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Wednesday 19 June 2013

जइ फोन के सटेने रहियै डांर सँ

जइ फोन के सटेने रहियै डांर सँ
आ छुपेने करेजा मे
से सदिखन अनसोहांते कहै
राति बरबजियो के
झांटि बिहाडि़यो मे
अधपहरा भोरो मे 'व्‍यस्‍त ' कहै
आ जखन कि ओहो इंतजार करैत छली
ई बाजै कि तोहर फोन 'ओ नइ उठा रहल छओ'
सबसँ अनकत्‍थल त' तखन भेलै
जखन फोन कहै कि पूरा सृष्टि
ई नेटवर्क
आ एतबे नइ ओ सेहो व्‍यस्‍त छथिन
जखन कि सब जनैत छैक
ओ हरदम खाली छथिन
हरदम प्रतीक्षारत

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