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Saturday 8 March 2014

कदुआबैत राति

शिवराति सँ दू दिन पहिलुका समै ।रातुक ग्‍यारह ,अकाश मे हल्‍का-हल्‍का बादल जँका ,लोक सब सूतल ।बजार सँ घूमि-घामि डेरा पहुचलौ ।स्‍कूटर बंद केलियै ,अचानक बुझायल जे हमरा पाछू किछु झूलि रहल अछि ।धियान देलियै त' किछु नइ छलै बस अकोनक गाछ रहै आ पूरा मौसम त' सामान्‍ये रहै ,मुदा अकोनक ऊपरका हिस्‍सा खूब तेजी सँ डोलैत रहै ,पता नइ किएक ।फेर धियान देलियै ,कुनो खास बात नजरि मे नइ एलै ,अचानक भगवान शंकर पर धियान गेल ,लागल जे भगवान स्‍वयं अकोनक गाछ पर सवार छथिन ।श्रद्धा दू मिनट तक बनल रहल ,जखन तक अकोनक जडि़ दिस धियान नइ गेल ।दूटा जुआन सुगर अपन देह रगड़ैत रहै आ अकोनक कमजोर गाछ एकदम बिहाडि़ जँका हिलैत रहै ।भगवान शंकर त' नइ रहथिन आ भगवान विष्‍णुक ई अवतार श्रद्धा आ भक्ति कें कदुआबैत राति खराब क' देलक ।

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