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Sunday 28 February 2016

मूसक बच्‍चा

मूसक बच्‍चा
कतौ सँ मिलि गेल रहै एकटा मूसक बच्‍चा ।एकदम मनुक्‍खक बच्‍चा सन ।ओहिना छोट-छोट हाथ पाएर आ मुंह ,ओहिना कखनोकाल आंखि ताकै ।भैया ओकरा रूईया मे लपेटके दौरी मे राखि देलकै आ दौरी के चार मे लटका देलकै ।इसकुल सँ एलाक बाद चुपचाप चार मे सँ उतारलकै ,मुदा हलचल बन्‍न रहै ।शायत असुरारि कें नीक लागल रहै.....
(रवि भूषण पाठक वाया चंदन गुहा)

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