Followers

Monday 15 August 2016

दीपचंदजीक आर्थिक नीति

दीपचंदजी अपन लछमन रेखा अपने खीचै छथिन ,बहुत पहिलैऐ सँ ।आ गरीबी ,अमीरी ,खरचा ,कपड़ा-लत्‍ता,सिनेमा-सरकस सबहक लेल नव-नव पालिसी ।जेना खरचा लिय' त' हुनकर साफ नीति ई कि पूरा-पूरा बचेनए संभव नइ तें किछु किफायती बननै बेशी उचित ।तें ऊ 'डव' साबुन नइ लाईफबाय लगबै छथिन ,एक दिन छोडि़ के ,आइ वामा दिस ,काल्हि दाहिना दिस ।मकान पूब आ उत्‍तर दिस सँ प्‍लास्‍टर आ दू दिस ओहिना ईटा वला ,किएक त' ई दूनू दिशा पछुऐत मे रहै ।कॉफी पीबाक बदला चाय बनलाक बाद एक चुटकी कॉफी चाय मे राखनै ।बासमती चाउरक बदला मे ओकर खुद्दीक भात ,जे सौंस चाउर जँका गमकै छैक,आ राहडि़क दालिक बदला मे पचमेलिया दालि ।पूजाक परसाद मे पंचमेवाक बदला लताम,खीरा ,चिनियाबदाम,मिश्री आ केरा ।आ मानक रहै पूरा गाम के हकार देबाक त' दैत रहथिन टोल कें...........

No comments:

Post a Comment