मैथिली साहित्य आ मिथिलाक संस्कृति पर विमर्शक एकटा मंच ।प्राचीन गौरवशाली परंपराक पहचान आ नवीन प्रगतिशील मूल्यक निर्माण लेल एकटा लघु प्रयास ।
Followers
Saturday, 4 February 2012
**गजल**
हम बाजि रहल छी मायक कोखि सँ ,
हम सबटा सुनै छी बेशक कोखि सँ ,
कष्ट सहब हमर नियती बनल ,
मल- मुत्र खून सहै छी मायक कोखि सँ ,
मारि देब पहिल तीन बहिन जेकाँ ,
सुनि हँसि रहल छी मायक कोखि सँ ,
बेटी कए जौ मारबै यौ भलमानुष ,
बेटा जनमत कोन मायक कोखि सँ ,
हम बेटी छी दुर्गा छी सुनि लिअ अहाँ ,
आइ हुंकार भरै छी मायक कोखि सँ ,
बेटी कए जे केउ सम्मान नै करत ,
नै जनमS चाहब ओ मायक कोखि सँ ,
बेटी बिन बंश ककरो त' नै बढ़तै ,
जारि क' बंश मरै छी मायक कोखि सँ . . . । ।
Labels:
अमित मिश्र
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत नीक अमित जी
ReplyDeletebahut neek....kash sab Mae-Baap ehi gupp ke bujhi jaitaith..
ReplyDelete