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Sunday 26 February 2012


अहाँ बिनु
अहाँ केहन छी
तकर कोनो खबरि नै
अहाँ आएब कहिया
तेकर कोनो तिथि नै....
हम एतय बताह भेल छी
जिनगी हमर निराश लगैया
बिनु अहाँ हमर जिनाई
हमरा व्यर्थ बूझि परैया...
अहाँ आउ जल्दी आउ
आब विलम्ब करू जूनि
देखू! हम अहाँक बाट में
अपन नयन ओछेने छी....
पल-पल हर एक पल
हम अहाँ के याद करी
जखन हम एकसरि रही
अहाँक छवि नयन में निहारी...
एकटा कथा जनै छी ?
हम अहीं सँ प्रेम करै छी
सपनहु में हम
दोसर के नहि देखैत छी....
हम जनै छी
अहाँ के हमर ई कथा
मिथ्या बुझाइत होएत
सएह सोचि होईया व्यथा...
मुदा, एक कथा सच थिक-
हमर प्रेम
हम अहाँ सँ बहुत प्रेम करैत छी
बहुत- बहुत प्रेम...............
:Ganesh Kumar Jha "BAWRA"
GUWAHATI

1 comment:

  1. नीक कविता गणेश जी ,यात्रा जारी रहए ।

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