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Tuesday, 20 March 2012

डॉक्‍टर साहेब आ स'र सम्‍बन्‍धी

डॉक्‍टर साहेब मूने मून बहुत कम्‍प्‍यूटराईज्‍ड भ' गेलखिन , सब संबंधी के एक टा तराजू पर तौलैत । हुनका त' एते आमदनी छनि ,मांगबेन त' 'एते' मिलिए जेतइ । फलां गाम वला मौसा के तीन टा बस चलइ छैक ,ओहो एक-दू लाख देबे करता । दरभंगा वाली दीदी क' बेटा ओकील ।छइ त' एक नम्‍मर के चंठ ,मुदा नइ किछु त' गेंहकीए पकड़तए ,कोनो मारि-मोकदमा भेला पर सेहो काज आयत । बाबू क' दोस तीन बेर सँ विधायकी वला चुनाव हारैत ।सभ सँ बेशी दिक हुनके सँ भ' सकैत छैक ।मुदा भगवान चाहथिन त' ईहो कोनो समस्‍या नइ रहत ।फीस नइ लेबइ जांच आ दवाइए मे दुगुणा निकालि लेबइ । ऐ प्रकारक सोच एकटा शांति देलकेन डॉक्‍टर साहेब कें । जिनगी आ समाजक गणित एते जल्‍दी हल नइ दैत छैक तें एकटा विशेष तरहक चिंता अंदर सँ घेर लेलकेन ,मुदा उपर सँ बड्ड आश्‍वस्‍त बूझा रहलखिन ।

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