मैथिली साहित्य आ मिथिलाक संस्कृति पर विमर्शक एकटा मंच ।प्राचीन गौरवशाली परंपराक पहचान आ नवीन प्रगतिशील मूल्यक निर्माण लेल एकटा लघु प्रयास ।
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Thursday, 2 February 2012
**आधुनिक पूजा**
आधुनिकता कए दोड़ मे पुजा आधुनिक भ' गेलै ,
पूजन सँ बेसी आयोजन पर ध्यान देल गेलै ,
मंहगाई कए मारल जनता सँ बेसी चंदा लेल गेलै ,
चौक-चौराहा पर पैघ पंडाल सजाओल गेलै ,
जेकर बेसी खर्च भेलै तेकर नाउ अखबार मे छापल गेलै ,
चिकनी चमेली ,शीला के जवानी ,जलाबी बाई कए नचाओल गेलै ,
कट्टो गिलहरी ,उह ला ला .रजिया संग कतेको मुन्नी बदनाम भेलै ,
कत्तौ-कत्तौ शेरावाली कए जयकारा सुनि पूजा कए यादि एलै ,
भक्तक कम रसिया कए भीड़ बेसी जुटलै ,
ओना पहिले जेकाँ मस्त भ' अबिर उड़ाओल गेलै ,
ऐ तरह सँ आधुनिक पूजा सफल भेलै . . . । ।
जौँ किनको खराब लागए त हम क्षमा चाहब ।
अमित मिश्र
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