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Saturday 28 May 2016

हम अशुद्ध लिखै छियै ने ,आहूं बहुत चालू लिखैत छियै ।लिखै नइ छियै ,लिखलका पर पेंसिल चलबै छियै ,कहलकाक' पाछू-पाछू गोंगियाइत छियै ।खरबका फोटोस्‍टेट जँका अहां भेले चीज के हुआबै छियै ।
अहां मैथिली भाषा सँ प्रेम नइ करैत छियै ,अहां अपन गाम-परोपट्टा मे बाजै वला मैथिली के बलपूर्वक दोसर पर लाद' चाहैत छियै ।अहांक संग 'मानक मैथिली'क चाबुक अछि ने ।मतलब ई जे हमर गाम ,गामक बोली ,शब्‍द सब बेकार ,आ हम अहांक उधार शब्‍द मे अपन बात कही ।हम अहांक सुर मे गाबी त' गायक ,नइ त' नलायक ।
अहां भाषा सँ नइ एकटा खास टोन सँ प्रेम करैत छियै ,एकटा पोजिशन सँ ,एकटा खास स्थिति सँ ,जइ पर रहलाक बाद अहांक सम्‍मान भेटैत अछि ।अहां भाषाक राजमार्ग पर चल' चाहैत छियै ,जखन कि भाषा जंगल छैक ,आ एत' सबहक स्‍वागत हेबाक चाही ।
अहां भाषा नइ किछु खास शब्‍दावली सँ प्रेम करैत छियै ,अछींजल सँ धोबल आ तुलसी-अक्षत लागल शब्‍द ।तें किछु अंटशंट ,अलग-बलग शब्‍द मिलैत अछि त' तिलमिला जाइत छियै ।आ अहांक तिलमिलाहटे बहुत लोकक लेल असली सर्टिफिकेट छैक कि ओ साहित्‍यक असली रस्‍ता पर जा रहल छैक ......

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