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Tuesday 17 December 2013

लोहा

घूर पर बैसल बाबा कहलखिन कि' वौआ नामक लेल ,नाम बरहेबाक लेल आ नाम चलेबाक लेल लोहा हेबाक चाही ।आ ई लोहा बेशी काल पुरूखे मे होइ छैक ,जेना कि देखहक बापक नाम ,संस्‍कार ,जाति आ गोत्र त' बच्‍चा मे आबिते छैक ,खून आ रूप-रंग सेहो आबैत छैक ।'

'आ डी0एन0ए0 सेहो बाबा' एकटा युवक टोकैत कहलकै ।

बाबा हां मे हां मिलबै क' बदला मे बस मुड़ी हिलेलखिन ।आ एक क्षण रूकैत बाज‍लखिन -

'देखहक पुरूष यदि डाक्‍टर होइत छैक त' ओकर कनिया केहनो होए डाक्‍टराइन कहाबै छैक ,तहिना कनिया दरोगाइन ,नेताइन आदि कहाइत छैक ,किएक '

ताबते दोसर युवक कहलकै कि 'बाबा ऐ देश मे एकटा एहनो जनाना भेलै कि जातिए नइ दोसर धर्मक पुरूष सँ वियाह केलकै ,मुदा वंश चलैत छैक जनाना के नाम सँ । नाम ,गोत्र ,उपनाम आ राजनीतिक गद्दी सब जनाना वला '

बाबा अविचलित होइत कहलखिन 'वौआ यदि लोहा ओइ जनाना मे हेतै बेशी तखन जनाना वला लोहा हावी होइत ,दुनिया मे फैल जाइत हेतै ,मूल चीज लोहा छैक ओ चाहे पुरूखक होए वा जनी-जातिक ।'

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