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Saturday 23 November 2013

ओकर ट्रांसफर भेल रहै ,ट्रांसफर ट्रांसफर होइ छैक ,मुदा ओकर दुश्‍मन कहै 'हयौ भाय ई ट्रांसफर सधारण ट्रांसफर नइ ,कत' सार पटना मे राज करैत छल ,आ कत' रोसड़ा आबि गेल ' ,मुदा ओ कहै कि ई त' संपादक जी क' खास कृपा कि हमरा रोसड़ा क' देला नइ त' दोसर के त' लखनऊ ,कलकत्‍ता सँ कम दूर संभवे नइ बूझू ।ई समै छलै जखन रोसड़ा सन बजार मे एकर खूब चलती ।एस0डी0ओ0 आ डी0एस0पी0 साहेब कें बूझाइत रहेन जे शहर मे कुनो अरस्‍तू आबि गेलै ,कुनो कालिदास ।आ पत्रकार महोदय कहथिन कखनो कि सब आदमी चलै चलू गंडक नदी के साफ करबा लेल तखन पूरा शहर हाथ मे कोदारि आ छिट्टा नेने बाहर आबि जाइ ,कखनो पत्रकार महोदय कहथिन सब गोटे पानि बचबू आ ई शहर जत्‍त' जमीनक एक हाथ नीच्‍चा मे पानिए-पानि रहै ,पानि कें एनाके जोगाबै कि लोक सब के मूतएओ मे परेशानी होइत रहै । आ शुरू-शुरू मे ओ जे कहै हम ओतबे बूझियइ ,बाद मे बहुत रास गप्‍प सब छोट शहर मे उधियाई जेना पानि कम भेला पर माछ सब उधियाइ छइ । हम कतबो प्रयास करी तैयो एक-दू टा माछ हमरा लग आबिए जाइ ।मुकुंद बाबू कहथिन हयौ भाय ,पटना मे रहै एगो छौड़ी ,आ छौड़ी की रहतै बूझू जे एकदम बजारू माल ,से एकरा मे सटि गेलै आ ईहो सार आन्‍हड़ कुकुर जँका ओकरा मे सटि गेलै ।एक दिन पत्रकार महोदय आ ओइ छौड़ी कें अन्‍हार-मून्‍हाड़ कें केओ बान्‍ह कात मे बैसल देख लेलकै ।पत्रकार महोदय कहैत रहथिन कि बान्‍ह पर आलेख तैयार क' रहल छी ,दोसर दिन छौड़ी के स्‍कूटर चलबैत आ पत्रकार बंधु के पाछू मे बैसल देखल गेलै ,पत्रकार महोदय कहलखिन जे बहेड़ी मे तेल जमीनक नीच्‍चा मे मिललै अछि सएह के समाचार बनेबा लेल बरियाही दिस जा रहल छी ।आ पत्रकार महोदय हमर दोस रहथिन ,एक दिन साहस क' के हमहूं पूछबा लेल विदा भेलौं ,बहुत साहस करैत पूछलौं त' अलगट्टे कहला कि ऐ बात-विचार के फैलाबै मे महन मोहनक दोष ,किएक त' ओ सार कतौ आर ठाम काज करैत अछि आ जखन ई बातक पता चलि गेलै ,त' सार एहने-एहने बात सब फैला रहल अछि ।बात शहर क' बाउंडरी पार करैत समस्‍तीपुर दरभंगा रेड़' लागलै ,स्‍थानीय संपादक सेहो पूछलखिन ,हुनको एहने गोलमोल जबाव मिललेन ।एक दिन एगो पत्रकार जे हुनका पर धपाएल रहै से फोटो खींच के भेज देलकेन ,पटना सँ स्‍पष्‍टीकरण मांगल गेलै ।बात सब गेनहाइत रहै ,मुदा पत्रकार महोदय निर्लज्‍जतापूर्वक ऐ संबंध कें पत्रकार-पत्रकार संबंध कहैत रहलखिन ।छौड़ी कें बाप कें कहथिन जे हमरो बापे बूझू आ छौड़ी कें कहथिन जे उमेर त' बस एकटा नंबर थिकै ।छौडि़यो ऑफिस मे कम हुनका घर पर बेशी रहै ,स्‍कूटी दस बजे साहेबक घर पर लागि जाए आ साहबो पैखाना-पेसाबक बहन्‍ने एकआध घंटा पर हूड़हूडि़या छूबा लेल डेरा दिस जरूर विदा भ' जाथिन ।एखन रातिक बारह बाजि रहल छैक आ पत्रकार महोदय ऐ चिंता मे एखन व्‍यस्‍त हेथिन कि काल्हि कोन झूठ छौड़ी सँ ,कोन झूठ ओकरा बाप सँ आ कोन झूठ ऐ शहर सँ बाजबै ।दोसर दिस कतेको आदमी ऐ जोगाड़ मे जागल छैक कि आइ ऐ पत्रकार कें कोना नांगट क' देल जाए ।

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