे बचला ।आब मोबाईलक जमाना छलै आ पी0सी0ओ0 वला कठगरा मे श्‍याम बाबू तरकारी बेचैत छलखिन ।केशव भाय एहनो नइ कि श्‍याम बाबूक भाग सँ ईर्ष्‍या करथि ।दुनिये नइ आगू बढ़लै बेटियो ताड़ गाछ सन बरहैत छली आ केशव भाय आब फेर सँ सोचनइ प्रारंभ क' देने छलखिन ।धंधा -पानिक लेल नइ बेटी क लेल ।आ सोचथिन कम चिंता बेशी करथिन .....कोनो नीक घर-वर ,पूबरिया बाधक खेत कें ठीकठाक रेट पर बेचनए ,कोनो दियाद फरीक ल' लए त' सबसँ नीक नहि त'कोनो हितू मितू के बेचल जाए......के हितू मितू अछि हम्‍मर...गीता लागै छइ कत्‍ते सुंदर.....पता नइ केहन वर मिलतै......समै साल खराब चलै छैक ,कोहुना पार लगाबैथ भगवान तावत कोनो ऊंच-नीच नइ करथि भगवती........

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