Followers

Thursday 2 February 2012

गजल

डेगे-डेग ओ जमीन नापि रहल ,
कतS बिछाबी आसन भाँपि रहल ,
जनता कए ठगबाक लेल देखू ,
राम नामक राग अलापि रहल ,
भूत आ चाची कए डाईन बता क' ,
जोतषी बनि रूपैया छापि रहल .
साँझ ओकर डेरा पर गेलौँ देखू ,
मांस मदिरा लुंगी सँ झाँपि रहल ,
कने पाखंडी जे हम कहि देलियै ,
देखू "अमित" कए शरापि रहल ,
आइ पकड़लक जखन पुलिस ,
देखू कोना थर-थर काँपि रहल . . . । ।
अमित मिश्र

No comments:

Post a Comment