भाषण ,साहित्य आ गपगिज्जनि प्राय: निरर्थक होइत छैक ,जखन ओ झूठौआ-फूसौआ वला सहानुभूति क' चासनी पीने रहैत छैक ।तें एहन तरहक क्रियाकलाप जल्दिए देखार भ' जाइत छैक आ व्यक्तिक असलीका चेहारा सामने आबैत छैक ।ग्राम करियन मे एकटा पुस्तकालय खुललै- 'उदयनाचार्य मिथिला पुस्तकालय' ।प्रारंभिक जिज्ञासाक बाद गामक विकट उदासीनता तेना बहरायल ,जे गाम जेठ मे आगि फेकै छै आ माघ मे बर्फ फेकै छैक ।आ दिशा बस पछबारी ।से सब बर्फ आ सब आगि पुस्तकालयक चारू-कात गिर रहल छैक ।आ ने केकरो मिझेबाक फूरसति छैक ने बर्फ हटेबाक आ गाम एकदम हफीम खेने अपन दैनंदिनी मे व्यस्त छैक ।यैह थिकै मिथिले नइ देशक महान पंडित उदयनाचार्यक जन्मभूमि ।
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