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Sunday 25 December 2011

अमित क’ कविता


मैथिली कविता मे एकटा नवीन स्‍वर ,विषय सर्वथा नवीन नइ ,मुदा एकटा बेचैनी ,एकटा असंतोष अमित मिश्र जी क कविता मे अछि ,ई असंतोष भविष्‍यक उच्‍च्‍कोटि क’ कविता मे परिणत होयत ,इएह कामना ।
एकटा सच
काईल्ह देखलौ
मास्टरक एहन दशा.
चढल छल दारुक नशा.
आकी ताड़ी भाँग-धथुराक.
.सड़क कात पेटकुनीया देने.
माछीक छल बनल बथान
,मैल श्याम बरु दामिल कपड़ा,
कुकुरक छल बनल अखाड़ा.
चलल समाज ध रुमाल नाक पर.
थु-थु गरीयाबैत क्रेध माँथ पर.
राष्ट्र निर्मान केर ठिकेदार ओ.
तहन हुनक एहन छेन हाल.
की पढ़बैत हेता विद्याक मंदिर मेँ.
दारु चखना नारीक चाल
.अमित छगुन्ता मे पड़ल देख क
, टुटी गेल सबटा आशा
.काईल्ह देखलौ . .


2(गाछक सँदेश )
जौँ क्रोध अहाँ के आबी सकै यै ,
हमहू त' सजीव छी .
जौँ जहर सँ' हम मैर सकै छी .
त' हमहू क्रोधित भ' सकै छी .
अहाँ मारलौँ हमर कतेक भाई .
तेँ देखियौ ने मौसम आई .
2012 मे प्रलय हेबे करत .
हम हँसब आ अहाँ सब मरब .
पर जौँ रोक' चाहै छी प्रलय .
त' बढ़ाबू हमर जनसंख्याँ
जौँ खुश क' देबै अहाँ हमरा .
त' हम वचन दै छी
नै हेतै प्रलय .
नै डोलत हिमालय .
बचल रहत सबहक आलय . . . . . . .


3समाजक सुरसा:दहेज
रात बगल के घर मे छल उठल धुआँ,
हवा महके जेना कतौ जरै नुआ,
मोन मे बड़ भारी अचरज भेलै . . .
देखू दहेज के कारण एगो और जैर गेलै . . .
साल भैर सँ' सुनै छलौ गाली-गलौज,
बपटुरी बेटखौकी कहे लड़का के भौज,
अधरतीए मे लाश ओकर उठी गेलै. . .
देखू दहेज के कारण एगो और जैर गेलै

एक लाख रूपैया के माँग छलै,
90-95 के इन्तजाम छलै,
मात्र पाँचे के खातिर जाग छुटी गेलै,
देखू दहेज के कारण एगो और जैर गेलै

ठार भ' समाज सब देखै छलै,
छ'(6) महिना के नेना भुखे बिलखै छलै,

ई नरक मे बेटी के किय(why) ठेल देब,
ऐ सँ' बढ़िया जनमिते घेट घोटी देब,
हेयौ मिथिला के बासी जुनी बनु कठोर,
जुनी लिय दहेज कहै छी कर जोर,

किएकी(क्यो की)

विधि सब संग एके टा खेल खेलै
देखू दहेज के कारण एगो और जैर गेलै


4टाका टाका सब करै यै .
टाका सबहक पहचान यौ .
सब फसल ई भवर जाल मे .
टाका सबहक जान यौ .
टाका भैया टाका माता आ टाका भगवान यौ .

टाका के ई लोभ मे पैड़ क'
सगरो पड़ै यै डाका .
घर मे डाका बैँक मे डाका आ चलतो वायुयान मे डाका .
डाका के ई वायरस सँ' सब केऊ परेशान यौ .
टाका भैया टाका माता आ टाका भगवान यौ

घुसखोरी बेईमानी के धन्धा फले-फुलै .
कोनो काज करै सँ' पहिले 100 टाका ल' लै .
कोनो जगह नै छुटल ऐ सँ' दफ्तर या दोकान यौ .
टाका भैया टाका माता आ टाका भगवान यौ

किडनैप हत्या बम धमाका
सब टाका के रूप
अछि
खादी खाकी आ मजदूर सब टाका लेल व्यस्त अछि .
टाका सँ ईमान बिकै यै
आ बिकै इन्सान यौ
टाका भैया टाका माता आ टाका भगवान यौ

कलजुग के बरदान अछि
कमबू खुब टाका .
पर अमित नै समझै केऊ
खेबो करतै टाका.
मिस्रा के मानु भैया कर्म हमर प्रधान यौ
टाका भैया टाका माता आ टाका भगवान यौ

5माँ गै
एही विशाल दुनिया मे .
दया-दृष्टी बनौने रहिहैं ,
बेटा टुअर भ' गेलौ जननी .
झलक अपन देखाबैत रहिहैं .
तोहर दुलार सन प्यार नै भेटल .
अधरतीया मे लोड़ी सुनाबैत रहिहैं .
भटैक जेबौ जौँ पंक पाथ पर .
हमरा तू फटकारैत रहिहैँ .
माछ-मखान किछु नीक नै लागै .
नून-रोटी अपन हाथ सँ' खुआबैत रहिहैँ .
अमित करै छौ नमन चरण मे .
आशिषक हाथ बढाबैत रहिहैँ .
झलक अपन देखाबैत रहिहैँ

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