ऊ हम्मर कुटुम
छथिन ,दियाद छथिन आ दोस छथिन।ऊ चौबीसो घंटा हेलमेट पहिरै छथिन ,केओ कुटुम देखि ने
लए ,ऊ कखनो काल एकटा अंग के बेकाम क’ दए छथिन ,कहबेन त’ सुनता नइ ,ईशारा देबै त’ रूकता नइ ,अनुमान यदि लगा लेता त’ ह्रदयहीन भेने कुशल ।ऐ रस्ता बाटे नइ ,ऐ चौक पर बाटे नइ
,दस बजे के बदला मे एगारह बजे चलता आ पांच बजे के बदला मे सात बजे लौटता
।धीरे-धीरे .....केओ देखि ने लए ।हुनकर बदलबाक कुनो अंत नइ ,नाम ,गोत्र ,गाम ,शहर सब बदलि के अपन जेबी आ अपन स्टेटिक इनर्जी कें सेव करैत छथिन । एहने केरेक्टर हमरे परिदृश्य मे नइ आहूं के
वायुमंडल मे अछि ।ऊ आ हुनका सन कतेको कतेक
अपन ओकादि बदलबाक प्रतीक्षा क’ रहल छैक । ओकादि बदलिते भाषा ,भंगिमा ,टोन ,बॉडी लैंग्वेज सब बदलि जाइत छैक
।कखनो-कखनो ओकादि आ भाषा साथ-साथ बदलैत छैक ,कखनो-कखनो ओकादि बदलबाक प्रत्याशा मे
भाषा आ टोन समै सँ पहिले बदलि जाइत छैक आ ओकादि बाद मे बदलै छैक ।कखनो काल
दुर्भाग्य सँ भाषा त’ बदलि जाइत छैक ,मुदा ओकादि बदलबाक प्रक्रिया मे ब्रेक लागि जाइत छैक
(दिनांक 15-04-2017)
(दिनांक 15-04-2017)
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