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Monday 20 January 2014

बाप रै बाप


बाप रै बाप एत्‍ते कतौ ठंड गिरलै ,देखियौ त' कुहेस आ शीतक तमाशा ,सूर्यदेव संगे कुहेस खेला रहल छैक जेना जुआनि सारि आ बहिनोय खिच्‍चम-तीरा करैत होए ।बाप रै बाप अखन तक आफिसक काज सब समाप्‍त नइ भेलै ,जत्‍ते जल्दियाइ छियै ओतबे आर काज बरहल बुझाइत छैक ,एकदम सतफीट्टा गेहुअन सन खतमे नइ होइ छैक ।बाप रै बाप ऐ क्षेत्रक आदमी सब कत्‍ते लंठ ,बाजिते-बाजिते एकाएक एते जोर सँ चिकरनै आ कमीजक बांहि समेटनै शुरू करत जेना बस आइ फरियाइए के रहतै । कतबो ईमानदारी सँ काज करियौ ,ऐ आदमी सभक असंतोष आ क्रोध बनले रहतै ,ल' ने ले सार हमर नोकरी आ हमर जिनगी ,मुदा तैयो तोरा सबके संतोख नइ हेतौ ।बाप रै बाप आठ महीना बीत गेलै ,एकबेर गाम जएबाक समै नै मिललै ,माए-बाबू की सोचैत हेथिन जे छौड़ा अपने धुनि मे आ अपन कनियां संगे मस्‍त ,आ ईमहर हाकिम सँ छुट्टी मांगियौ त' ओकरा लागै छेना ओकर प्रापर्टी लिखबै लेल ओकर सम्‍मति चाहै छियै अहां ।बात एतबे नइ रहै कनियां डेली सांझ के कहती कि छौड़ा एखन तक साइकिल नइ चला पाबै छैक ,मतलब हम आफिस सँ आबी आ छौड़ाक साइकिल निकालि रोड दिस विदा भ' जाइ ,आ छौड़ा साइकिल दिस एना देखैत छैक जेना ई साइकिल नइ होए कुनो भरिगर टैंक होए आ ओकरा राजस्‍थान बार्डर पर चलेबाक आदेश भेटल होए ।बात एतबे तक खतम रहितै तखन कुनो बात नइ आ ओ जत्‍ते सोचै तत्‍ते बात सब लस्‍सा जँका बरहल जाए ।आब समै छलै कि ओ अपन माथ पकडि़ के कहै बाप रै बाप या फेर मोबाइल बंद करैत निकलि जाए बजार दिस ।बजार मे कनेक सुस्‍तेतए तखने फेर गाड़ी काल्हि निकलि सकतै .........

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