कौल्हका डायरी
शुकुल जी जायसीक प्रशंसा करैत छथिन ।भाव ई छैक ‘मुसलमानो होइतो जायसी भारतीय कविता के एत्ते बूझैत छथिन ,मुसलमान होइतो जायसी हिंदू स्त्रीक जीवन ,प्रेम ,विरह कें एत्ते नीक जँका चिन्है छथिन ,मुसलमान होइतो जायसी अवधक लोकजीवन में प्रवेश क’ पाबैत छथिन ...... जेना मुसलमान केओ होय त’ ऊ कविता नइ लिखै ,लिखबो करै त’ केवल अल्लाह आ कुरान पर या केवल ईरान ,तुर्किस्तान पर ।
(दिनांक07 -04-17)
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