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Saturday 15 April 2017

औझका डायरी

ऊ हम्‍मर कुटुम छथिन ,दियाद छथिन आ दोस छथिन।ऊ चौबीसो घंटा हेलमेट पहिरै छथिन ,केओ कुटुम देखि ने लए ,ऊ कखनो काल एकटा अंग के बेकाम क दए छथिन ,कहबेन त सुनता नइ ,ईशारा देबै त रूकता नइ ,अनुमान यदि लगा लेता त ह्रदयहीन भेने कुशल ।ऐ रस्‍ता बाटे नइ ,ऐ चौक पर बाटे नइ ,दस बजे के बदला मे एगारह बजे चलता आ पांच बजे के बदला मे सात बजे लौटता ।धीरे-धीरे .....केओ दे‍खि ने लए ।हुनकर बदलबाक कुनो अंत नइ ,नाम ,गोत्र ,गाम ,शहर सब बदलि के अपन जेबी आ अपन स्‍टेटिक इनर्जी कें सेव करैत छथिन । एहने केरेक्‍टर हमरे परिदृश्‍य मे नइ आहूं के वायुमंडल मे अछि  ।ऊ आ हुनका सन कतेको कतेक अपन ओकादि बदलबाक प्रतीक्षा क रहल छैक । ओका‍दि बदलिते भाषा ,भंगिमा ,टोन ,बॉडी लैंग्‍वेज सब बदलि जाइत छैक ।कखनो-कखनो ओकादि आ भाषा साथ-साथ बदलैत छैक ,कखनो-कखनो ओकादि बदलबाक प्रत्‍याशा मे भाषा आ टोन समै सँ पहिले बदलि जाइत छैक आ ओकादि बाद मे बदलै छैक ।कखनो काल दुर्भाग्‍य सँ भाषा त बदलि जाइत छैक ,मुदा ओकादि बदलबाक प्रक्रिया मे ब्रेक लागि जाइत छैक
(दिनांक 15-04-2017)

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