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Tuesday 11 April 2017

औझका डायरी (दिनांक 11 04 2017 )

औझका डायरी
मैथिली के एकटा आलोचक चाही ,आलोचक नइ नव्‍यालोचक ,नव्‍यालोचक नइ वज्रालोचक ।एहन आलोचक जे बज्‍जर सन सन बात कहै । काबिल सँ लिखबाबै , बेगारू सभ कें टरकाबै ।

                              एहन आलोचक जेकरा मे केवल बहुज्ञता नइ रसबोध सेहो होइ ,केवल रसबोधे नइ समै-सजगता सेहो । केवल फार्मे नइ कंटेंटक प्रति सेहो समझदारी होए ।

                       एहन आलोचक जेकरा मे समैक जिम्‍मेवारी उठाबैत साहित्‍य के आगू बरहेबाक ताकति होए । एहने सन जे मिथिला आ मैथिलीक परिवर्द्धित आ संवर्धित स्‍वरूपके बूझै आ  ओकर रक्षा करै  ।एहन आलोचक जेकरा मे मैथिलीक वर्तमान साहित्‍यक दिशा गमबाक हिम्‍मत होए आ ओकरा समकालीन भारतीय साहित्‍य के जनबाक जरूरति सेहो महसूस होए ।
(दिनांक 11 04 2017 ) 

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