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Tuesday 29 April 2014

(रूपाली)

एहन रहै ने जे सांप त' हरदम देखाइते रहै कखनो बिल मे घूसैत कखनो बिल सॅ हुलकी मारैत ।कखनो दुरखा बाटे बाहर निकलैत कखनो अनरनेबा गाछ लग अराम करैत ,मुदा सबसँ रोचक दृश्‍य होय जखन धरैन पर सांप मूसके खेहारैत हो ।आ ई 'खेहाडि़' सात-आठ दिन पर जरूर चलै ,कखनो मूस पकड़ाय ,कखनो सांपे हारि के निकलि जाइत हो ।आ सांप घर मे हरदम घूसै आ बाहर आबै ।जहिया-जहिया राति में 'खेहाडि़' होए ओइ के एक दिन बाद तक घर मे सूतबाक स्‍थान पर आंगन मे सूति रहियै आ फेर अगिला दिन सँ घरे मे सूतबाक उपक्रम चल' लागै ।एक दिन सांप-मूसक खेहाड़ा-खेहाड़ी चलैत रहै ,एकाएक मूस देवाल पर सँ कूदैत धरैन पर आबि गेलै आ सांप सेहो ओकरा पकड़ैक चेष्‍टा करैत धरैन पर कूदि पड़लै ,मुदा पूरा बेलेंस नइ बना सकलै आ धरैन पर सँ लटैक गेलै ।एमहर हम दूनू बहिन बिना मशहरी के कोच पर सूतल आ ओमहर धरैन पर सँ लटकल अधसर....... बस एक दिनक लेल ई ड'र रहलै फेर अगिला दिन सँ वैह कार्यक्रम.......

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