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Sunday 1 December 2013

ढ़नढ़नाएल


ओ ढ़नढ़नाएल जनाना रहै ,कखन कोन बात करी आ कखन नइ तकर कोनो विचारे नइ ।कखनो अप्‍प्‍न नैहरक खूब प्रशंसा करै ,बाप-भाए ,टोल-टापरि ,गाछी-बिरछी ,खेत-पथार सभक प्रशंसा आ कखनो खिधांश करै त' बाप-माए , देवता-पितर केकरो नइ छोड़ै ।खिस्‍सा शुरू करै त' खेती-पथारी ,दौरा-दौरी सँ ल' के सूतनए-बैसनए तक के विधिपूर्वक चर्चा करै ।आ खिस्‍सा मे अपनहि तक नइ आहूं के अवस्‍से आनती आ आहीं नइ अहां क' बाप-पित्‍ती ,पितामह-परपितामह तक कें सानति कोनो एहन प्रसंग शुरू करती जेकर पता ने अहां के ,ने अहां के पितामह के आ बात एहनेसन कि ओकर परीक्षण केनए सेहो बूरबकए ।जेना कि ए‍क दिन ओ कहि देलखिन जे हमर घरवला पहिले अहां क हर चलबैत छला आ अहां दूनू बहिन एकदिन पनपियाइत ल' के गेल रही ,हमर घरवला ऐ बातक प्रतीक्षा करैत रहला कि अहां दूनू कखन जाएब आ हम पनपियाइ करब ,मुदा आहूं दूनू बहिन एक बेरियां तक आरि पर बैसल रहलौं आ हमर घरवला भूखे तबाह रहला ।
ई बात सुनिते अहां दूनू बहिन परेशान होइत पुरनका बात सब यादि केनए शुरू करबै कि ई बात कहिया भेलै आ ओ लागले दोसर कथा पर आबि जेती ।तहिना ओ एक दिन कहि देलखिन कि हमरा सब राति हमर घरवला लताम दैत छथिन आ ई बात सुनिते टोलक जनाना सब परेशान भ' गेली कि फलनमा बौह राति के लताम की करैत छथिन ।एक दिन ओ जनाना कहलकै कि हमर ससुर आ सासु एकठाम सूतल रहथि आ हम खखास नइ क' सकलियई आ एकाएक घर घूसि गेलियइ ,जनाना सब मारलिखन जोर सँ पिहकारी ,दलान पर ताश खेलाइत पुरूख-पात्र सब चौंक गेलखिन।एहने कथा सब सुनबाक अभ्‍यस्‍त जनाना सब हुनके घेरने रहती आ हुनकर पेटार सँ एहने सन कथा सब निकलैत रहत ।एक दिन भेलै एना कि.............

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