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Saturday 25 February 2012

दुमका मे झुमकाक बहाने किछु गपशप (बूझू जे खलिहर छी)

'दुमका मे झुमका हेरौलनि' प्रसिद्ध गीत अछि ,मुदा गीतक भाव मे अन्वितिक किंचित अभाव मिलैत अछि ।पहिल स्‍टैंजा मे
दुमका ,काशी ,बलियाक चर्चा अछि ,जइ मे नायिका क्रमश: झुमका ,कनबाली आ ठोरक लाली आ नथिया बिसरि जाइत छैक या हेरा जाइत छैक ।या त' नायिका अल्‍हड़ छैक ,जकर अपन समान सब पर कोनो नियंत्रण नइ ,वा ओकर चालि मे किछु छिनरपन सन छैक ,जे जत' जाइत छैक ,किछु ने किछु छोडि़ते रहैत छैक ।ई समान सब या त' कोनो अनजान जगह पर बिसरैत छैक वा नायकक ओइ ठाम ।नायक कोनो समाजिक प्रकृतिक नायक नइ छैक ,बल्कि एहन नायक जेकरा सॅं छीना झपटी मे नायिका अपन गहना सब हेरा लैत छैक या मिलनक ठाम पर कोनो अवांछित व्‍यक्ति क ' एलाक उपरांत ओ भागि जाइत छैक ।'बरामद' शब्‍द एहन छैक ,जेना पुलिस पंचनामाक बाद कोनो समान जब्‍त केने होए वा समाजक लंठ तत्‍व आगू बढि़ के कोनो सनसनीखेज़ प्रकाशन केने हो ।
डा0 शशिधर कुमर सेहो कहला जे ऐ मे छिनरपनक कार्यभाग बेशी छैक ।



पाठकगण ईहो जान' चाहैत छथिन्‍ह जे की दुमका शहर झुमकाक लेल प्रसिद्ध अछि या दुमका मे केवल झुमका चोर सब रहैत अछि या कवि दुमका आ झुमकाक शब्‍दांत मे स्थित 'का' पर मुग्‍ध होइत सब किछु बिसरि गेलखिन ।तहिना बाबा विश्‍वनाथक नगरी काशीक सम्‍बन्‍ध कनवालीक निर्माण ,उपयोग आदि सँ किछु अछि वा कवि काशी आ कनवालीक 'क'के जोड़ए मे रीझैत आन चीज बिसरि जाइत छथिन्‍ह । आ देखियौ ने नायिका क नथिया कत' बरामद भेलइ त' बलिया मे ।जेना ओ नायिका नइ भेलइ ,कोनो महीस या आओर मोटगर चीज भ' गेलइ जेकर सूक्ष्‍मांश सब उडि़ उडि़ के भारत भ्रमण क' रहल हो । आ नायिको केहन पेटगरि आ मोटपसम जे बलियाक प्रसिद्ध लिट्टीचोखा लेल अपन नथिया तक द' दैत हो ।कहीं एहियो ठाम 'या'क मिलबैक लेल कविक आकुलते त' जिम्‍मेवार नइ अछि ।हमरा पूरा विश्‍वास भ' गेल जे भाव आ विचार दोयम ,सबसँ मुख्‍य अनुप्रास देवी आ तुक ग्रह ।आ कविक प्रवृत्ति धार्मिक ,ऐ पूजनीय सबकें फूल देने बिना ओ कत' जा सकैत छथि ।
गीतकार छथिन्‍ह त' भावुक हेवे करथिन्‍ह ,आ अपन अनुभव ,रसगर वा सुखल ,जे होए ,देवे करथिन्‍ह ,मुदा अन्विति के कोन ठाम छुपा के राखथिन्‍ह ।पहिल स्‍टैंजा मे अल्‍हड़पन वा छिनरपन आ दोसर मे पूजाक भाव ।आब धुन जत्‍ते टांसगर होए ,शब्‍द पर ध्‍यान देलाक बाद कने मून केनादिन त' करबे करत ।

भाय गोपाल जी झा कहैत छथिन्‍ह जे शायद ओ (नायिका)मिथिलाक नइ अछि ,किएक जे पहिल स्‍टैंजा मे चिहिनत शहर दुमका ,काशी आ बलिया मिथिलाक भूगोल मे नइ अछि ।बात सही अछि भाय ,मुदा मैथिल जनाना त' कतओ भ' सकैत छथि आ ओहुना कोनो नीक वा अधलाह बात कोनो भौगोलिक ,जातीय ,नस्‍ली संस्‍कार सँ अनिवार्यत: जुड़ल या हटल नइ रहैत अछि ,ओहुना ई त' कविते अछि तें हमरा ओइ या कोनो नायिकाक स्‍वभाव आ संगे कविताक स्‍वभाव पर चर्चा करबाक अछि ।ई काव्‍य सत्‍य अछि जीवन सत्‍य नइ ।


ओना हमर कनियां कहैत छथिन्‍ह जे अहां क‍नेक घसकि गेलियइ ।बूझू त' गीत के विषय मे कतओ एना ओना सोचल जाइ ।हम कहलिएन जे कविता मे दुमका ,काशी क बदले भरपुरा ,प्रयाग किएक नइ छइ ।पत्‍नी कह‍लखिन 'कवि क मून'
मतलब ,की ओकरा जे मून हेतइ से लिखतइ ?
कनियां कहलखिन अहां जे एते बेकल छी ,से लोक ओहिना कैसेट खरीद खरीद के सुनलक ।इसकूल मे ,अस्‍पताल मे ,कार्यालय मे फूटबॉल मैदान मे लोक अपन काज बिसरि नथिया ढ़ूरहैत रहल
हम कहलियइ अइ मे दुमका ,काशी शहरक योगदान कम स्‍वर्गीय हेमकांत जी क गला ,धुन आ सिनेहक योगदान बेसी छैक ।

आ गीत मे लिय' ने 'मुंह हिनक पूरनिमाक चंदा' ई कोन नव बात ।
पत्‍नी कहलखिन 'तखन की मुंह साइकिलक चक्‍का सन हेतइ'? आ नव बात हरदम भेनए जरूरी छैक ?
हम कहलिएन 'त' कविते लिखनइ हरदम जरूरी छैक की '?
हमरा लागल जे आब बात बढि़के रहत ,हम तुरत चुप भ' गेलउं जेना नव कवि संपादक वा आलोचकक बात सुनि भ' जाइत छैक ।ई चुप्‍पी तर्कक नइ भविष्‍यक छल ।

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