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Thursday 1 May 2014

(दीपाली)

ऐ अंगनाक पहिल बेटी शकंतला छलै बियाह भेलै एकटा कमासुत सँ ।जेहने देखै मे सुंदर तेहने नमछड़ ।एकदम गांठल शरीर ,पचीस हजार रूपया तिलक सेहो लागल छलै ।घ'रवला कनियां कें नेने पैंजाब चलि गेलै ।ओइ ठाम दुष्‍यंत राति के पहरेदारी करै आ दिन के रिक्‍शा चलबै ।साल मे एक बेर गाम सेहो आबै .....मुदा गाम मे रहै की ,ने गाम मे ने सासुर मे ।एहिना होइत रहै कि अचानक गाम मे हल्‍ला भेलै जे पाहुन जालंधर मे एक कट्ठा जमीन खरीद लेलखिन........साल दूसाल बाद जे पाहुन एलखिन त' चरबी चरहैत रहेन ,आंखि सेहो मोटाइत रहेन आ शकुंतलाक मैथिली मे सेहो गोटेक पंजाबी शब्‍द ,किछु कहाओत सेहो पंजाबी घूसि गेल छलै ।आब लोक सब कहै छलै कि ई सब आब थोड़े गाम एतै ,आब जत' रहतै अपन गाम के एहने लटैत-बूरैत जियेने रहतै ।..........अपन एकमात्र सारिक बियाह मे पाहुन गाम आयल छथिन आ पेट डेढ़ हाथ बरहल छेन ,सूतै छथिन त' नाक-मुंह सँ अवाज होइ छैक ,गाम मे लोक सब के अजगुत जँका लागै ,मुदा शकुंतला लेल धैन सन ,ओ जालंधरो मे खूब मोन सँ रहैत अछि आ............
(दीपाली)

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